बिहार राज्य के सिवान जिला के हसनपुरा प्रखंड के हरपुर कोटवा पंचायत के चांद परसा स्थित राम जानकी मंदिर में चल रहे सात दिवसीय श्रीराम कथा में बनारस से पधारे श्रद्धेय स्वामी संदीपाचार्य मानस मधुकर ने अपनी अमृतमय वाणी से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि जहां भगवान श्रीराम की कृपा होती है, उसी जगह रामकथा संभव हो पाती है। राम की कृपा वहीं होती है, जहां उनके भक्त रहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु ने ही मानव शरीर बनाया है। लेकिन पुरुषार्थ मानव का धर्म है। बिना परिश्रम के कुछ भी मिलना असंभव है। रामकथा से हर जीव की व्यथा दूर हो जाती है। संसार के सभी जीवों का मंगल रामकथा के श्रवणपान से ही हो जाएगा। स्वामी जी ने आगे कहा कि भगवान भक्ति के अधीन होते हैं। श्रद्धापूर्वक की गई भक्ति के आगे वह विवश रहते हैं। भगवान का सच्चा भक्त उन्हें जिस रूप में याद करता है, वह उसी रूप में दर्शन देते है। रामकथा सुनने से ही घर मे कलश दूर हो जाते हैं, यह विवेक की अरणी है। ज्ञान की दृष्टि से संसार को चार भागों में बांटा गया है इस दौरान स्वामी संदीपाचार्य मानस मधुकर ने कहा कि ज्ञान की दृष्टि से संसार को चार भागों में बांटा गया है- पहला निरक्षर, दूसरा वर्ग है साक्षर, तीसरा वर्ग शिक्षित एवं चौथा वर्ग ज्ञानी है। जो सबसे ऊपर होता है, वह है विवेकी। उन्होंने कथा को आगे बढ़ते हुए कहा कि राम नाम तो अविनाशी है। दुनिया इधर से उधर हो जाए, सब कुछ बदल जाए पर यह राम नाम ज्यों का त्यों यूं ही सदा बना रहेगा। इस राम नाम की महिमा कभी भी कम नहीं होगी बल्कि दिन-प्रतिदिन इसकी महिमा बढ़ते ही जाएगी। उन्होंने कहा कि श्रीरामचरित मानस के कथा श्रवण से मानव जीवन में मोक्ष प्राप्ति में सफलता मिलती है। श्रद्धालुओं को श्रीराम चरित मानस का महत्व बताते कहा कि तुलसीदास द्वारा रचित श्रीराम चरित मानस में मानव जीवन के रहस्य छुपे हुए हैं। वही पंजाब से पहुंचे ओम दीपक आर्ट के कलाकारों द्वारा कथा के बीच-बीच में शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण, व वीर हनुमानजी की झाकियां प्रस्तुत की गई। जो आस्था का केंद्र रहा। मौके पर कथा सुनने के लिए पंडाल में सैकड़ों महिला-पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे।