सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिला से मुन्नालाल भारती मोबाइल वानी के माध्यम से बता रहे है की बहुत दुखद खबर है कि महिलाओं का गायब होना । यह शोषण के माध्यम से या किसी न किसी दबाव के पूरे माध्यम से दबाव के माध्यम से हो रहा है। कोई रैली निकालता है, यानी नामांकन निकालता है, यानी नेता अपने लिए बहुत प्रयास करते हैं, उस भाई, हमें एक अच्छी टीम मिलती है, हमें एक अच्छी जनता मिलती है, हम सरकार बनाते हैं, लेकिन उनकी पार्टी ही। अगर ऐसा काम किया जाता है तो कानून उनका ध्यान नहीं रखता, तो हमारे कानून में भी कुछ बदलाव होना चाहिए और आजकल हेल्प लाइन सिर्फ एक नाम बन गई है। हां, यह सच है कि कुछ लोग शिकायत भी नहीं कर पाते हैं, इसलिए दूसरों से मैं महिलाओं से अपील करना चाहूंगा, खासकर अगर कोई आपका शोषण करता है। यदि आप ऐसा करते हैं, तो तुरंत मोबाइल फोन उठाएं और वन ज़ीरो नाइन ज़ीरो पर कॉल करें जो महिला पावर लाइन का नंबर है और यह नंबर दिन में 24 घंटे काम करता है।

तमाम दावों के बाद भी सच्चाई यही है कि आज भी देश में महिलाएँ और लड़कियां गायब हो रही है और हमने एक चुप्पी साध राखी है। दोस्तों, महिलाओं और किशोरियों का गायब होना एक गंभीर समस्या है जो सामाजिक मानदंडों से जुड़ी है। इसलिए इसे सिर्फ़ कानूनी उपायों, सरकारी कार्यक्रमों या पहलों के ज़रिए संबोधित नहीं किया जा सकता। हमें रोजगार, आजीविका की संभावनाओं की कमी, लैंगिक भेदभाव , जैसे गंभीर चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसकी रोकथाम के लिए सोचना होगा। साथ ही हमें लड़कियों को शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है। तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- लड़कियों को मानसिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- आप इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं? साथ ही आप सरकार से इस मुद्दे पर क्या अपेक्षाएं रखते हैं? *----- आपके अनुसार लड़कियों और महिलाओं को लापता होने से बचाने के लिए क्या किया जा सकता है?

महिलाओं को अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह भेदभाव उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकता है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या और बाल विवाह जैसी हिंसा लैंगिक असमानता का एक भयानक रूप है। यह हिंसा महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाती है और उन्हें डर और असुरक्षा में जीने के लिए मजबूर करती है। लैंगिक असमानता गरीबी और असमानता को बढ़ावा देती है, क्योंकि महिलाएं अक्सर कम वेतन वाली नौकरियों में काम करती हैं और उन्हें भूमि और संपत्ति जैसे संसाधनों तक कम पहुंच होती है। दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----लैंगिक असमानता के मुख्य कारण क्या हैं? *-----आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए भविष्य में क्या-क्या तरीके अपनाएँ जा सकते हैं? *-----साथ ही, लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए हम व्यक्तिगत रूप से क्या प्रयास कर सकते हैं?

Transcript Unavailable.

उत्तर प्रदेश राज्य के श्रावस्ती जिला से पूनम वर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से घरेलु हिंसा के मुद्दे पर चर्चा कर रही है। अक्सर लड़किये को दहेज़ को लेकर प्रताड़ित होना पड़ता है

Transcript Unavailable.

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से अरविन्द श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि सरकार द्वारा हमेशा कहा जाता रहा है कि महिलाएं और पुरुष सामान्य से अधिक हैं।लेकिन महिलाओं को समान अधिकार आज भी नहीं दिया जाता है। महिलाएं लंबे समय से महिलाओं के बारे में बात कर रही हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कों और लड़कियों के बीच का अंतर अभी भी दिखाई दे रहा है। हम आशाओं को प्रशिक्षित करने भी जाते हैं और आज भी यह देखा जाता है कि अगर लड़की रात में बीमार होती है, तो भी लोग सुबह उसके आने का इंतजार करते हैं। और यदि लड़का उसी स्थान पर बीमार हो गया है, तो उसे रात में जब तक वह चाहे रहने की व्यवस्था करके अस्पताल ले जाया जाता है। बच्चे के जन्म से पहले लड़कियों को गर्भ में मार दिया जाता है, जिसे हम भ्रूण हत्या कहते हैं। चाहे सरकार इसके लिए कितने भी कानून लागू करे लेकिन अभी भी भ्रूण हत्या जोरो पर होती है।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

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