नमस्ते श्रोताओं आपका पैसा और आपकी ताकत की एक नयी और आखिरी कड़ी में आपका स्वागत है। बीते समय में हमने यूपीआई और डिजिटल पेमेंट के साथ ही साथ लोन ,बीमा बचत , बजट और निवेश जैसे कई मुद्दों पर बहुत सी चर्चा की और कई कहानियाँ भी सुनी और देखते ही देखते हम इस कार्यक्रम की आखिरी कड़ी पर भी पहुंच गए है आपने जाना गूगल पे ,ऐमज़ॉन पे ,फ़ोन पे ,और पेएटीएम के साथ साथ ऑनलाइन बैंको के फायदों और नुकसान के बारे में साथ ही हमने आपसे इन सेवाओं के इस्तेमाल करने के सुरक्षा नियमों पर भी बात की चलिए आज सुनते है कि आपको यह कार्यक्रम कैसा लगा और इस अभियान से आपको क्या फायदा हुआ http://voice.gramvaani.org/vapp/mnews/1605/show/detail/3138273/ कंट्रीब्यूशन एक - महिला श्रोता ने बताया की आपका पैसा आपकी ताकत अच्छा कार्यक्रम है। इससे महिलाये जागरूक हो रही है। महिलाओ का खाता नहीं था किन्तु अब महिलाओ ने अपने खाते खुलवा लिया है और बचत कर रही है ,अब कोई उनका पैसा नहीं ले पाता है। महिलाये समूह में जुड़कर बचत कर सकती है और लोन लेकर रोजगार भी कर सकती है कंट्रीब्यूशन दो - महिला श्रोता ने बताया की इस कार्यक्रम के माध्यम से इन्हे गूगल पे , ,फ़ोन पे इन सबकी जानकारी नहीं थी इन्हे जानकारी मिली। इनका बैंक में खाता भी नहीं थी फिर इन्होने बैंक में अपना खाता खुलवाया और बचत करने लगी साथ ही इन्होने फोन पे चलाना भी सीखा अभी ये रिचार्ज करने लगी है एवं बैलेंस चेक कर लेती है कंट्रीब्यूशन तीन - महिला श्रोता ने बताया की जो लोग भी डिजिटल पेमेंट या यूपीआई पेमेंट करते है वे लोग सावधानी पूर्वक इस्तेमाल करें। किसी और को अपना पासवर्ड और ओटीपी या एटीएम का पिन नम्बर किसी को न बताये। नहीं तो सारा पैसा ख़त्म हो जायेगा। वह दीदी हमे ख़ुशी है की आपको यह कार्यक्रम इतना पसंद आया और साथ ही आपने इस अभियान से इतना कुछ सीखा। साथियों आपको यह अभियान कैसा लगा क्या इससे आपके किसी वित्तीय जानकारी से जुड़े सवालों का जवाब मिला है। क्या आप इस अभियान से अपनी सीख दुसरो के साथ साझा कर रहे है ?आप यह कैसे कर रहे है। जब आप यह जानकारी समुदाय में साझा करते है तो आपको लोगो से क्या प्रतिक्रिया या क्या राय मिलती है आप विचार हमसे साझा करने के लिए फोन में नम्बर तीन दबाये नमस्ते।

आपका पैसा... आपकी ताकत आपका पैसा.... आपकी ताकत नमस्ते साथियों देखते ही देखते अब हम आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपका पैसा आपकी ताकत के अंत की तरफ बढ़ चुके हैं। है ना कमाल की बात अभी कुछ दिनों पहले ही तो मैं और आकाश लड़ते झगड़ते आए थे। आपसे बचत,बजट,बैंक खाता,एटीएम और ना जाने कितनी ही बातों पर चर्चा करने और अब देखिए हम इस कार्यक्रम में कितनी सारी बातें कर चुके हैं। आपको पाता है हमें बैंकिंग सिखाते-सिखाते आकाश तो खुद ही बैंक में नौकरी करने लगा। हाँ-हाँ और क्या अभी कुछ दिन पहले ही तो नौकरी लगी है उसकी। और दोस्तों मैंने भी एक महिला संस्था में नौकरी शुरू कर दी है। जहाँ मैं अपने साथियों से मिल कर अब तक आपका पैसा आपकी ताकत कार्यक्रम से सीखी सारी बातों को आप जैसी और महिलाओं के साथ साझा करुँगी। आप तो जानते ही है इस कार्यक्रम में सबसे पहले हमने बात की थी पैसो को बचाने के बारे में। और पैसों को कैसे बचाना है... जी हाँ महीने का बजट बना कर। महीने का बजट बना लेने से हमे पता चलता रहता है की आखिर हम कितनी और कहाँ फिजूल खर्चे कर रहे हैं। अब तो मैं हर महीने अपने कमाई का बीस टका रुपया जरूर बचाती हूँ, और वो जो मैंने बैंक में खाता खुलवाया था न बस उसी में जमा करती रहती हूँ। बल्कि मैं तो अपने सारे पैसे बैंक में ही रखती हूँ। महीने के शुरू में ही कुछ नगद अपने अलमारी में रख के सारे पैसे बैंक में ही रहने देती हूँ। और जहाँ भी जरुरत होती है एटीएम से निकालती हूँ या फिर ऐमज़ॉन पे और पेटीएम का इस्तेमाल कर के अपनी जरूरते पूरी कर लेती हूँ। आप लोग अपना पैसा कहाँ बचा रहे हैं बैंक खाते में,एसएचजी में या चावल के कलस्तर मे। मैं तो कहती हूँ एसएचजी और बैंक ही सही है। वैसे.. कमला चाची की बहु तो याद है ना वो अपने गांव की एसएचजी में जुड़ गई है। और पता है क्या उन्होंने अपना मुर्गी पालन का बिजनस भी शुरू कर लिया है। अरे अच्छा हाँ बिजनस से याद आया मेरे गंगा पार वाले मामा जी है ना उनकी दुकान तो बढियाँ चल पड़ी, और पता है दुकान कौन चलाता है मामी जी हीहीही.....मामी जी भी कुछ पैसे एसएचजी से लोन ली और दुकान में माल भरा और दुकान वो मामा जी ने बैंक से लोन ले कर खोली। बल्कि एसएचजी वाले पैसे तो अबतक उन लोगों ने लौटा भी दिए हैं। और मामी जी के दुकान में गूगल पे, पेटीएम, ऐमज़ॉन पे किसी से भी पैसों का भुगतान कर सकते हैं।सीमा और सीमा के भईया फ़िलहाल लोन की तैयारी कर रहे हैं। उम्मीद करती हूँ उनका भी लोन जल्दी मिल जाएगा और सीमा एक बढियाँ सी कोचिंग खोल लेगी। दिनेश भईया ने नया स्मार्ट फोन लिया है। और अब वो अम्मा और बाबू को भी पैसे हर महीने गूगल पे करते हैं। इक अलग ही ख़ुशी होती है बाबू के चेहरे पर जब हर पांच तारीख को उनका फोन बज उठता है। हमारे गाँव में तो अब ज्यादातर लोग गाड़ी बाद में खरीदते हैं और बीमा का पता पहले लगवाते हैं।सबने अपने फसलों का भी बीमा करा लिया है, और करवाना भी चाहिए.... मैं तो कहती हूँ प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना, जीवन बीमा योजना ये सब आखिर हमारे और हमारे अपनों के उज्जवल भविष्य के लिए ही तो है। रिंकी के सुकन्या समृद्धि योजना के पैसे भी सीधा उसके खाते में आ गए इस बार कोई भागा दौड़ी भी नहीं करनी पड़ी, और अब रिंकी भी चेन से कॉलेज जा सकती है। साथियों, इस कार्यक्रम के जरिए हमारा एक ही मकसद है कि महिलाओं और लड़कियों को वित्तीय साक्षरता सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। क्योंकि जब महिलाएँ वित्तीय साक्षरता सीखती हैं, तो ना ही सिर्फ उनका आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि साथ ही साथ वो अपने घर परिवार के लिए पैसों से जुड़ी सही और अटल फैसले ले पाती हैं। आखिर ये बात किसी से कहाँ छुपी है के आज की महिलाएँ ना ही अपने साथी के साथ कंधे से कन्धा मिला कर पैसे कमा रहीं हैं,बल्कि सदियों से महिलाएं ही अपने घर को चला रही हैं। और अपने बजट और बचत की बुद्धि से कभी भी परिवार में मुशीबत नहीं आने देती। तो साथियों, आपको यह कार्यक्रम कैसा लगा। क्या यह आपकी किसी वित्तीय जानकारी की जरुरत को हल करने में मददगार रहा है...? क्या आप इस कार्यक्रम से अपनी सिख दूसरों के साथ साझा कर रहे हैं....? आप यह कैसे कर रहे हैं...? जब आप यह जानकारी साझा करते हैं तो आपको लोगों से क्या प्रतिक्रिया मिलती है...? इस सवालों का जवाब आप हम तक पंहुचा सकते हैं...कैसे अरे फोन में नंबर-3 दबाकर। चलिए अब मैं चलती हूँ अगले हफ्ते मिलेंगे आप ही में से कुछ श्रोताओं की राय,सुझाव और सवालों के साथ नमस्ते

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आपका पैसा... आपकी ताकत.... आपका पैसा.... आपकी ताकत।हेल्लो मोहना... कैसे रही तुम्हारी छुट्टियाँ आहाँ... काफी अच्छी थी आकाश। आज कितने दिनों बाद मिल रहे हैं ना हम। हाँ मोहना हमारे श्रोता भी सोच रहे होंगे की आखिर ये दोनों इतने दिनों से कहाँ ग़ायब हैं... दरअसल श्रोताओं हमारे इम्तिहान शुरू हो गए थे और उसके ठीक बाद हमारे कॉलेज की छुट्टियाँ। इस लिए पिछले कुछ दिनों से हम दोनों एक साथ आपसे मिलने नहीं आ सकें। लेकिन नो टेंशन साथियों। अब एक बार फिर हम दोनों आ गए हैं रूपए पैसों के इस्तेमाल और उन्हें संभाल के रखने की बात पर चर्चा करने के लिए। बिलकुल श्रोताओं.. वैसे मोहना तुमने पिछले हफ्ते का आपका पैसा आपकी ताकत का एपिसोड तो सुना ही होगा। हाँ आकाश सुना था ना, तो अच्छा क्या तुम मुझे बता सकती हो की सीमा के भईया ने कोचिंग खोलने के लिए नितीश जी की मदद ना मांग कर बैंक से लोन लेने का फैसला क्यों किया..? हुम्म्म्म सीमा के भईया का कहना था कि नितीश जी से पैसे उधार पे लिए और कहीं एक दम से उन्होंने सारे पैसे वापस मांग लिए तो क्या करेंगे। साथ ही अगर पैसा चुकाने में कुछ देरी हुई और ये बात उन्हें बुरी लग गई तो बरसो की दोस्ती भी खराब हो सकती है। वाह मोहना तुमने तो बड़े ध्यान से पूरी कहानी सुनी है लगता है। मोहना वैसे आज हम अपने श्रोताओं से यही बात करने वाले हैं कि अनौपचारिक तरीकों से लोन लेने के क्या-क्या नुकसान है। और दूसरी तरफ औपचारिक तरीकों से लोन लेने से क्या-क्या फायदे होते हैं। देखों भाई फायदों का तो मुझे कुछ ख़ास नहीं पता लेकिन अनौपचारिक तरीकों के नुकसान का मैं तुम्हे बताती हूँ। एक बार मेरे बाबा ने भी मेरे मौसा जी से कुछ पैसे उधार लिए थे।जानते हो शुरू में तो उन्होंने कहा की कोई ब्याज की ज़रूरत नहीं है, जब पैसे इक्क्ठ्ठे हो जाए तो आराम से सारे पैसे चूका देना। बाबा ने भी उन पर भरोसा कर लिया और उन पैसो से बड़ी दीदी की शादी का खर्चा निकाल लिया। दीदी की शादी के ठीक एक हफ्ते बाद मौसा जी का फोन आया और कहने लगे की हम दस दिनों के अंदर सारे पैसे लौटा दें। और अगर हम ऐसा नहीं कर सकते तो हमे उन्हें पच्चीस टक्का ब्याज देना होगा। अरे बाप रे बाप फिर क्या हुआ मोहना.... होना क्या था घर में तो जैसे हाहाकार मच गया। उस वक्त पापा के सिवाए घर पर कोई कमाने वाला भी नहीं था। और तो और पापा ने इस उधार की कोई लिखा पढ़ी भी नहीं की थी.... वो तो अच्छा हुआ उस वक्त दीदी और जीजा जी ने सारा हाल संभाल लिया। बाद में दादा और पापा ने मिल कर जीजा जी के सारे पैसे लौटाएं। इन सब में एक चीज बहुत बुरी हुई आकाश जानते हो.. हम आज भी अपने मौसी के यहाँ नहीं जाते,ना अपने भाई बहनों से मिलते हैं। यही तो बात है मोहना... इसी लिए सीमा के भईया ने कोचिंग सेंटर खोलने के लिए बैंक से लोन लेने का ही रास्ता अपनाया। अच्छा सुनो क्या तुम जानती हो बैंक या एसएचजी से लोन लेने से पैसे लौटाने की जो अवधि होती है वो पहले बता दी जाती है। और उस अवधि के अंदर जितना पहले तय हुआ था उतना ही टक्का ब्याज में लोन का पैसा वापस करना होता है और बैंक का काम है तो लिखा पढ़ी भी पहले हो जाती है। इससे ना पैसे ले कर भाग जाने का डर रहता है और ना ही ब्याज या मूलधन को लेकर आए दिन चिकचिक होती है। सो तो है आकाश अगर उधारी लेनी ही है तो जहाँ तक संभव हो किसी ना किसी औपचारिक तरीके से ही उधार लेना बेहतर है। श्रोताओं, लेकिन लोन लेना इतना भी आसान नहीं होता। लोन के दाव पेच हम आने वाली कड़ियों में सुनेंगे और समझेंगे की लोन को कैसे हमे हमारा दोस्त बनाना है ना की दुश्मन। तब तक आप हमे बताइए लोन लेने के लिए आपका पसंदीदा स्रोत कौन सा है..और क्यों...? और उधार में लिए गए पैसों को लौटने की योजना के बारे में आप क्या समझते हैं...? और क्या जानना चाहते हैं...? अभी अपने फोन में दबाएं नंबर-3 का बटन और अपनी बात हमसे साझा करें। हम आपसे मिलेंगे अगले सप्ताह मंगलवार को धन्यवाद

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