सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
दोस्तों इस तरह के बाबाओं द्वारा चलाई जा रही धर्म की दुकानों पर आपका क्या मानना है, क्या आपको भी लगता है कि इन पर रोक लगाई जानी चाहिए या फिर इनको ऐसे ही चलते ही रहने देना चाहिए? या फिर हर धर्म और संप्रदाय के प्रमुखों द्वारा धर्म के वास्तविक उद्देश्यों का प्रचार प्रसार कर अंधविश्वास में पड़े लोगों को धर्म का वास्तविक मर्म समझाना चाहिए। जो भी आप इस मसले पर क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें ग्रामवाणी पर
हंटरगंज प्रखंड कार्यालय के सभागार में डायन कुप्रथा अधिनियम के रोक थाम को लेकर ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों और आंगन बाड़ी सेविकाओं के साथ एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।इस कार्यशाला की अध्यक्षता स्थानीय बीडीओ निखिल गौरव कमान कच्छप ने किया। जबकि संचालन बाल विकास परियोजना के हेड क्लर्क संतोष गुप्ता कर रहे थे ।इस मौके पर जिला समाज कल्याण विभाग के ट्रेनर आर आर मेहता उपस्थित थे।इनके द्वारा उपस्थित मुखिया आंगनबाड़ी सेविका एवं जनप्रतिनिधियों को डायल कुप्रथा के बारे में व्यापक रूप मे बताया गया। जिसमें कहा गया कि आज की इस आधुनिक युग में भी महिलाओं को डायन बता कर समाज में काफी प्रताड़ित किया जा रहा है।जो कानूनन एक जघनमय अपराध है।इस उत्पीड़न से समाज की कई महिलाओं की जान भी जा चुकी है। जिसे रोकथाम को लेकर केंद्र सरकार के द्वारा यह योजना चलाई जा रही है ताकि गांव-गांव में डायन कुप्रथा को रोकने को लेकर ग्रामीण स्तर पर जागरूक किया जाय। समाज की इस कुरीतियों के रोकथाम को लेकर जोर शोर से प्रचार प्रसार किया जा रहा है। वहीं उपस्थित आंगनबाड़ी सेविका एवं पंचायत प्रतिनिधियों को गांव-गांव में जाकर डायन कुप्रथा को रोकने के लिए जागरूक करने की बात कही गई। इस मौके पर योगेश शर्मा पर्यवेक्षिका शांति देवी, लक्ष्मी देवी,ऑपरेटर ओमप्रकाश,आंगनबाड़ी सेविका मीना देवी,संध्या देवी,जुबेदा खातून,सरदार बलवान सिंह,के अलावा काफी संख्या में आंगनबाड़ी सेविका और ग्राम पंचायत के मुखिया उपस्थित थे।
लोकतंत्र का उत्सव इन चुनावों ने राजनेताओं और जनता को बहुत से सबक दिये हैं। ऐसे सबक जो केवल चुनावी राजनीति में नहीं बल्कि जीवन के हर पहलू में हमें सीखना जरूरी सा है। ये सबक आज के आज़ाद भारत के समाज को समझने के लिए बेहद जरूरी हैं।
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.