संतकबीरनगरः पानी की तरह पैसा बहाने के बाद भी परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की संख्या साल दर साल घटती जा रही है। पिछले साल से 28 हजार बच्चे कम हो गए है जो विभाग के लिए परेशान का सबब बन गया है।बेसिक शिक्षा परिषद के शहर से लैकर गांवों तक स्कूल हैं। कुल 1247 विद्यालयों में 4768 शिक्षक कार्यरत है। ज्यादा से ज्यादा बच्चे इन विद्यालयों में आए, इसके लिए सरकार की ओर से तमाम सहूलियतें दी जाती हैं। फिर भी बच्चों की संख्या बढ़ने की जगह कम होती जा रही है। साल प्राप्त आंकड़े के अनुसार 2022-23 में एक लाख 32 हजार थी। इस वर्ष 2023-24 में यह संख्या एक लाख चार हजार पहुंच गई है। बच्चों के नामांकन के लिए एक जुलाई से स्कूल चलो अभियान शुरू किया गया था। 15 जुलाई तक स्कूलों में बच्चों के दाखिले किए जाने थे। लेकिन वह भी पूरा नहीं हुआ। कुल एक लाख चार हजार ही पंजीकरण हो पाया। इस बारे में पूछे जाने पर बीएसए अमित कुमार सिंह ने बताया कि परिषदीय विद्यालय में बच्चों को विभिन्न तरह की सुविधाएं दी जाती है जैसे पठन पाठन की व्यवस्था नि:शुल्क होती है। मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जाता है। नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती है। दो जोड़ी यूनिफाॅर्म, जूते और बैग खरीदने के लिए अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये भेजे जाते है। फिर भी बच्चों की संख्या में कमी आ रही जल्द अध्यापकों पर नकेल कसा जायेगा।
Transcript Unavailable.
उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से अनंत कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं को सभी अधिकार मिलना चाहिए अभी की महिलाएं हर क्षेत्र में सबसे आगे हैं चाहे वह शिक्षा हो या नौकरी।
सारण से अजय कुमार की रिपोर्ट।।जीरो डोज और नियमित टीकाकरण के सुदृढ़ीकरण को लेकर आशा और मोबलाइजर के प्रशिक्षण के लिए जिला स्तर पर प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण आयोजित: जिला स्तरीय पदाधिकारियों सहित डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ और यूएनडीपी के अधिकारी हुए शामिल: नियमित टीकाकरण के दौरान आने वाली चुनौतियों और समस्या के समाधान से संबंधित कर्मियों के साथ की गई चर्चा: नियमित टीकाकरण को शत प्रतिशत कराने में स्वास्थ्य कर्मियों का क्षमता वर्धन और कौशल विकास करना अतिआवश्यक: सिविल सर्जन प्राथमिकता के आधार पर टीकों से वंचित रहने वाले बच्चों कि पहचान करना और घर तक पहुंच बनाकर नियमित टीकाकरण करना मुख्य उद्देश्य: डीआईओ छपरा, 15 जुलाई। नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत जीरो डोज वाले बच्चों की संख्या को कम से कम करने और नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को बढ़ाने को लेकर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ा तेलपा और मासूमगंज सहित जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक और सामुदायिक स्वास्थ्य उत्प्रेरक सहित कई अन्य जिला स्तरीय अधिकारी और कर्मियों को प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टीओटी) का आयोजन सदर अस्पताल परिसर स्थित जीएनएम स्कूल के सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ताकि यह सभी अधिकारी अपने - अपने क्षेत्र की आशा फैसिलिटेटर और आशा कार्यकर्ताओं को जीरो डोज को शत प्रतिशत पूरा कर नियमित टीकाकरण अभियान को शत प्रतिशत सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। इस दौरान उपस्थित सभी अधिकारियों द्वारा जिले में नियमित टीकाकरण का प्रतिशत लगभग 89% से बढ़ाकर 95% तक लाने में अपनी सहमति जताई गई। साथ ही कार्यशाला के दौरान नियमित टीकाकरण के दौरान आने वाली परेशानियों और उसके समाधान के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ चंदेश्वर प्रसाद सिंह, गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ भूपेंद्र कुमार, डीपीएम अरविंद कुमार, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ रंजितेष, यूनिसेफ की एसएमसी आरती त्रिपाठी, यूएनडीपी के वीसीसीएम अंशुमान पाण्डेय और सिफार के धर्मेंद्र रस्तोगी के अलावा जिले के सभी एमओआईसी, बीएचएम और बीसीएम शामिल थे। नियमित टीकाकरण को शत प्रतिशत कराने में स्वास्थ्य कर्मियों का क्षमता वर्धन और कौशल विकास करना अतिआवश्यक: सिविल सर्जन सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को शत प्रतिशत करना है। जिसको लेकर जिले के सभी प्रखंडों से आए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम और बीसीएम के साथ विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान बताया गया कि नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर पर एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं का नियमित रूप से बैठक और प्रखंड स्तर से नियमित रूप से अनुश्रवण और मूल्यांकन कर ड्यू लिस्ट की गहनता पूर्वक जांच करना है। क्योंकि नियमित रूप से निगरानी करने के बाद ही नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य संस्थान स्तर पर माइक्रो प्लान के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों का क्षमता निर्माण और कौशल विकास करना भी अतिआवश्यक है। जिसको लिए जीरो डोज और नियमित टीकाकरण के सुदृढ़ीकरण को लेकर आशा और मोबलाइजर के प्रशिक्षण के लिए जिला स्तर पर प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्राथमिकता के आधार पर टीकों से वंचित रहने वाले बच्चों कि पहचान करना और घर तक पहुंच बनाकर नियमित टीकाकरण करना मुख्य उद्देश्य: डीआईओ जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ चंदेश्वर प्रसाद सिंह ने प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टीओटी) को संबोधित करते हुए कहा कि रूटीन इम्यूनाइजेशन एजेंडा- 2030 के अनुसार जीरो डोज वाले बच्चों कि संख्या को कम से कम करने और इसके लिए प्रत्येक लाभार्थियों तक पहुंच और सभी बच्चों का शत प्रतिशत टीकाकरण किस प्रकार से किया जाए, इसको लेकर स्वस्थ विभाग की ओर से आशा फेसिलेटेटर सहित कई अन्य कर्मियों के साथ यह कार्यशाला आयोजित की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि जीरो डोज वाले बच्चा से तात्पर्य यह है कि वैसे बच्चे जो क्षेत्र के विभिन्न चयनित टीकाकारण सत्र स्थलों तक नहीं पहुंच पाते हैं। हालांकि यह वहीं बच्चे हैं जो नवजात शिशु होते हैं जिन्हें पेंटावेलेंट की पहली खुराक 6 सप्ताह की उम्र में दी जाती है, लेकिन किसी कारणवश नहीं ले पाते हैं। क्योंकि ऐसे बच्चे आगे चलकर सभी टीकों से वंचित रह जाते हैं। उन बच्चों कि पहचान करना, उनके घर तक पहुंचना और उनको भी नियमित टीकाकरण से आच्छादित करना है।
सरकारी राशन के दुकानदार पर अनियमितता की शिकायत पर पहुंचे सप्लाई इन्स्पेक्टर ग्रामीणों से लिया फीडबैक रिपोर्ट को शासन को भेजें जाने की कही बात। बेलहर विकास खण्ड क्षेत्र ग्राम पंचायत रमवापुर में सरकारी राशन की दुकान पर राशन घटतौली समय पर राशन ना देना आदि समस्याओं को लेकर शिकायत विरेन्द्र गुप्ता समेत आदि ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री पोर्टल एवं तहसील समाधान दिवस में शिकायत दर्ज कराया था इसी जांच में सप्लाई इंस्पेक्टर अपनी चार सदस्यीय टीम के साथ गांव में पहुंचकर ग्रामीणों का बारी बारी से बयान दर्ज कराया।इस दौरान ग्रामीण विरेन्द्र गुप्ता,रामजीत, मन्नू यादव, समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।इस बारे में पूछे जाने पर सप्लाई इन्स्पेक्टर अभिषेक ने बताया कि ग्रामीणों की शिकायत पर टीम रमवापुर में पहुंची थी ग्रामीणों का बयान दर्ज कराया गया है शासन को रिपोर्ट भेजा जायेगा।जैसा निर्देश आयेगा कारवाई की जायेगी।
उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के सी चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि लोगों को ध्यान रखना चाहिए कि लोग बच्चों की शिक्षा में लड़कियों को बढ़ावा क्यों नहीं देते हैं, और लड़कियों के अधिकारों पर ध्यान क्यों नहीं देते हैं। अगर एक शिक्षित समाज होगा, तभी देश का विकास होगा, जैसा कि कहा जाता रहा है कि महिलाएं प्राचीन काल से पुरुषों का अभिन्न अंग हैं अगर एक शिक्षित समाज होगा तो देश का विकास होगा जैसा कि आज भी कहा जाता रहा है। हालांकि कुछ स्थानों पर महिलाएं आगे हैं, लेकिन कई क्षेत्रों में शिक्षा की कमी के कारण अभी भी महिलाएं पिछड़ी हुयी हैं। अधूरी जानकारी के अभाव में लोग अपने अधिकारों की लड़ाई में पीछे रह जाते हैं, जिससे लोग महिलाओं पर ध्यान नहीं देते कि वे शिक्षित होंगी या नहीं। इसलिए यह आवश्यक है कि महिलाएं अपने घर की लड़कियों को भी शिक्षित करें। एक शिक्षित समाज भारत का एकमात्र मजबूत विकास है
Transcript Unavailable.
उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से रामप्रकाश सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि मोबाइल वाणी पर चल रहे कार्यक्रम से लैंगिक समानता का अधिकार का मुद्दा बहुत अच्छे से उठाया जा रहा। समाज को जोड़ने और महिलाओं को जागरूक करने के लिए उनकी आवाज उठाने के लिए यह बहुत अच्छा कार्यक्रम है.और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उनकी आवाज़ उठाने के लिए यह बहुत अच्छा कार्यक्रम है। क्योंकि महिलाएं अभी भी पीछे हैं महिलाएं संपत्ति में अधिकार प्राप्त करने से बहुत कुछ कर सकती हैं, जबकि महिलाएं भी ज्यादातर कृषि में काम करती हैं और घरों में काम करती हैं। हर जगह महिला समूह चल रहे हैं और महिलाएं काम कर रही हैं वे बैंकों में काम कर रही हैं साथ ही स्टेशन पर काम कर रही हैं। इसलिए उन्हें सभी अधिकार मिलना चाहिए
Transcript Unavailable.
उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से राम प्रकाश सिंह , मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि बहन के शादी में लगभग 8 से 9 लाख रूपए खर्च होते है। बहन का हिस्सा तो जरूर होता है संपत्ति में ,पर उसकी शादी में 1 या 2 बीघा जमीन बेचना पड़ता है और इसी नाते बहन को संपत्ति में अधिकार नहीं मिल पाता है। उन्हें ससुराल में पति के मृत्यु के बाद संपत्ति में हिस्सा मिल पता है।