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दैनिक जागरण बिहार की मई 2023 की रिपोर्ट के अनुसार नरपतगंज प्रखंड से सटे सुपौल जिला के छातापुर प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय ठूठी में सोमवार को एमडीएम परोसने के क्रम में बच्चों के भोजन में मरी हुई छिपकली मिली, जिसके बाद बच्चों व गांव वालों में हड़कंप मच गया। लेकिन क्या ये हड़कंप हमारा अपने जन प्रतिनिधियों के सामने झलकता है ? जिस पन्ना ज़िले के स्कुल में 40 बच्चे बीमार हो गए , क्या वोट देते समय हम ये बात सोचते है? नहीं .. बिलकुल भी नहीं सोचते। क्योंकि हम एक वोट देने की मशीन में ढल चुके है। कुछ लोग इसे मेरी ही मूर्खता करार देंगे कि मध्यान भोजन के लिए हम नेताओ को दोष क्यों दें ? लेकिन सच ये है कि जब तक कोई घटना हमारे या हमारे अपनों के साथ नहीं घटती , तब तक हम राजनितिक पार्टियों की चाटुकारिता में लगे रहते है। लोग आपको ही बार बार समझायेंगे कि हमें इन सभी पचड़ों में नहीं पड़ना चाहिए। दोस्तों, अपने देश, समाज और बच्चों के भविष्य को बदलने के लिए किसी न किसी को शुरुआत करनी पड़ेगी और वह शुरुआत स्वयं से ही होगी, इसके बाद अन्य समाज के लोगों का साथ मिलता चला जाएगा। तब तक आप हमें बताइए कि * ------ आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन की स्थिति क्या है ? *------- आपने क्षेत्र या गाँव के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कैसा पौष्टिक खाना मिलता है क्या ? आपके अनुसार बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन का क्या मतलब है ? *------ साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

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दोस्तों , MDM या मध्याह्न भोजन योजना को दुनिया का सबसे बड़ा स्कूल फीडिंग प्रोग्राम माना जाता है। इस योजना के तहत प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक बच्चे के लिए 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन और उच्च प्राथमिक स्तर पर 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन वाला मध्याह्न भोजन दिया जाता है। लेकिन ये तो सरकार के वेबसाइट और कार्यक्रम में सुनने में अच्छा लगता है। आज भी कई जगहों पर हकीकत कुछ और ही है। हमारे समाज में वैसे सामाजिक संस्कार पल बढ़ रहे हैं जिनका सही तरह के सवाल पूछने से कोई लेना देना नहीं हो रहा है। हमारे समाज का लोकतंत्र ऐसी बेकार की बातों से सड़ रहा है। लोगों में नागरिकता का एहसास पैदा नहीं किया जा रहा है। उन्हें नहीं बताया जा रहा है कि वह तभी ठीक ढंग से जी पायेंगे जब वह सरकार और प्रशासन से सही तरह के सवाल पूछेंगे। केवल एक दिन नहीं हर दिन पूछेंगे। तभी गंगा साफ़ हो पाएगी और स्कूलों के मिड डे मील में धाँधली नहीं होगी। तभी दूध की जगह पानी और रोटी के साथ नमक नहीं मिलेगा। आप हमें बताइए कि *--------- आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन की स्थिति क्या है ? *--------- आपने क्षेत्र या गाँव के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कैसा पौष्टिक खाना मिलता है है ? *---------- साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

दोस्तों, केन्द्र सरकार ने 1995 में देश के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना की शुरूआत की थी. पहले यह योजना कुछ चुनिंदा राज्यों और स्कूलों में शुरू हुई, फिर धीरे—धीरे करके गांव कस्बों तक पहुंच गई. लेकिन क्या है इस योजना के फायदे ?और क्यों है इसकी ज़रूरत ? जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

तो साथियों, अब तक आप जान गए होंगे कि गाँव के विकास के लिए पंचायतों में समितियों के साथ साथ खुद जागरूक रहना भी बहुत ही आवश्यक है । और हम अपनी भूमिका को बेहतर ढंग से निभाकर स्थानीय स्वशासन की जड़ें भी मज़बूत कर सकते है । तो आप हमें बताएं कि क्या आपके गाँव में स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना की स्थिति ठीक है साथ ही क्या आपके यहाँ स्वास्थ्य केंद्र सही ढंग से चल रहे है ? क्या आप अपने गांव की समितियों के बारे में जानते है और इन समितियों की बैठक में क्या आप शामिल होते है ? इन सवालों के जबाब देने के लिए अभी दबाएं अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन।

दोस्तों, ग्राम समितियों का गठन व उनको कार्यशील करना पंचायती राज की सफलता का एक महत्वपूर्ण बिन्दु है। ग्राम पंचायत में गाँव के विकास का काम सही से काम हो, यह किसकी जिम्मेदारी है . तो आप हमें बताएं कि ग्राम सभा के बारे में आप कितना और क्या जानते हैं ? क्या आपने कभी अपने गांव में ग्राम सभा बैठक होते देखी है अगर हां तो अपना अनुभव साझा करें! साथ ही क्या आपको लगता है कि ग्रामीणों की ज्यादातर समस्याओं का समाधान ग्राम सभा से हो सकता है? . इन सवालों के जबाब देने के लिए अभी दबाएं अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन।

मध्यप्रदेश राज्य से राकेश कुमार यादव, मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि उनके बच्चे लिमिटेड स्कूल में पढ़ते हैं। वे जानना चाहते है कि जैसे सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को भोजन दिया जाता है, इसी तरह क्या लिमिटेड स्कूल में भी बच्चों को मध्याह्न भोजन देने का कोई नियम है ?

दोस्तों , जैसा कि हम सभी जानते हैं ग्राम पंचायत, ग्राम विकास की पहली इकाई है। ग्रामसभा के सदस्य ही ग्राम पंचायत का गठन करते हैं। लेकिन आखिर ये ग्राम पंचायत है क्या ?आज की कड़ी में हमलोग यही जानेंगे। तब तक आप हमें बताइए कि ग्राम सभा के बारे में आप कितना और क्या जानते हैं ? क्या आपने कभी अपने गांव में ग्राम सभा बैठक होते देखी है अगर हां तो अपना अनुभव साझा करें! साथ ही क्या आपको लगता है कि ग्रामीणों की ज्यादातर समस्याओं का समाधान ग्राम सभा से हो सकता है? . इन सवालों के जबाब देने के लिए अभी दबाएं अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन।