हमारे समझ में आज भी यौन शोषण के बारे में एक अनचाही चुप्पी साध ली जाती है और पीड़ित व्यक्ति को ही कहीं न कहीं हर बात के लिए जिम्मेदर बना देने की प्रथा चली आ रही है। पर ऐसा क्यों है? साथ ही इस तरह के सामाजिक दबावों के अतिरिक्त और क्या वजह होती है जिसके लिए आज भी कई सारे यौन शोषण के केस पुलिस रिपोर्ट में दर्ज नहीं होते हैं ? समाज में फैले यौन शोषण के मानसिकता के लिए कौन और कैसे जिम्मेदार है ? और समाज से इस मानसिकता को हटाने के लिए तुरंत किन - किन बातों पर अमल करना जरुरी है ?
नमस्कार,हमार नाम आराधना कुमारी बा।हम गया जिला से बोल तानी।हमार क्वश्चन बा बच्चों में एकाग्रता की कमी मानसिक विकास को कैसे प्रभावित करती है।
मेरा नाम प्रेमा कुमारी है और हम गया जिला से हैं और मेरा प्रश्न है क्या महिलाओं को भावनाओं पर नियंत्रण की जरुरत है?धन्यवाद
बिहार राज्य के गया जिले से नीतु कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से जानना चाहती हैं कि डर और घबराहट का निरंतर एहसास क्या चिंता हो सकती है ?
क्या आपके जीवन में कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई हैं ?आपके के हिसाब से इस तरह की परिस्थिति में अपने आपको तनाव मुक्त रखने के लिए क्या करना चाहिए ? और घर में नशे के कारण झगड़ों से बच्चो पर क्या प्रभाव पड़ता है? और उन्हें इस तरह के परिस्थिति से दूर रखने के लिए माता पिता को क्या करना चाहिए ?
गांव आजीविका और हम कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ श्री जिव दास साहू जानकारी दे रहें हैं धान के बिचड़ा को कैसे तैयार किया जाए। उन्होंने बताया कि सारा बिचड़ा एक ही दिन में तैयार नहीं करना चाहिए, बिचड़ा को तैयार करने के लिए क्रमबद्ध तरीक़ा के साथ साथ मौसम का भी ख़ास ध्यान रखना चाहिए .
क्या आपने कभी ऐसा कुछ महसूस किया है या ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं जिन्होंने ऐसी स्थिति का सामना किया है ?ऐसी परिस्थिति में आपको क्या लगता है कि आपके सबसे नज़दीकी रिश्तों को बनाएं रखने में और किस तरह का मदद उपयोगी हो सकते हैं
नाम -रवि ,पिन कोड - 823001
नाम अमित। पिन कोड - गया
नाम - पवन कुमार

Comments
हाँ, डर और घबराहट का लगातार एहसास चिंता का लक्षण हो सकता है। जब बिना किसी स्पष्ट कारण के दिल तेज़ धड़कने लगे, बेचैनी महसूस हो या हर बात पर डर लगे, तो यह सामान्य तनाव नहीं बल्कि चिंता विकार हो सकता है। ऐसी स्थिति में आराम, गहरी साँसें लेना और ज़रूरत पड़ने पर विशेषज्ञ से सलाह लेना बहुत मददगार होता है।
Nov. 11, 2025, 12:54 p.m. | Tags: information health mentalhealth