बिहार राज्य के नवादा जिला के पकरीबरावां प्रखंड से संगीता कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से दीपक चौरसिया से बातचीत किया। बातचीत के दौरान दीपक ने बताया कि सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया है। इस आरक्षण का लाभ उठाने के लिए महिलाओं को शिक्षित और जागरूक होना जरूरी है। महिलाएं शिक्षित होगी तो अपने अधिकारों को पहचानेंगी

कुछ महीने पहले की बात है, सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया है, जिससे उन्हें राजनीति और नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, सवाल उठता है कि क्या कानून बना देने भर से महिलाओं को उनका हक अधिकार, बेहतर स्वास्थय, शिक्षा सेवाएं मिलने लगेंगी क्या? *----- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक महिलाओं की पहुंच में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं *----- महिलाओं को जागरूक नागरिक बनाने में शिक्षा की क्या भूमिका है? *----- महिलाओं को कानूनी साक्षरता और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कैसे किया जा सकता है"

बिहार राज्य के नवादा ज़िला के नारदीगंज से तारा की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अंजलि कुमारी से हुई। ये कहती है कि सरकार द्वारा महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण तो मिला है लेकिन कारगार साबित नहीं हो रहा है ।महिला को शिक्षित होना ज़रूरी है ताकि वो आत्मनिर्भर बने ।पुरुषों के बराबर रहे उन्हें अपना काम खुद करना चाहिए। महिला शिक्षित होती है तो अपने घर को और समाज को शिक्षित करती है।

बिहार राज्य के जिला नवादा के नारदीगंज प्रखंड से तारा की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से सोभा कुमारी से हुई। सोभा कुमारी यह बताना चाहती है कि महिलाओं को अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता है और उनको प्रताड़ित किया जाता है। महिला का सम्मान होना चाहिए। हर काम में महिला आगे बढ़ रही है और वह चाहती है कि महिला को आरक्षण भी मिलना चाहिए। महिलाओं के बारे में लोग गलत - गलत बातें करते है।

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मुस्लिम को यह कह कर हटा दिया जाता है कि मुस्लिम भाई नहीं जीत सकेगा लड़ने का मौका नहीं मिलता

बीते दिनों महिला आरक्षण का बहुत शोर था, इस शोर के बीच यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए की अपने को देश की सबसे बड़ी पार्टी कहने वाले दल के आधे से ज्यादा भू-भाग पर शासन होने के बाद भी एक महिला मुख्यमंत्री नहीं है। इन सभी नामों के बीच ममता बनर्जी इकलौती महिला हैं जो अभी तक राजनीति में जुटी हुई हैं। वसुंधरा के अवसान के साथ ही महिला नेताओं की उस पीढ़ी का भी अवसान हो गया जिसने पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय तक महिलाओं के हक हुकूक की बात को आगे बढ़ाया। यह सब ऐसे समय में हो रहा है जबकि देश में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की बात की जा रही है। एक तरफ महिला नेताओं को ठिकाने लगाया जा रहा है, दूसरी तरफ नया नेतृत्व भी पैदा नहीं किया जा रहा है।

सवाल है कि जिस कानून को इतने जल्दबाजी में लाया जा रहा हैं उसके लागू करने के लिए पहले से कोई तैयारी क्यों नहीं की गई, या फिर यह केवल आगामी चुनाव में राजनीतिक लाभ पाने के दृष्टिकोण से किया जा रहा है।