बिहार राज्य के सारण जिला से साक्षी कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए लाखों रुपए विज्ञापन पर खर्च कर रहे हैं इतना ही नहीं स्वच्छता के प्रति करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं लेकिन धरातल पर स्वच्छता के प्रति कितनी कार्य सही तरीके से होते हैं और उसका अम्ल कैसे होती है और कैसे पैसे की बर्बादी होती है इसका उदाहरण हरिहर क्षेत्र सोनपुर के ऐतिहासिक कालीघाट के पास नारायणी के तट पर वर्षो पूर्व करीब 28 लाख की लागत से बनाया गया मुक्तिधाम बिना उद्घाटन के अपनी बदहाली पर 10 वर्षो से बिलखप रहा है । इसमें विभाग का जो मोटी राशि लगी वह नारायणी नदी में बिना सोचे समझे फेंकने जैसा प्रमाणित हो रहा है । सच तो यह है कि नारायणी नदी व आस पास के स्थलों को प्रदूषित होने से बचने के लिए मुक्तिधाम बनाया गया है । कालीघाट पर आए लाश को जलाने में लकड़ियों की बेदहासा इस्तेमाल तथा इससे निकले धुएं एवं राख से बढ़ने वाला प्रदूषण से सुरक्षा के ख्याल से मुक्तिधाम का निर्माण किया गया है । सोनपुर का मुक्तिधाम जब से यह बना तब से अब तक कितने बार सांसद और विधायक बने लेकिन इन दोनों में किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया न हीं नगर पंचायत को। परिणाम स्वरूप आज भी कालीघाट पर जो लाश आती है लकड़ी से ही जलाई जाती है जिससे प्रदूषण जैसे पहले फैलता था वैसे आज भी फैल रहा है।नारायणी नदी प्रदूषित हो रही हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग और नगर पंचायत सोनपुर के रहनुमाओं की शिथिलता एवं लापरवाही के कारण सोनपुर कालीघाट पर बना मुक्तिधाम उद्घाटन के अभाव में कराह रहा है। इसके निर्माण के लिए दिए गए भूमि वाले भु दाता को भी मलाल है कि जनकल्याण के लिए जमीन तो दे दिए निर्माण पर मोटी राशि भी लगी लेकिन उद्घाटन आज तक नहीं हुआ । यह एक गंभीर लापरवाही है । सच तो यह है कि लोक सेवा आश्रम के व्यवस्थापक संत शिरोमणि विष्णु दास उदासीन उर्फ़ मौनी बाबा मुक्तिधाम के नाम पर करीब 6 कट्ठा जमीन मुफ्त में दिए हैं। जमीन दिए 10 वर्ष से अधिक हो गया लेकिन मुक्तिधाम अब तक के चालू नहीं हुआ इसका भी बाबा को मलाल है ।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।