उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से मोहम्मद इमरान ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत एक कृषि प्रधान देश होने के बावजूद महिलाओं को भूमि स्वामित्व का अधिकार देने में पीछे क्यों है, महिलाओं को उनका हक नहीं दिया जाता है। कानूनी रूप से या संसद भवन में महिलाओं के आरक्षण के लिए सभी प्रकार के कानून बनाए जाने के बावजूद पुरुष अधिकार नहीं देना चाहते हैं। लेकिन एक पुरुष प्रधान देश में महिलाओं के लिए अपने अधिकारों तक पहुँचना मुश्किल साबित हो रहा है। सेज स्टाम्प पेपर के नाम पर या भंडार में छूट पाने के लिए जमीन उनके नाम पर लिखी जाती है, लेकिन इसका स्वामित्व उनके परिवार के सदस्यों के पास रहता है। ऐसे में हमें जागरूक होने की जरूरत है और महिलाओं को भी अपने अधिकारों को समझने की जरूरत है, तभी हम महिलाओं को उनके अधिकार दे सकते हैं।