"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ श्री जीवदास साहू ,टमाटर की खेती के सम्बन्ध में जानकारी दे रहे है। टमाटर के उन्नत किस्म और इसके उपचार की अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

इस कार्यक्रम में हम जानेंगे जल संरक्षण और ऊर्जा बचत से जुड़ी सरकारी योजनाओं के बारे में। साथ ही, यह कार्यक्रम बताएगा कि आप इन योजनाओं का लाभ कैसे उठा सकते हैं और अपने गाँव के विकास में कैसे योगदान दे सकते हैं। स्वच्छ पानी और सतत ऊर्जा के महत्व को समझते हुए, हम एक बेहतर कल की ओर कदम बढ़ाएंगे। क्या जल सरंक्षण की योजनाओं के बारे में आपने भी सुना है, क्या आप इन योजनाओं का लाभ आपने भी उठाया है, क्या आपके गाँव में जल सरंक्षण की कोई प्रेरणादायी कहानी है ?

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गांव आजीविका और हम के इस कड़ी में हम हमारे विशेषज्ञ जीवदास साहू द्वारा जानेंगे बरसात के मौसम में बैगन की अच्छी फसल के लिए सिंचाई और दवा के बारे में।अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से लेकर रामप्रकाश सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि बारिश नहीं होने से किसानों की फसल बर्बाद होने की आशंका है। हर ग्राम पंचायत में सरकारी ट्यूबवेल लगाए गए हैं लेकिन जल निगम पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है बारिश न होने से किसान की फसल फंसी हुई है और बारिश न होने से सारी समस्याएं बढ़ रही हैं और गर्मी गर्म हो रही है और सारी समस्याएं ऐसी ही हैं। हम इस उम्मीद के साथ बैठे थे कि हमारी फसल तैयार हो जाएगी, इसलिए मोबाइल आवाज से मेल खाने के लिए धन्यवाद।

इस एपिसोड के मुख्य विषय, वर्षा जल संग्रहण, को दर्शाता है। "बूंद-बूंद से सागर" मुहावरा छोटे प्रयासों से बड़े परिणाम प्राप्त करने की भावना को व्यक्त करता है। यह श्रोताओं को प्रेरित करता है कि वर्षा की हर बूंद महत्वपूर्ण है और उसका संग्रहण करके हम बड़े बदलाव ला सकते हैं। क्या आप वर्षा जल को इक्कट्ठा करने और सिंचाई से जुडी किसी रणनीति को अपनाना चाहेंगे? और क्या आपके समुदाय में भी ऐसी कहानियाँ हैं जहाँ लोगों ने इन उपायों का इस्तेमाल करके चुनौतियों का सामना किया है?

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के. सी. चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की किसान बारिश की कमी से पीड़ित हैं, वातावरण इतना प्रदूषित हो रहा है कि कभी-कभी भारी बारिश होती है और कभी-कभी बहुत कम बारिश होती है, यही मुख्य कारण है कि संत कबीर नगर में इस समय फसलें सूखने के कगार पर हैं। माना जा रहा है कि इसका कारण यह है कि वातावरण का प्रदूषण बढ़ रहा है और पेड़-पौधों की संख्या कम हो रही है, जिससे कभी धूप निकलती है, कभी बहुत ठंड होती है, कभी बहुत हवा चलती है। इसलिए कभी-कभी सूखे की स्थिति होती है, जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वहां बारिश लानी है तो वहां पेड़ लगाना भी जरूरी है।

यह एपिसोड बदलते मौसम और असामान्य बारिश के कारण कृषि क्षेत्र पर पड़ने वाले विभिन्न प्रभावों की व्यापक चर्चा करता है। फसल उत्पादन, मिट्टी की गुणवत्ता, पानी प्रबंधन और किसानों की आजीविका पर पड़ने वाले असर का विस्तृत विवरण दिया गया है। साथ ही, इन चुनौतियों से निपटने के लिए किसानों द्वारा अपनाए जा रहे समाधानों और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया है।

भारत जैसे देश में महिलाओं की स्थिति का थोड़ा सा अंदाजा इन आंकड़ों से भी लग सकता है। आजादी के महज चार सालों बाद साल 1951 में भारत की कुल साक्षरता दर केवल 18.3 फीसदी थी, इसमें से महिलाओं की साक्षरता दर 9 फीसदी से भी कम थी। वहीं, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के डाटा के अनुसार साल 2021 में देश की औसत साक्षरता दर 77.70 प्रतिशत थी जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 84.70 प्रतिशत, जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 70.30 प्रतिशत थी। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि आजादी के बाद से अब तक महिलाओं की साक्षरता दर में वृद्धि हुई है। दोस्तों, *----- आपको क्या लगता है कि महिलाओं के प्रति हो रहे भेदभाव की क्या वजह हैं, "*----- महिलाओं के पास भी भूमि अधिकार हों! इस नज़रिए से हमारे कानूनों और नीतियों में आपको क्या कोई कमियां नज़र आती हैं? *----- महिलाओं को भूमि का अधिकार मिले , इसे हासिल करने के लिए हमारे कानूनों के नीतियों में ऐसे कौन से बदलाव होने चाहिए जिससे महिलाओं के लिए भूमि अधिकार पाना कुछ आसान बन सके?"

यह कार्यक्रम मौसम में आ रहे बदलावों और उनसे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने वाले प्रभावों पर केंद्रित है। इसमें बारिश के अनिश्चित पैटर्न से उत्पन्न चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में यह भी बताया जाएगा कि कैसे ये बदलाव किसानों से लेकर शहरी नागरिकों तक, सभी के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। आपने और आपके आसपास के लोगों ने बदलते बारिश के पैटर्न के बारे में क्या अनुभव किया है? क्या आपको या आपके जानने वालों को इससे कोई चुनौती झेलनी पड़ी है?