कुछ महीने पहले की बात है, सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया है, जिससे उन्हें राजनीति और नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, सवाल उठता है कि क्या कानून बना देने भर से महिलाओं को उनका हक अधिकार, बेहतर स्वास्थय, शिक्षा सेवाएं मिलने लगेंगी क्या? *----- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक महिलाओं की पहुंच में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं *----- महिलाओं को जागरूक नागरिक बनाने में शिक्षा की क्या भूमिका है? *----- महिलाओं को कानूनी साक्षरता और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कैसे किया जा सकता है"

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उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के सी चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की सत्ता दल अपने लालच में लोगों को सत्ता में आने का लालच देता है और फिर सत्ता में आने के बाद वे वादों को भूल जाते हैं। जो महिलाएँ खानाबदोश होती हैं, उन्हें केवल मतदान के समय याद किया जाता है और बाकी समय पर उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है, अक्सर वे अपने अधिकारों का लाभ नहीं उठा पाती हैं। आदिवासी कई स्थानों पर बसे हुए हैं और अपने मताधिकार का ठीक से उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि उनके पास आधार कार्ड जैसी बुनियादी सुविधाएं या वोटर कार्ड जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से सरोज चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की नयी सरकार के संघठन होने के बाद सरकार से यही उम्मीद रहती है की सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान दे और संविधान की रक्षा करे

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चुनाव जीतने के बाद लोकतंत्र के बड़े-बड़े वादे खत्म हो जाते हैं, कोई भी इस क्षेत्र पर ध्यान नहीं देता है, न ही लोगों से कोई उम्मीद है और न ही चुनाव होने पर। भी आ जाता है तो पब्लिक में हुआ है, हम आपको जो भी सहायता चाहिए देंगे, लेकिन कोई सहायता नहीं है। महिलाओं को भी परेशान किया जाता है। आरक्षण देने के बाद भी वे महिलाओं से पीछे रहते हैं और परेशान भी होते हैं, उन्हें कोई सुविधा नहीं मिलती, चाहे वह पुरुष हो या महिला, उन्हें भी सुविधा नहीं मिलती।

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर जिला से अलोक श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की हमें अपने मताधिकार का प्रयोग बहुत सोच-समझकर करना चाहिए। किसी प्रकार के लालच में आकर हमें वोट नहीं देना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से अलोक श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि राजीव जी ने उसमें कहा हैः मेरे घोषणापत्र में सभी को समान अधिकार दिए जाने चाहिए, लेकिन जब मेरे देश में आरक्षण व्यवस्था चल रही है तो मैं सभी को समान अधिकार कैसे दे सकता हूं? बी. सी. के इतने प्रतिशत के लिए आरक्षण इतना प्रतिशत है कि चूंकि गरीब हर जाति में हैं, इसलिए ऐसी कोई जाति नहीं है कि गरीब केवल निचले वर्ग में पाए जाते हैं और प्रतिशत में अधिक हैं। लेकिन अगर गरीबी हर वर्ग में है, तो आरक्षण के अनुसार समान अधिकार उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए समान अधिकार हमारी समझ है। यह उचित समान अधिकार नहीं है तो यह कहा जाता है कि परिवार में हर कोई अगर बच्चों के लिए ट्रॉफी लाता है तो घर में चार बच्चे होते हैं तो चार टॉफी लेते हैं या आठ टॉफी लेते हैं जिसे समान अधिकार कहा जाता है। अगर हम तीन भाई हैं, सभी की पत्नियां हैं, बच्चे हैं, तो एक अभिभावक या जो कोई बड़ा या छोटा है वह बाजार से सामान लाता है, तो वह इसे सभी के लिए लाता है, अगर केवल अपने परिवार के लिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से अलोक श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि तैंतीस प्रतिशत सरकार ने महिलाओं को आरक्षण दिया है। ऐसा क्यों हो रहा है, सरकार इस बारे में बहुत कुछ कहती है कि जिस दिन हम महिलाओं के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलेंगे, वह दिन कहां होगा। सरकार यह भी कहती है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लेकिन अब गाँव जाओ और देखो कि लड़कियाँ प्राथमिक विद्यालय से लेकर अगर गाँव तक प्राथमिक विद्यालय में जाती हैं। एक जूनियर स्कूल है, फिर लड़कियाँ जूनियर स्कूल पहुँच गई हैं, फिर कई घर हैं जो लड़कियों को पढ़ाना नहीं चाहते हैं, उन्हें बाहर नहीं भेजना चाहते हैं। आज की लगभग पचासी प्रतिशत लड़कियाँ भी पढ़ाती हैं और घर से पढ़ना चाहती हैं। यह भी मुफ्त कर दिया गया है कि तुम पढ़ाई करो और लोग भी ऐसा ही कहते हैं। बेटी को कैसे आगे ले जाया जाए, यह भी डायरी में सुना जाने वाला विषय है। बेटियों या महिलाओं को आगे ले जाने के लिए, वह खुद से आगे नहीं, बल्कि हम सभी से पहले जाएगी। उन्हें अभी शुरू से ही आगे आना होगा, लेकिन इस युग में ठीक है, इस आधुनिक युग में ठीक है, लेकिन जो बूढ़ी औरतें हैं, उन्हें बस में बिठाया जाना चाहिए और जाने के लिए कहा जाना चाहिए। बस्ती समकबीर शहर से बैठा है, अगर उन्हें बस्ती में उतरना है, तो वे उतर नहीं पाएंगे, इसलिए इसके लिए हमें उन्हें दो-चार बार साथ ले जाना होगा और उन्हें थोड़ा जागरूक करना होगा, फिर उनके लिए उनकी जागरूकता। वह उनका डर खोल देगी और वे स्वतंत्र रूप से कहीं भी आ सकते हैं, किसी से भी बात कर सकते हैं, डॉक्टर को दिखा सकते हैं, अपनी कहानी बताने के लिए स्वतंत्र महसूस कर सकते हैं

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