भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के प्रचार-प्रसार और लोगों को विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करने के लिए विकसति भारत संकल्प यात्रा शुक्रवार को पचफेड़ा गांव पहुचा।जहां चौपाल के माध्यम से लोगो को जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे बताया गया।जहां पर विभागो द्वारा हेल्फ कैंप भी लगाया गया था। पचफेड़ा गांव मे आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमलसी प्रतिनिधि व विधानसभा संयोजक डा.राम अधार राजभर ने संबोधित करते हुए कहा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत आई एलईडी वैन के माध्यम से आज केंद्र व प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे लोगों को जागरूक किया गया। वैन के साथ जिला नोडल अधिकारी डा.मेनिका व ब्लाक नोडल अधिकारी सहायक कृषि अधिकारी राजधारी प्रसाद और विधुत विभाग, पशु विभाग, कृषि विभाग, गैस कैंप,पुलिस व राजस्व विभाग के स्टाफ मौके पर स्टाल लगा यथासंभव नियमानुसार लोगों के आवेदनों और शिकायतों का निस्तारण कर विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित किये।दो आवास लभार्थियो को चाभी भी वितरण किया गया।कार्यक्रम का संचालन ग्राम विकास अधिकारी रामविनय यादव व प्रधान भीम यादव ने अध्यक्षता किया।इस मौके पर मंडल अध्यक्ष हरिगोबिन्द रौनियार, दुर्गा सिंह,हरिओम आदि मौजूद रहे।

स्थानीय थाना क्षेत्र मे देर रात को बहोरारामनगर गांव के समीप बरातियों से भरी एक बलोरो अनियंत्रित होकर सड़क किनारे गन्ने के खेत मे पलट गया।जिसमे आठ लोग घायल हो गए।स्थानीय लोगो के मदद से इलाज के नजदीकी अस्पताल व जिला अस्पताल भेजवाया गया।जहां घायलों का इलाज जारी है।      खडडा थाना क्षेत्र के भुजौली बाजार निवासी मुस्ताक अंसारी के घर से पडरौना कोतवाली क्षेत्र के जोगीछपरा गांव मे गुरुवार सुबह गई थी,जहां घर वापस लौटते समय देर रात को नेबुआ नौरंगिया थाना के बहोरा रामनगर गांव के समीप अनियंत्रित होकर बरातियों  से भरी बलोरो सड़क किनारे गन्ने के खेत मे पलट गया।जिसका चारो चक्का उपर हो गया।बलोरो मे सवार लोग बचाने के लिए चीखने चिल्लाने लगे।शोर सुनकर मौके पर जुटे गांव के लोगो के साथ राहगीरों ने बलोरो सीधा कर घायलो को बाहर निकाला और कुछ को निजी अस्पताल पिपरा व कुछ को जिला अस्पताल भेजवाया।जहां घायलो का इलाज जारी है।इस दुर्घटना मे स्थानीय लोगो के अनुसार भुजौली बाजार निवासी सगीर,रविना,शाजमा,अरबाज,अफसाना,मुमताज ,छोटे घायल बताए जा रहे है।

विकासखंड विशुनपुरा के ग्राम सभा मोतीपुर व ग्राम सभा बहुपरना मे बृहस्पतिवार को विकसित भारत संकल्प यात्रा कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में केन्द्र सरकार की प्रमुख योजनाओं के बारे मे जानकारी ब्लॉक प्रमुख विंध्यवासिनी श्रीवास्तव ने दिया । कार्यक्रम में मौजूद लोगों को विकसित भारत बनाने की संकल्प दिलाई गई। विकसित भारत संकल्प यात्रा कार्यक्रम मे आई बैन ने प्रोजेक्टर के माध्यम से सरकार की उपलब्धियों को गिनाया और ड्रोन कैमरे के माध्यम से खेतों मे दवा छिड़काव कर लोगों को जागरूक किया गया। वहीं विकसित भारत संकल्प यात्रा कार्यक्रम के दौरान बाल विकास विभाग द्वारा पोषण युक्त खाद्य पदार्थों का स्टाल लगाकर गर्भवती महिलाओं की गोंद भराई व अन्नप्राशन कराया गया। प्राथमिक विद्यालय के बच्चे सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया।विकसित भारत बनाने की अतिथियों संग संकल्प लेते बुहपरना के लोग व मौजूद रहे।

पडरौना विधानसभा के प्राचीन पिजवा स्थान मंदिर मे बना समुदायिक भवन लंबे समय से जर्जर स्थित मे पड़ा हुआ है,जिसके कारण साधू संतो को परेशानी होती है,बल्कि उनको भी हादसे का अंदेशा भी सताता रहता है। पूरी तरह से जर्जर हो चुके इस सामुदायिक भवन के नवनिर्माण कराने को लेकर साधू संत लंबे समय से मांग कर रहे हैं। हालत ऐसी है कि इसकी छत कभी भी गिर सकती है और यहां आने-जाने वाले श्रद्धालु व साधू संतो को नुकसान पहुंचा सकती है।जिम्मेदारो को पूरी जानकारी होने के बाद भी वे हाथ पर हाथ रखे बैठे हुए हैं। पडरौना विधानसभा के गांव जंगल नाहर छपरा मे स्थित प्राचीन पिजवा स्थान मंदिर मे करीब 15वर्ष पहले आने वाले श्रद्धालुओं को ठहरने व शादी देखवती हेतू काफी दिक्कतों का सामना करना पडता था।साधू संतो व क्षेत्रीय श्रद्धालुओं की मांग पर 2008 व 9 मे जिला पंचायत निधी से 15 लाख की लागत से समुदायिक भवन का निर्माण कराया गया था,जिसका शिलान्यास तत्कालीन कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा किया गया था। जो इस समय अनियमितता का शिकार होने से 2015 से जर्जर होना शूरू हो गया। जो इस समय यह भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है छत से पत्थर टूट कर गिरता रहता है बरसात के मौसम में पानी टपकता है। यह छत कब गिर जाएगा कोई इसका गरांटी नहीं है। मंदिर महंत इंद्रदेव दास का कहना है कि हमारे साथ क्षत्रिय तमाम श्रद्धालुओं द्वारा प्रशासन से नए समुदाय भवन के निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिए जाने के कारण लोगों को समारोह के आयोजन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।क्षेत्रीय लोगों ने जिला प्रशासन से नए समुदाय भवन निर्माण कराने की मांग किए हैं।

कुशीनगर जिले में मिलो द्वारा ट्रको की जगह अवैध ट्रालो का प्रयोग किया जा रहा है जिससे चीनी मिलों द्वारा जहा राजस्व का चूना लगाया जा रहा है तो वही आने जाने वालों को दुर्घटना का शिकार होना पड़ रहा है इस मामले को लेकर किसान नेता रामचंद्र सिंह ने डीएम कुशीनगर को ज्ञान सौप कार्यवाही की माग की है।

पडरौना,कुशीनगर। निबुआ नौरंगिया विकासखंड के मोतीछपरा व मठिया गांव मे मुख्यमंत्री आवास योजना के लभार्थियो को उनके आवास का चाभी वितरण किया गया।

केले की खेती ने झरही नदी के तट पर स्थित जंगल नाहर छपरा गांव निवासी कृषक दीपनारायण यादव को अलग ही पहचान दिलाई है। केले की खेती से न सिर्फ आत्मनिर्भर बने हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी सशक्त हुए हैं। फिलहाल दीपनारायण यादव करीब 5 एकड़ जमीन पर केले की खेती किए हैं। प्रत्येक मंडा खेत में 20 से 25 हजार रुपये तक की आमदनी होता है। केला हर सीजन में अच्छे मूल्य पर बिकता है।        केले की खेती की प्रेरणा उन्हें जिले के पनियहवा क्षेत्र से मिली। अपने गांव से मदनपुर जाते समय रास्ते में धरनी पट्टी में केले की खेती देखकर बहुत ही अच्छा लगा। वहां पर किए गए केले की खेती की पूरी जानकारी प्राप्त की। तत्पश्चात केले का पौधा मंगाकर उन्होंने खेती की शुरुआत की।दीपनारायण यादव द्वारा किए गए केले की खेती का प्रचार-प्रसार अब धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र में हो रहा है। अन्य किसान भी केले की खेती की ओर रुझान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कई किसान यहां से पौधा ले जाकर केले की खेती की शुरुआत कर रहे हैं,हालांकि दीपनारायण यादव  को कृषि विभाग द्वारा अभी तक कोई अनुदान भी प्राप्त नहीं हुआ है। वे टिशु कल्चर विधि के जी - 9 वैराइटी के शोधित 6500 केले के पेड़ पांच एकड़ में तैयार किए हैं। केले की फसल जून माह में रोपी जाती है। औसतन एक पौधा पर 50 रुपये खर्च होता है। 300 - 350 रुपये में एक घवद केले की फसल बिकती है। इस प्रकार करीब पांच गुना मुनाफा मिलता है। 6500 पेड़ में साढे सात लाख रुपये खर्च किए हैं। अब फसल से उन्हें करीब 20 लाख रुपये की आमदनी होगी। 

पडरौना,कुशीनगर।नेबुआ नौरंगिया थाना के अकबरपुर गांव मे एक महिला को मारने पीटने का वीडियो वायरल हुआ है,पुलिस पीडित पक्ष के तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई मे जुट गई है।

गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए झरही नदी तटीय इलाकों में शवदाह गृह निर्माण के नाम पर केंद्र और राज्य सरकार अंधाधुंध बजट खर्च कर रही है। जिम्मेदार तो लाल हो गए, लेकिन गंगा मैली ही रह गईं। लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए शवदाह गृह का अंतिम संस्कार हो गया। हकीकत तो यह है कि निर्माण एजेंसियों ने इस कदर निर्माण में गड़बड़ी की है कि प्रयोग करने के पहले ही योजना धराशायी हो गई।विशुनपुरा ब्लाक के पिपरा बुजुर्ग गांव में बने शवदाह गृह को देख ऐसा ही लगेगा।        ग्राम पंचायत की ओर से विशुनपुरा ब्लाक के पिपरा बुजुर्ग गांव में शव के अंतिम संस्कार के लिए लाखों रुपये की लागत से शवदाह गृह तो बनाया गया,लेकिन वहां जाने के लिए एक भी चकरोड या रास्ता नही है,विभागीय साठगांठ से ग्राम सभा की खाली पड़ी भूमि पर लाखो की लागत से तत्कालीन प्रधान व सचिव ने सत्र 016/017 मे निर्माण कराकर धन का बंदरबांट कर लिया गया है,लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि आज तक इस शवदाह गृह में एक भी शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। शवदाह गृह में बनाए भवन व दिवारें जर्जर हो गए और झाड़ झखाड से पटा पडा हुआ है।क्षेत्रीय जनता शव के अंतिम संस्कार के लिए गांव के डगरहा झरही नदी तट या पनियहवा नारायणी नदी किनारे दाह संस्कार करने को मजबूर हैं।

गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए झरही नदी तटीय इलाकों में शवदाह गृह निर्माण के नाम पर केंद्र और राज्य सरकार अंधाधुंध बजट खर्च कर रही है। जिम्मेदार तो लाल हो गए, लेकिन गंगा मैली ही रह गईं। लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए शवदाह गृह का अंतिम संस्कार हो गया। हकीकत तो यह है कि निर्माण एजेंसियों ने इस कदर निर्माण में गड़बड़ी की है कि प्रयोग करने के पहले ही योजना धराशायी हो गई।विशुनपुरा ब्लाक के पिपरा बुजुर्ग गांव में बने शवदाह गृह को देख ऐसा ही लगेगा।        ग्राम पंचायत की ओर से विशुनपुरा ब्लाक के पिपरा बुजुर्ग गांव में शव के अंतिम संस्कार के लिए लाखों रुपये की लागत से शवदाह गृह तो बनाया गया,लेकिन वहां जाने के लिए एक भी चकरोड या रास्ता नही है,विभागीय साठगांठ से ग्राम सभा की खाली पड़ी भूमि पर लाखो की लागत से तत्कालीन प्रधान व सचिव ने सत्र 016/017 मे निर्माण कराकर धन का बंदरबांट कर लिया गया है,लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि आज तक इस शवदाह गृह में एक भी शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। शवदाह गृह में बनाए भवन व दिवारें जर्जर हो गए और झाड़ झखाड से पटा पडा हुआ है।क्षेत्रीय जनता शव के अंतिम संस्कार के लिए गांव के डगरहा झरही नदी तट या पनियहवा नारायणी नदी किनारे दाह संस्कार करने को मजबूर हैं।