आपका पैसा... आपकी ताकत.... आपका पैसा.... आपकी ताकत।हेल्लो मोहना... कैसे रही तुम्हारी छुट्टियाँ आहाँ... काफी अच्छी थी आकाश। आज कितने दिनों बाद मिल रहे हैं ना हम। हाँ मोहना हमारे श्रोता भी सोच रहे होंगे की आखिर ये दोनों इतने दिनों से कहाँ ग़ायब हैं... दरअसल श्रोताओं हमारे इम्तिहान शुरू हो गए थे और उसके ठीक बाद हमारे कॉलेज की छुट्टियाँ। इस लिए पिछले कुछ दिनों से हम दोनों एक साथ आपसे मिलने नहीं आ सकें। लेकिन नो टेंशन साथियों। अब एक बार फिर हम दोनों आ गए हैं रूपए पैसों के इस्तेमाल और उन्हें संभाल के रखने की बात पर चर्चा करने के लिए। बिलकुल श्रोताओं.. वैसे मोहना तुमने पिछले हफ्ते का आपका पैसा आपकी ताकत का एपिसोड तो सुना ही होगा। हाँ आकाश सुना था ना, तो अच्छा क्या तुम मुझे बता सकती हो की सीमा के भईया ने कोचिंग खोलने के लिए नितीश जी की मदद ना मांग कर बैंक से लोन लेने का फैसला क्यों किया..? हुम्म्म्म सीमा के भईया का कहना था कि नितीश जी से पैसे उधार पे लिए और कहीं एक दम से उन्होंने सारे पैसे वापस मांग लिए तो क्या करेंगे। साथ ही अगर पैसा चुकाने में कुछ देरी हुई और ये बात उन्हें बुरी लग गई तो बरसो की दोस्ती भी खराब हो सकती है। वाह मोहना तुमने तो बड़े ध्यान से पूरी कहानी सुनी है लगता है। मोहना वैसे आज हम अपने श्रोताओं से यही बात करने वाले हैं कि अनौपचारिक तरीकों से लोन लेने के क्या-क्या नुकसान है। और दूसरी तरफ औपचारिक तरीकों से लोन लेने से क्या-क्या फायदे होते हैं। देखों भाई फायदों का तो मुझे कुछ ख़ास नहीं पता लेकिन अनौपचारिक तरीकों के नुकसान का मैं तुम्हे बताती हूँ। एक बार मेरे बाबा ने भी मेरे मौसा जी से कुछ पैसे उधार लिए थे।जानते हो शुरू में तो उन्होंने कहा की कोई ब्याज की ज़रूरत नहीं है, जब पैसे इक्क्ठ्ठे हो जाए तो आराम से सारे पैसे चूका देना। बाबा ने भी उन पर भरोसा कर लिया और उन पैसो से बड़ी दीदी की शादी का खर्चा निकाल लिया। दीदी की शादी के ठीक एक हफ्ते बाद मौसा जी का फोन आया और कहने लगे की हम दस दिनों के अंदर सारे पैसे लौटा दें। और अगर हम ऐसा नहीं कर सकते तो हमे उन्हें पच्चीस टक्का ब्याज देना होगा। अरे बाप रे बाप फिर क्या हुआ मोहना.... होना क्या था घर में तो जैसे हाहाकार मच गया। उस वक्त पापा के सिवाए घर पर कोई कमाने वाला भी नहीं था। और तो और पापा ने इस उधार की कोई लिखा पढ़ी भी नहीं की थी.... वो तो अच्छा हुआ उस वक्त दीदी और जीजा जी ने सारा हाल संभाल लिया। बाद में दादा और पापा ने मिल कर जीजा जी के सारे पैसे लौटाएं। इन सब में एक चीज बहुत बुरी हुई आकाश जानते हो.. हम आज भी अपने मौसी के यहाँ नहीं जाते,ना अपने भाई बहनों से मिलते हैं। यही तो बात है मोहना... इसी लिए सीमा के भईया ने कोचिंग सेंटर खोलने के लिए बैंक से लोन लेने का ही रास्ता अपनाया। अच्छा सुनो क्या तुम जानती हो बैंक या एसएचजी से लोन लेने से पैसे लौटाने की जो अवधि होती है वो पहले बता दी जाती है। और उस अवधि के अंदर जितना पहले तय हुआ था उतना ही टक्का ब्याज में लोन का पैसा वापस करना होता है और बैंक का काम है तो लिखा पढ़ी भी पहले हो जाती है। इससे ना पैसे ले कर भाग जाने का डर रहता है और ना ही ब्याज या मूलधन को लेकर आए दिन चिकचिक होती है। सो तो है आकाश अगर उधारी लेनी ही है तो जहाँ तक संभव हो किसी ना किसी औपचारिक तरीके से ही उधार लेना बेहतर है। श्रोताओं, लेकिन लोन लेना इतना भी आसान नहीं होता। लोन के दाव पेच हम आने वाली कड़ियों में सुनेंगे और समझेंगे की लोन को कैसे हमे हमारा दोस्त बनाना है ना की दुश्मन। तब तक आप हमे बताइए लोन लेने के लिए आपका पसंदीदा स्रोत कौन सा है..और क्यों...? और उधार में लिए गए पैसों को लौटने की योजना के बारे में आप क्या समझते हैं...? और क्या जानना चाहते हैं...? अभी अपने फोन में दबाएं नंबर-3 का बटन और अपनी बात हमसे साझा करें। हम आपसे मिलेंगे अगले सप्ताह मंगलवार को धन्यवाद

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