उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के. सी. चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि पानी जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, चाहे वह पौधा हो या इंसान या पक्षी सभी के लिए जल जीवन है, लेकिन पानी की आपूर्ति और पानी से विषाक्त लोग पी रहे हैं, यह अक्सर देखा जाता है कि गाँव में सरकारी हैंडपंपों पर कूड़े का निशान लगा दिया गया है लेकिन उस नल या हैंडपंप या सरकारी हैंडपंप की मरम्मत नहीं की गई है। संत कबीर नगर में अक्सर कई गांवों में ऐसी स्थिति बनी रहती है कि कूड़े के निशान के बाद भी पानी नहीं है। हालाँकि सरकार का कहना है कि अब गाँव में हैंडपंप के स्थान पर पानी की टंकी लगाई जा रही है,लेकिन पानी की टंकी सो पीस बन कर रह गयी है जहाँ भी टंकी लगाया जा रहा है वहां आधा अधूरा छोड़ दिया जा रहा है और लोगों के आधार कार्ड लिए जा रहे हैं और वहां पूर्ति दिखाई जा रही है लेकिन लोग जहरीला पानी पीने के लिए मजबूर हैं यहां देखा जाए तो कई लोग स्टोरोन किडनी सहित कई बीमारियों से पीड़ित हैं। सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि दूषित पानी लोगों तक न पहुंचे ताकि लोग साफ पानी पी सकें।
उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से रजनीश कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से महिलाओं के अधिकार के बारे में बता रहे है जैसे सामान वेतन ,घरेलू हिंसासे सुरक्षा ,काम काज़ी महिलाओं को मातृ सम्बन्धी लाभ ,मुफ़्त कानूनी मदद का अधिकार ,पुश्तैनी संपत्ति का अधिकार ,काम पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत का अधिकार आदि
उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से सरोज चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि अपनी ज़मीन अपनी आवाज़ महिलाओं की स्थिति और स्वतंत्रता के बाद, यह कहना आवश्यक है कि स्थिति काफी अच्छी है। महिलाओं की प्रगति और स्वतंत्रता क्षेत्रों, समाजों और संस्कृतियों में भिन्न होती है, हालांकि शहरी क्षेत्रों में कुछ महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है और वे अधिक स्वतंत्र निर्णय ले सकती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाएं अभी भी सामाजिक संरचनाओं और मान्यताओं के कारण वंचित हैं जो अभी तक नहीं बनाई गई हैं। शिक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता ने महिलाओं को अधिक स्वच्छता और निर्णय लेने की क्षमता दी है। शिक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता महिलाओं के अपने निर्णय लेने की अधिक संभावना है कई देशों में महिलाओं के प्रजनन अधिकारों की रक्षा के लिए कानून में सुधार किया गया है, लेकिन इन सुधारों का प्रभाव पूरी तरह से लागू नहीं किया जा रहा है। वहाँ की महिलाओं ने पिछले कुछ दशकों में महत्वपूर्ण प्रगति की है लेकिन पूर्ण स्वतंत्रता और समानता की दिशा में अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
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उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के. सी. चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि दूषित पानी पीने के लिए लोग मजबूर हो रहे हैं सरकार द्वारा गांव में हैंडपंप लगाए जा रहे हैं लेकिन हैंडपंप पर अक्सर देखने को मिल रहा है वहां दुसित पानी मिलता है। दुसित पानी मिलने के चलते वहां निशान भी लगाया जाता है लेकिन व्यवस्था अभी भी वही है कि अधिकारी और कर्मचारी निशान लगाकर गायब हो रहे हैं। नल की स्थिति और दिशा में अभी तक सुधार नहीं हुआ है। गाँव वालों का कहना है कि गाँव में अब जो पानी की टंकी लगाई जा रही है, वह भी लगभग दो साल से इस स्थिति में पड़ा हुआ है, अपूर्णता के कारण पानी की आपूर्ति उपलब्ध नहीं है। अक्सर ग्रामीणों को दूषित पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि जब सरकार को व्यवस्था नहीं करनी थी, तो नल पर निशान क्यों लगाया गया?
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संतकबीरनगरः पानी की तरह पैसा बहाने के बाद भी परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की संख्या साल दर साल घटती जा रही है। पिछले साल से 28 हजार बच्चे कम हो गए है जो विभाग के लिए परेशान का सबब बन गया है।बेसिक शिक्षा परिषद के शहर से लैकर गांवों तक स्कूल हैं। कुल 1247 विद्यालयों में 4768 शिक्षक कार्यरत है। ज्यादा से ज्यादा बच्चे इन विद्यालयों में आए, इसके लिए सरकार की ओर से तमाम सहूलियतें दी जाती हैं। फिर भी बच्चों की संख्या बढ़ने की जगह कम होती जा रही है। साल प्राप्त आंकड़े के अनुसार 2022-23 में एक लाख 32 हजार थी। इस वर्ष 2023-24 में यह संख्या एक लाख चार हजार पहुंच गई है। बच्चों के नामांकन के लिए एक जुलाई से स्कूल चलो अभियान शुरू किया गया था। 15 जुलाई तक स्कूलों में बच्चों के दाखिले किए जाने थे। लेकिन वह भी पूरा नहीं हुआ। कुल एक लाख चार हजार ही पंजीकरण हो पाया। इस बारे में पूछे जाने पर बीएसए अमित कुमार सिंह ने बताया कि परिषदीय विद्यालय में बच्चों को विभिन्न तरह की सुविधाएं दी जाती है जैसे पठन पाठन की व्यवस्था नि:शुल्क होती है। मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जाता है। नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती है। दो जोड़ी यूनिफाॅर्म, जूते और बैग खरीदने के लिए अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये भेजे जाते है। फिर भी बच्चों की संख्या में कमी आ रही जल्द अध्यापकों पर नकेल कसा जायेगा।
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उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से अनंत कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं को सभी अधिकार मिलना चाहिए अभी की महिलाएं हर क्षेत्र में सबसे आगे हैं चाहे वह शिक्षा हो या नौकरी।
सारण से अजय कुमार की रिपोर्ट।।जीरो डोज और नियमित टीकाकरण के सुदृढ़ीकरण को लेकर आशा और मोबलाइजर के प्रशिक्षण के लिए जिला स्तर पर प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण आयोजित: जिला स्तरीय पदाधिकारियों सहित डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ और यूएनडीपी के अधिकारी हुए शामिल: नियमित टीकाकरण के दौरान आने वाली चुनौतियों और समस्या के समाधान से संबंधित कर्मियों के साथ की गई चर्चा: नियमित टीकाकरण को शत प्रतिशत कराने में स्वास्थ्य कर्मियों का क्षमता वर्धन और कौशल विकास करना अतिआवश्यक: सिविल सर्जन प्राथमिकता के आधार पर टीकों से वंचित रहने वाले बच्चों कि पहचान करना और घर तक पहुंच बनाकर नियमित टीकाकरण करना मुख्य उद्देश्य: डीआईओ छपरा, 15 जुलाई। नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत जीरो डोज वाले बच्चों की संख्या को कम से कम करने और नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को बढ़ाने को लेकर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ा तेलपा और मासूमगंज सहित जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक और सामुदायिक स्वास्थ्य उत्प्रेरक सहित कई अन्य जिला स्तरीय अधिकारी और कर्मियों को प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टीओटी) का आयोजन सदर अस्पताल परिसर स्थित जीएनएम स्कूल के सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ताकि यह सभी अधिकारी अपने - अपने क्षेत्र की आशा फैसिलिटेटर और आशा कार्यकर्ताओं को जीरो डोज को शत प्रतिशत पूरा कर नियमित टीकाकरण अभियान को शत प्रतिशत सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। इस दौरान उपस्थित सभी अधिकारियों द्वारा जिले में नियमित टीकाकरण का प्रतिशत लगभग 89% से बढ़ाकर 95% तक लाने में अपनी सहमति जताई गई। साथ ही कार्यशाला के दौरान नियमित टीकाकरण के दौरान आने वाली परेशानियों और उसके समाधान के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ चंदेश्वर प्रसाद सिंह, गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ भूपेंद्र कुमार, डीपीएम अरविंद कुमार, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ रंजितेष, यूनिसेफ की एसएमसी आरती त्रिपाठी, यूएनडीपी के वीसीसीएम अंशुमान पाण्डेय और सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी के अलावा जिले के सभी एमओआईसी, बीएचएम और बीसीएम शामिल थे। नियमित टीकाकरण को शत प्रतिशत कराने में स्वास्थ्य कर्मियों का क्षमता वर्धन और कौशल विकास करना अतिआवश्यक: सिविल सर्जन सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को शत प्रतिशत करना है। जिसको लेकर जिले के सभी प्रखंडों से आए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम और बीसीएम के साथ विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान बताया गया कि नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर पर एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं का नियमित रूप से बैठक और प्रखंड स्तर से नियमित रूप से अनुश्रवण और मूल्यांकन कर ड्यू लिस्ट की गहनता पूर्वक जांच करना है। क्योंकि नियमित रूप से निगरानी करने के बाद ही नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य संस्थान स्तर पर माइक्रो प्लान के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों का क्षमता निर्माण और कौशल विकास करना भी अतिआवश्यक है। जिसको लिए जीरो डोज और नियमित टीकाकरण के सुदृढ़ीकरण को लेकर आशा और मोबलाइजर के प्रशिक्षण के लिए जिला स्तर पर प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्राथमिकता के आधार पर टीकों से वंचित रहने वाले बच्चों कि पहचान करना और घर तक पहुंच बनाकर नियमित टीकाकरण करना मुख्य उद्देश्य: डीआईओ जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ चंदेश्वर प्रसाद सिंह ने प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टीओटी) को संबोधित करते हुए कहा कि रूटीन इम्यूनाइजेशन एजेंडा- 2030 के अनुसार जीरो डोज वाले बच्चों कि संख्या को कम से कम करने और इसके लिए प्रत्येक लाभार्थियों तक पहुंच और सभी बच्चों का शत प्रतिशत टीकाकरण किस प्रकार से किया जाए, इसको लेकर स्वस्थ विभाग की ओर से आशा फेसिलेटेटर सहित कई अन्य कर्मियों के साथ यह कार्यशाला आयोजित की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि जीरो डोज वाले बच्चा से तात्पर्य यह है कि वैसे बच्चे जो क्षेत्र के विभिन्न चयनित टीकाकारण सत्र स्थलों तक नहीं पहुंच पाते हैं। हालांकि यह वहीं बच्चे हैं जो नवजात शिशु होते हैं जिन्हें पेंटावेलेंट की पहली खुराक 6 सप्ताह की उम्र में दी जाती है, लेकिन किसी कारणवश नहीं ले पाते हैं। क्योंकि ऐसे बच्चे आगे चलकर सभी टीकों से वंचित रह जाते हैं। उन बच्चों कि पहचान करना, उनके घर तक पहुंचना और उनको भी नियमित टीकाकरण से आच्छादित करना है।
