हमारी श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रही है कि कार्यक्रम से उनके बच्चों को बहुत सी चीज़ सिखने को मिलता हैं

हमारी श्रोता , खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि उन्हें खेले सब संग की कहानी अच्छी लगी। कहानी के अनुसार बच्चों को खेल खेलाएगी

हमारी श्रोता सीमा ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि उनके बच्चों को खेले सब संग की कहानी अच्छी लगती है। ऐसी ही कहानी आगे भी प्रसारित होता रहे

हमारी श्रोता ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि उन्हें खेले सब संग की कहानी अच्छी लग रही है ,आगे भी कहानी आएगी तो वो भी अच्छी लगेगी।

फीलिंग्स यानि भावनाएँ कई तरह के होते हैं। गुस्सा, उदासी, घबराहट, जलन वग़ैरह-वग़ैरह। ठीक वैसे ही भावनाओं को समझने और सँभालने के तरीके भी अलग-अलग हो सकते हैं। बस यही तरिके हमे अपने बच्चों को भी सिखाने हैं और उनके साथ मिल कर इन तरीकों की प्रैक्टिस करनी है ताकि बच्चे भी अपनी भावनाओं को खुद संभाल पाएं ,तभी तो वो ज़िन्दगी में आगे बढ़ पाएंगे और उसके उतार चढ़ाओ से जूझ पाएंगे।

हमारी श्रोता पूजा ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि बच्चों की भावनाएँ जैसे कब वो खुश रहते है कब दुखी रहते है,बिजली कड़कने पर डरते है ,इस वक़्त में भावनाओं को समझने का काम अभिभावकों का होता है। बच्चे जब बीमार होते तब भी वो कुछ महसूस नहीं कर पाते है,इसे पता लगाने का काम माता पिता का ही होता है

हमारी श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रही है कि खेले सब संग कार्यक्रम के माध्यम से उनके बच्चों को सिखने का मौका मिलता है

हमारी श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रही है कि उन्हें यह कार्यक्रम बहुत अच्छा लगता है

हमारी श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रहे है कि कभी कभी उन्हें उनके बच्चों के भावनाओं को समझने में दिक्कत होती हैं

हमारे श्रोता ,खेले सब संग मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि उनके बच्चे भावनाओं को नहीं समझ पाते है। कुछ होने पर वो चुपचाप बैठ जाते है