उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के सी चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से लोकनाथ यादव से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि महिलाओं को भूमि अधिकार देना अनुउचित है इससे भाई-बहन के रिश्ते में दरार पैदा हो सकता है। सत्तर प्रतिशत लोग मुकदमे के दायरे में आ जायेंगे , इससे नुकसान हो सकता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय मोबाइल वाणी के माध्यम से अनीता से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि पैतृक संपत्ति में बेटियों को हिस्सा नहीं मिलना चाहिए। उन्हें पढ़ाया लिखाया जाता है ,दान दहेज देकर शादी किया जाता है। उनका अधिकार ससुराल में होना चाहिए ना कि मायके में। बेटा के ना रहने पर माँ बाप की सेवा करने पर बेटियों को अधिकार मिलता है जैसे बेटे माँ बाप की सेवा करते हैं तो उन्हें सम्पत्ति का अधिकार मिलता है। बेटा बेटी एक समान हैं लेकिन बेटियां जहाँ जायँगी वहां हिस्सा मिलेगा ही और बेटा जिसे ब्याह कर लाएगा उसे हिस्सा देना ही होगा। भाई का हिस्सा लेने से भाई बहन के रिश्ते में दरार जाएगा उनके रिश्ते में खटास हो जाएगा

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय मोबाइल वाणी के माध्यम से अंकिता यादव से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि पिता की सम्पत्ति में बेटियों को अधिकार नहीं मिलना चाहिए बेटे ना हो और माँ बाप की सेवा करेंगे ध्यान देंगे तो बेटियों को हिस्सा मिलना चाहिए। माँ बाप पढ़ाते लिखाते हैं , शादी विवाह करते हैं दान दहेज देकर। किसी को इंजीनियर किसी को डॉक्टर बनाते हैं.

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय मोबाइल वाणी के माध्यम से शिवांगी यादव से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि बेटे ना हो और माँ बाप की सेवा करेंगे ध्यान देंगे तो बेटियों को हिस्सा मिलना चाहिए। माँ बाप पढ़ाते लिखाते हैं , शादी विवाह करते हैं दान दहेज देकर। इसलिए उनका हिस्सा ससुराल में होना चाहिए।भाई को इंजीनियर डॉक्टर बनाते हैं माँ बाप का सहारा बनते हैं। भाई के रहने पर हिस्सा नहीं ले सकते भाई नहीं है तो हिस्सा ले सकते हैं नहीं तो भाई बहन के रिश्ते में दरार आ जाएगा खटास आ जाएगा

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय मोबाइल वाणी के माध्यम से शिवम यादव से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि अगर बेटी को हिस्सा मिलता है, बेटी को हिस्सा कब मिलना चाहिए, जब बेटा नहीं रहता है, तो बेटी को हिस्सा मिलना चाहिए, अगर वे अपने माता-पिता की सेवा करते हैं, तो बेटी को हिस्सा मिलना चाहिए। बेटियाँ अपने माता-पिता द्वारा सिखाई जाती हैं, उन्हें नौकरी मिलती है, शादी भी करते हैं बेटे नहीं हैं, बेटियों के लिए हिस्सा पाने का पूरा मतलब यह है कि उनके पास अधिकार हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय मोबाइल वाणी के माध्यम से रिंकी यादव से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि बेटियों को पिता की सम्पत्ति में हिस्सा नहीं मिलना चाहिए। यदि बेटे हैं तो बेटों को हिस्सा मिलना चाहिए क्यूंकि भाई माता पिता की सेवा करते हैं उनका साथ देना चाहिए। माता पिता बेटियों को पढ़ाते लिखाते हैं ,शादी विवाह भी करते हैं दान दहेज़ भी देते हैं विदा भी करते हैं। बेटे अगर हैं तो बेटियों को हिस्सा नहीं मिलना चाहिए। शादी के बाद उनको ससुराल में हिस्सा मिलेगा। बेटियां अगर हिस्सा लेती हैं तो रिश्ते में दरार पड़ सकता है रिश्ते में खटास आ जाती है

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के सी चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से रवि कुमार से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि महिलााओं को संपत्ति का अधिकार दिया जाना चाहिए। लेकिन यह अनुचित भी है इससे भाई बहन के रिश्ते में दरार भी आ सकता है

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय मोबाइल वाणी के माध्यम से आरती यादव से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि पैतृक संपत्ति में बेटे हैं तो बेटियों को अधिकार नहीं मिलेगा। बेटे माँ बाप की सेवा करते हैं इसलिए बेटों का अधिकार होता है। बेटे नहीं रहेंगे तो बेटियों का अधिकार हो सकता है। बेटियों का शादी विवाह करते हैं तो उनका अधिकार ससुराल में होता ही है। पढ़ाते लिखाते हैं नौकरी करवाते हैं दान दहेज़ देते हैं किसी को डॉक्टर किसी को इंजिनियर बनाते हैं इसलिए बेटियों को पढ़ाया लिखाया जाता है

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय मोबाइल वाणी के माध्यम से सरिता चौधरी से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि पैतृक संपत्ति में बेटियों को हिस्सा मिलना चाहिए। बेटा बेटी बराबर हैं। माँ बाप बेटियों की शादी विवाह करते हैं ताकि वे अच्छे से रहें। ससुराल में उनका भी हिस्सा बनता है। माँ बाप पढ़ाते लिखाते हैं डॉक्टर इंजिनियर बनाते हैं। मायके में बेटे नहीं हैं तो बेटियों का हिस्सा बनता है

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से सरोज चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं के कृषि उद्योग में शामिल होने से महिलाओं के आर्थिक विकास के साथ साथ ग्रामीण विकास में भी मदद मिलेगी। स्वयं सहायत समूह छोटे कृषि उद्योग को चलने में मदद कर सकते है, जैसे की दुग्ध उत्पादन, शहद उत्पाद , बागबानी और जैविक खाद निर्माण आदि। महिलाओं को कृषि आधारित उद्योग के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, विकास कार्यकर्मो से जोड़ना चाहिए।