उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से प्रशांत श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से शुभम श्रीवास्तव से हुई। शुभम श्रीवास्तव यह बताना चाहते है कि भारतवर्ष में महिला और पुरुष को संविधान ने बराबरी का अधिकार दिया है। संविधानिक अधिकारों को उपलब्ध कराने हेतु अलग अलग क्षेत्रों में सम्बंधित अधिनियम भी बनाए गए है। जबकि इनका लाभ महिलाओं तक पहुंचाने के लिए एक युवा प्रशासक को यह जानकारी रखना जरूरी है कि महिलाओं के महत्वपूर्ण सिविल कानून के नियम क्या क्या है और इनका क्रियान्वयन किस प्रकार किया जा सकता है। जैसे की महिलाओं का श्रमिक अधिकार यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है , न्यूनतम मजदूरी के अधिनियम 1948 के अंतर्गत हर काम करने वाली महिला या पुरुष को इतना वेतन दिया जाना चाहिए जितना सरकार ने तय किया है। लेकिन एसा नहीं हो पाता है। यदि कोई व्यक्ति मजदूरी के कारण न्यूनतम वेतन से कम पर काम करने को भी राज़ी हो तो ठेकेदार या उक्त कंपनी को काम पर लगाने वाले व्यक्ति को यह बाध्य करे की वह न्यूनतम वेतन से पैसे कम नहीं दें। महिलाएँ जो दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करती हैं ,जो बागान या कारखाने जैसे कि बीड़ी कारखाने में काम करती हैं ,जो कृषि में काम करती हैं उन्हें न्यूनतम मजदूरी भी दी जानी चाहिए, इसलिए चौदह से अठारह वर्ष की आयु के व्यक्ति के लिए एक अलग न्यूनतम मजदूरी होगी।