पता है तो आपको इस बात की चिंता होगी कि क्या नई शिक्षा नीति के बाद भी आपको अपने बच्चों के नर्सरी में दाखिला कराने को लेकर माता पक्षी करनी होगी और अगर आपके बच्चे 10वीं या 12वीं में पढ़ने वाले हैं तो आपको इस बात की फिक्र होगी कि कॉलेज में दाखिले के लिए क्या आप भी 90 फ्ट से ऊपर अंक लाने होंगे और अगर आपके बच्चे कॉलेज में पढ़ रहे हैं तो आपकी चिंता नौकरी से जुड़ी होगी क्या नई शिक्षा नीति से उन्हें नौकरी तलाश में आसानी होगी है आम जनता ऐसे ही सवालों के जवाब तलाश रही है सबसे पहले शुरुआत स्कूली शिक्षा से करते हैं नई शिक्षा नीति में पहले जो 10 + 2 की बात होती थी आप उसकी जगह सरकार 5 + 3 + 3 + 4 की बात कर रही है पांच का मतलब है 3 साल प्रीस्कूल के और क्लास एक और दो उसके बाद के तीन का मतलब है तीसरी चौथी और पांचवी क्लास उसके बाद तीन का मतलब है छठी सातवीं और आठवीं क्लास और आखिर के चार का मतलब है नवमी दसवीं 11वीं और 12वीं क्लाससाल की उम्र में फॉर्मल स्कूल में जाने लगेंगे अब तक बच्चे 6 साल में पहली क्लास में जाते थे तो नई शिक्षा नीति लागू होने पर भी 6 साल में बच्चा पहली क्लास में ही होगा लेकिन पहले के 3 साल भी अब फॉर्मल एजुकेशन वाले ही होंगे प्ले स्कूल की शुरुआती साल भी अब स्कूली शिक्षा से जुड़ेंगे इसके अलावा स्कूल शिक्षा में एक और महत्वपूर्ण बदलाव है भाषा के स्तर पर नई शिक्षा नीति में तीन लैंग्वेज फार्मूले की बात की गई है इसमें कक्षा 5 तक मातृभाषा लोकल भाषा में पढ़ाई की बात की गई है कि जहां संभव हो वहां कक्षा आठ तक इसी प्रक्रिया को अपनाया जाए संस्कृत भाषा के साथ-साथ तमिल तेलुगू और कन्नड़ भाषा में पढ़ाई पर भी जोड़ दिया गया है सेकेंडरी एजुकेशन में स्कूल चाहे तो विदेशी भाषा भी विकल्प के तौर पर दे सकते हैं