आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे अपने श्रोताओं की राय

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हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार बीस तीन सालों में दुनिया के पांच बड़े व्यापारियों की संपत्ति में दोगुने से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जिस समय इन अमीरों की दौलत में इजाफा हो रहा था, ठीक उसी समय पांच मिलियन लोग गरीब से और ज्यादा गरीब हो रहे थे। इससे ज्यादा मजे की बात यह है कि हाल ही में दावोस में हुई वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की बैठक में शीर्ष पांच उद्योगपतियों ने एक नई रणनीति पर चर्चा और गठबंधन किया।

मध्यप्रदेश राज्य के खंडवा जिले केएक श्रोता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की प्रदेश में कुल 110000 रुपए का वेतन विधायकों को मिलता है वेतन और इसके अलावा कुछ एन या सुविधा क्या है वह भी हम आपको विस्तार से बताएंगे भोपाल में एक कंफर्टेबल रह सकते हैं उनको अर्दली भी मिलते हैं तो यह इनको वहां पर व्यवस्था होती है साथ में वहीं पर एक कार्यालय इनका मिलता है उसके लिए टेलीफोन की व्यवस्था शासन की ओर से होती है बिजली मुक्त होती है तो यह आदित्य व्यवस्था होती है 110000 के अलावा इसके अलावा जब वह विधानसभा में कभी अर्जेंट बुलाए जाते हैं तो उनको ₹10000 की व्यवस्था वहां के लिए की जाती है कि वहां विधायक के नाम पर होना चाहिए विधायक के नाम पर नहीं है तो उनको सदस्य के नाते वह कहीं आना-जाना करते हैं तो उनको ता दिए मिलता है अभी की जाती है इसके अलावा उनको रेलवे के पास मिलते हैं ₹5000 तक के टिकट रेलवे के फ्री होते हैं आरक्षण मुक्त यात्रा वह कर सकते हैं उनको तुरंत विधायक कोटे से कहीं भी आने-जाने के लिए रेलवे से साधन मिल जाता है

दोस्तों, दुनिया भर में काम के घंटे घटाए जाने की मांग बढ़ जा रही है, दूसरी तरफ भारत काम के घंटों को बढ़ाए जाने की सलाह दी जा रही है। भारत में ज्यादातर संस्थान छ दिन काम के आधार पर चलते हैं, जिनमें औसतन 8-9 घंटे काम होता है, उस हिसाब से यहां औसतन पैंतालिस घंटे काम किया जाता है। जबकि दुनिया की बाकी देशों में काम के घंटे कम हैं, युरोपीय देशों में फ्रांस में औसतन 35 घंटे काम किया जाता है, ऑस्ट्रेलिया में 38 घंटे औसतन साढ़े सात घंटे काम किया जाता है, अमेरिका में 40 घंटे, ब्रिटेन में 48 घंटे और सबसे कम नीदरलैंड में 29 घंटे काम किया जाता है। दोस्तों, बढ़े हुए काम घंटों की सलाह देना आखिर किस सोच को बताता है, जबकि कर्मचारियों के काम से बढ़े कंपनी के मुनाफे में उसका हक न के बराबर या फिर बिल्कुल नहीं है? ऐसे में हर बात पर देशहित को लाना और उसके नाम पर ज्यादा काम की सलाह देना कितना वाजिब है? इस मसले पर अपना राय को मोबाईल वाणी पर रिकॉर्ड करें और बताएं कि आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, आप भले ही मुद्दे के पक्ष में हों या विपक्ष में, इसे रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं अपने फोन से तीन नंबर का बटन

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8 से 9 साल भी हो सकते हैं लेकिन वह कर रहे हैं तो उनको निर्मित मंडे निर्मित कार्य करना चाहिए क्योंकि या तो उनको पहले तो 2000 से प्रति महीने के हिसाब से दिया जाता था लेकिन कमलनाथ सरकार आए जब से उनको ना तो पेमेंट मिलता है लेकिन काम लिया जाता है तो इन्होंने आज भी काम करते-करते 7 साल दे चुके हैं 2 अक्टूबर से पहले पहले उनसे काम ले लेते वह पेमेंट भी नहीं मिल पाता तो मुद्दा है स्वच्छ भारत

महिलाएं जो खाना बनाती है उनका इंटरव्यू

दोस्तो, आज अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस है... यह दिन खासतौर पर उन महिलाओं को समर्पित है... जो काम तो पुरुषों के बराबर करती हैं पर जब वेतन की बात आती है तो उन्हें कम आंका जाता है... क्या आप भी ऐसी परिस्थितियों से गुजरे हैं? इस खास दिन पर आपके क्या विचार है.. फोन में नम्बर 3 दबाकर रिकॉर्ड करें.

सभी महाविद्यालय के अतिथि विद्वानों को ₹50 हजार मासिक वेतन दिया जायेगा। अतिथि विद्वानों को सरकारी कर्मचारी के समान ही अवकाश ओर स्थानांतरण की सुविधा भी मिलेगी। जो अतिथि विद्वान ओर व्याख्याता लगातार पढा रहे हैं उन्हें बाहर नहीं किया जायेगा