कान्हान नदी में प्रदूषण 5 औद्योगिक इकाइयाँ को नोटिस

अंतरराष्ट्रीय मधुमक्खी दिवस पर विशेष गांव आजिविका और हम विषय पर विविध मंचो से सम्मानित आदर्श कृषक सुखदेव गुर्वे जी से एक खास मुलाकात

राजगोपाल पी.व्ही.को मिला जापान मे निवानो शांति पुरस्कार

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विश्व हास्य दिवस पर कवित्री ममता मेहता जी से एक खास मुलाकात

विश्व हास्य दिना निमित्त श्रीमती अर्चना जानभोर गुर्वे नी हास्य-व्यंग्य कवी हरिदास गौतम, नागपुर व दिनेश मोहरील, अकोला यांची एक खास मुलाखत

पंचायत तीसरी नही पहली सरकार है - श्री सुनिल कुमार सचिव भारत सरकार

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अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस पर भारतनाट्यम, कत्थक एवं ओडीसी नृत्यांगना डॉ प्रियंका सिंह से एक खास मुलाकात मॉ से मिली प्रेरणा इसलिए मै आज इस मुकाम पर पहुंच पाई हुं।

मानव समाज धीरे धीरे बाजारों के फल फ्रूट और बड़ी बड़ी होटलों में खाना खाने की आदत डालते हुए प्रकृति से मिलने वाले अनमोल कंदमूल, फल फूल से दूरी बनाकर प्राकृतिक जीवन‌शैली को लुप्त करने की विनाशकारी मार्ग को अपनाकर बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं। हम लोग‌ शहरों में बाजार से बेशकीमती फल फुल और स्वादिष्ट व्यंजन खरीद सकते हैं, लेकिन जो हमारे ग्रामीण आदिवासी अंचलों और पहाड़ी क्षेत्रों में प्रकृति से मिलने वाले अनमोल और स्वादिष्ट ऐसे फलों तेंदू टेमरा, भिमला, चार चिरौंजी महुआ आदी फल फुल जो हम लोगों को प्रकृति से सीधें प्राप्त होते हैं का सेवन करके जो आनंद मिलता है ओ लाखों करोड़ों रुपए खर्च करके भी बाजारों के फलों और‌् व्यजनों में जमीन आसमान का फर्क होता है। महुआ से दारु ही नही बहुत कुछ बनता है । महुआ के फल की सब्जी,फुल का जूस,सुखा कर , उबालकर खाया जाता है , लड्डू, ढोकला, बनाया जाता है फुल से अर्क और फल तेल भी निकाला जाता है । इसी तरह तेंदू को देशी चिकु के नाम से प्रसिद्ध प्राप्त है । वही भिमला का भी स्वाद लाजवाब है । तो चार चिरौंजी की अपनी एक अलग पहचान है देश विदेश मे भी चिरौंजी अपने विशेष गुणों के कारण पहचाना जाता है । किंतु मानव समाज का इस और कम ही ध्यान है । आज यह प्रकृति की अनमोल वनोपज लुफ्त होने की कगार पर है ।