उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के अम्ध्यम से यह बताना चाहते है कि बहुत महत्वपूर्ण है कि समाज भूमि पर महिलाओं के अधिकारों से कैसे लाभान्वित हो सकता है। भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति हमेशा दो प्रकार का दृष्टिकोण रहा है, पहला पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक सम्मान देना है। जबकि दूसरा पक्ष कहता है कि भारतीय समाज में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम सम्मान और अधिकार है जिसके कारण एक पितृसत्तात्मक समाज होने के नाते, सदियों से यह हमेशा से रहा है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम महत्व दिया जाता है। हमारे समाज का रवैया ऐसा बना हुआ है कि महिलाएं हमेशा घर, परिवार या बच्चों की देखभाल से परे नहीं सोचती हैं। इसके परिणामस्वरूप देश और समाज को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है, जबकि यह देखा जाता है कि महिलाएं कृषि क्षेत्र में काम करती हैं, लेकिन कोई भी उन्हें कभी भी किसान के रूप में स्वीकार नहीं करता है। यही कारण है कि महिलाओं को हमेशा कमजोर माना गया है और उन्हें आर्थिक दृष्टि से भी बहुत कमजोर माना जाता है क्योंकि अगर कोई इस पर गौर करे तो अगर घर में पुरुष और महिलाएँ रहते हैं, तो सबसे पहले, पुरुष से लेकर महिलाएँ, अगर किसी कारण से कोई घटना होती है, तो परिवार में महिलाओं की देखभाल करने वाला कोई नहीं होता है। जिनके लिए आज के समय में महिलाओं का सशक्त होना बहुत आवश्यक है, महिलाओं को पुरुषों का आधा माना जाता है, लेकिन अधिकारों के मामले में देखा जाए तो पुरुष महिलाओं से बेहतर हैं।