झारखण्ड राज्य के सिमडेगा जिला से शुभम कुमार मंडल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं फुटकल साग की चटनी के रेसिपी के बारे में फुटकल साग में कैल्शियम आयरन और जिंक भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके अलावा यह फाइबर का भी अच्छा स्त्रोत है. उल्टी, दस्त या पेचिश जैसे पेट के रोगों के लिए यह बेहद कारगर घरेलू इलाज है. इसकी चटनी बनाकर खाने से लाभ मिलता है। इसको बनाने के लिए सबसे पहले हम साग को 10 मिनट तक उबाल लेंगे। उसके बाद उसे पीस लेंगे ,एक कढ़ाई लेंगे उसमे दो चम्मच के लगभग हम तेल डालेंगे।उसमे दो साबुत मिर्च और सरसों डालेंगे उसमे एक कटा हुआ प्याज डालेंगे और भूरा होने तक भूनेंगे . हम आलू को पहले फ्राई कर लेंगे आधा फ्राई होने के बाद उसमे हम पिसा हुआ साग डालेंगे और 5 मिनट तक भूनेंगे .उसके बाद अदरक धनिया पाउडर हल्दी पाउडर जीरा ,गोलकी और धनिया ,गरम मसाला का पेस्ट डालेंगे। और 5 मिनट का भूनेंगे .जब मसाला भून जाए उसमे 1 कप पानी डालकर उबालेंगे .उसमे थोड़ा धनिया का पत्ता डालकर सर्व करेंगे।

झारखण्ड राज्य के सिमडेगा जिला से शुभम कुमार मंडल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कुद्रुम माड़ साग के रेसिपी के बारे में यह झारखंड में प्रमुख रूप से खायी जाती है। यह पेट में जलन ,पेट खराब होने पर बहुत कारगर होती है। इसके फलों में धनिया का पत्ता मिलाकर चटनी भी बनाया जाता है आज हम इसके पत्तों से माड़ मिलाकर सब्जी बनाने की रेसिपी जानेंगे। इसके लिए सामग्री इस तरह के हैं ढाई सौ ग्राम कुद्रुम साग ,एक प्याज ,एक कली लहसुन ,दो साबुत मिर्च ,दो चम्मच सरसो तेल एक कटोरी चावल का माड़ , कुद्रुम साग बनाने के लिए हम कुद्रुम साग को अच्छे से धो कर काट लेंगे उसके बाद कड़ाही को गर्म करके सरसो का तेल डालेंगे ,तेल जब गर्म हो जाए उसमे मिर्च और प्याज डालेंगे ,प्याज हल्का ब्रॉउन होने तक भुंजेंगे ,उसके बाद साग डालेंगे और 5 -6 मिनट फ्राई करेंगे। उसके बाद उसमे माड़ डालेंगे ,उसमे स्वादानुसार नमक डालेंगे और 10 मिनट तक उबलने देंगे। उसके बाद हमारा कुद्रुम माड़ साग तैयार है।

झारखण्ड राज्य के सिमडेगा जिला से शुभम कुमार मंडल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं हड़िया एक प्रकार की बीयर है, जो पकाएं हुए चावल (भात) और रानू गोली से बनती है। यह बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है।इसके निर्माण में रानू गोलियों का उपयोग शामिल है, जो मूल रूप से लगभग 20-25 जड़ी-बूटियों का एक संयोजन है और एक किण्वक के रूप में कार्य करता है। यह रानू टैबलेट कई अन्य पेय पदार्थ बनाने में भी मदद करती है। हड़िया पर्व त्योहार में खास तौर पर बनाया जाता है। इसे ज्यादातर गर्मियों में पिया जाता है। हड़िया बनाने के लिए आधा केजी चावल लेंगे ,चावल के अनुसार ही पानी लेंगे ,रानू की 6 से 7 गोलिया। सबसे पहले एक बर्तन में पानी गर्म करने के लिए डालेंगे पानी उतना ही लेंगे जितना में चावल पक कर सूख जाए। पानी गर्म होने के बाद उसमें चावल डालेंगे और लगातार कुछ कुछ देर में चलाते रहेंगे ताकि चावल चिपके ना। जब चावल पक जाए। उसे ठंडा करने के लिए किसी खुली जगह में उसे फैला कर रखेंगे लगभग आधे घंटे में जब चावल ठंडा हो जाए उसमे रानू की गोलियों का मिश्रण बनाकर अच्छे से मिलाना है। फिर उसे एक बर्तन में डालेंगे और और ठक्कर रखदेंगे .3 से 4 दिनों के बाद हमारा हड़िया तैयार हो जायगा। उसके बाद हम एक छन्नी से छान लेंगे और हड़िया सर्व कर सकते हैं।

झारखंड राज्य के सिमडेगा से जिला से शुभम कुमार मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे बांस एक महत्वपूर्ण पौधा है. इसके उपले अर्थात करील का उपयोग कई प्रकार के व्यंजन बनाने में भी किया जाता है. साथ ही बांस के कई औषधीय गुण भी है. इसके सेवन से कई तरह की समस्याएं दूर होती है. खून को साफ करने, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण करने, पेट के कीड़े मारने, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, गठिया रोग, त्वचा एवं बाल तथा हड्डी के वृद्धि एवं हृदय रोगियों के लिए लाभकारी है, साथ ही शरीर की लंबाई बढ़ाने में भी करील बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसको बनाने के लिए बाँस करील ढाई सौ ग्राम ,एक टमाटर ,दो बड़ा प्याज,दो साबुत मिर्च ,एक चमच्च हल्दी ,नमक स्वादानुसार ,दो बड़े चमच्च सरसो तेल ,एक चमच्च काला सरसो, एक चमच्च काला सरसो जीरा छोटा टुकड़ा अदरक ,एक कलि लहसुन । इसको बनाने के लिए सबसे पहले बाँस करील को लंबा लंबा काट लेंगे एक कढ़ाई में सरसों का तेल गरम कर लेंगे ,जीरा और काला सरसों डालेंगे इसे थोड़ा चटकने देंगे फिर उसमे दो तीन मोटा काटा हुआ प्याज डालेंगे प्याज को ब्राउन नहीं करना है बस 1 से 2 मिनट इसे भून लेते हैं कटा हुआ बांस करील डालेंगे 5 मिनट के लिए हम कवर कर लेते हैं इसके बाद इसमें अदरक-लहसुन लाल मिर्च जीरा और काली मिर्च डालना है,स्वादानुसार नमक डालेंगे, हल्दी पाउडर भी डालना है। इसको भुनने में 40 से 50 मिनट लग जाता है आप यहां पर लाल मिर्च पाउडर का भी उपयोग कर सकते हैं इसको सुन्दर दिखने के लिए।

किसी भी शहर की वैसे तो कई पहचानें हो सकती हैं, आप की पहचान क्या है यह आपको खुद ढूंढना पड़ेगा, हां यह शहर आपकी मदद कर देगा बिना यह जाने के आप कौन है, कहां से आए हैं, और किसलिए आए हैं। यह इलाहाबाद में ही संभव है कि यह राजनीति की पाठशाला भी बनता है, तो धर्म का संगम भी इसी के हिस्से है, धर्म और अधर्म के बीच झूलती राजनीति को सहारा और रास्ता दिखाने वाली तालीम और साहित्य भी इसी शहर की पहचान हैं। इस सब के बावजूद कोई अगर प्रेम न कर पाए तो फिर उसके मानव होने पर भी संदेह होने लगता है।

झारखंड राज्य के जिला सिमडेगा से शुभम कुमार , मोबाइल वाणी के माध्यम से गुलगुल्ला बनाने की रेसिपी बता रहे है। गुलगुल्ला बनाने के लिए 3 कटोरी आटा, 1 चम्मच सौंफ , 2 चम्मच नमक, 1 चम्मच मीठा सोडा , 100 ग्राम गुड़ , सरसों तेल 2 बड़ी चम्मच सभी सामग्री को किसी बर्तन में मिलाएंगे और घोल बना लेंगे न ज्यादा पतला न ज्यादा मोटा होना चाहिए , इसमें पानी मिलाएंगे फिर अच्छे से सभी को मिलाएंगे और इसके छोटे छोटे लोई बना लेंगे , उसके बाद कढ़ाई में सरसों तेल को गर्म करेंगे , फिर उसमे जो उस लोई को डाल देंगे और फ्राई करेंगे। कुछ देर फ्राई करने के बाद निकाल लेंगे और इस तरह गुलगुल्ला बनकर तैयार हो जायेगा।

दोस्तों, हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। अगर आपके पास भी है कोई मज़ेदार चुटकुला, तो रिकॉर्ड करें मोबाइल वाणी पर, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

सिमडेगा के राम जानकी मंदिर में बहुत ही धूमधाम से मनाया गया होली का पर्व अभी गुलाब से लोग एक दूसरे को होली पर्व की शुभकामनाएं दी तथा बच्चों से लेकर बूढ़े तक होली पर में देखे गए

सिमडेगा के गुलजार गली में बहुत ही धूमधाम से खेला गया होली बजे एवं पानी की पूरी व्यवस्था के साथ होली बहुत ही धूमधाम से मनाया गया

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा कृषि में ड्रोन के लाभ तथा उपयोग के बारे में जानकारियाँ दे रहे है अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें