उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि भारतीय समाज में महिलाएं अक्सर अपने परिवार और समुदाय के बिच में रह जाती है, क्यूंकि उनको पहले ही समझा दिया जाता है कि उनको परिवार और समुदाय के बिच में रहकर काम करना है। महिलाओं को कोई भी अधिकार नहीं दिया जाता है, उनको सभी अधिकारों से वंचित रखा जाता है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार महिलायें सिर्फ घर का काम ही देखेगी उनको बाहर के कामों से कोई मतलब नहीं रहता था लेकिन अब लोगों की जरूरत इतना बढ़ गया है जिसके महिलाओं को भी शसक्त होना जरूरी हो गया है। बच्चों का पढ़ाई का खर्चा बहुत बढ़ गया है और एक व्यक्ति के कामो से घर नहीं चलता है। जहाँ महिला जागरूक है वो बहार का काम कर रही है और पति भी उनका साथ देते है। महिलाओं को जमीन के बारे में कुछ पता नहीं होता है जिसके कारण उनके नाम से जमीन नहीं मिलता है।