चूहे ने की शेर की मदद

सुनिए एक प्यारी सी कहानी। इन कहानियों की मदद से आप अपने बच्चों की बोलने, सीखने और जानने की क्षमता बढ़ा सकते है।ये कहानी आपको कैसी लगी? क्या आपके बच्चे ने ये कहानी सुनी? इस कहानी से उसने कुछ सीखा? अगर आपके पास भी है कोई मज़ेदार कहानी, तो रिकॉर्ड करें फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला ग़ाज़ीपुर से सतीश कुमार , मोबाइल वाणी के माध्यम से एक कहानी सुना रहे है।

मैं आप सभी को नमस्कार करता हूं , मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं कि एक नदी के किनारे दो लोग थे और दो लोग , एक लकड़ी काटने वाला था , वह लकड़ी काट रहा था । फिर अचानक उसका सिर नदी में गिर गया , फिर वह रोने लगा , इतना गरीब कि वह एक खिलाड़ी भी नहीं था , और फिर वह फिर से रोने लगा कि वह उस दिन से एक भी सिर लेकर बाहर आया था । ये इतना क्यों रो रहे हैं , तुम इतने दुखी क्यों हो , फिर मैंने अपनी माँ से बात करना बंद कर दिया , एक खिलाड़ी आधे लकड़ी से हमारे घर को अवरुद्ध कर रहा है और उस खिलाड़ी ने इस नदी को जीत लिया । जिसे उन्होंने पहले एक सिल्हड़ी दी और कहा कि खिलाड़ी के बारे में , फिर उन्होंने उस लकड़ी में कहा कि नहीं यह मेरा नहीं है तो पदी कैसी खिलाडी तो उन्होंने कहा कि नहीं यह भी मेरा खिलाड़ी नहीं है । ऐ है तो फिर वो लो आगे फुलादी थी तो उस पेया कोलादी थी , तो उसने कहा कि हाँ यह मेरी कुल्हाड़ी है , इसलिए माँ उसकी ईमानदारी से खुश थी , इसलिए तीनों कुल्हाड़ी खुद से खुश थे । सीता सीता ने उनसे पूछा कि भाई , आपने आपको फिर से कहाँ भेजा , उन्होंने सब कुछ बताया , उन्होंने भी जानबूझकर नदी की कुल्हाड़ी नहीं गिराई , फिर उन्होंने कुल्हाड़ी गिरा दी । कुल्लाडी थी ने कहा कि यह आपकी खुल्लड़ी है , उस व्यक्ति ने कहा कि हां यह मेरी खुल्लड़ी है , फिर उसने कहा कि आप बहुत चुटीले हैं , आपको कुछ नहीं मिलना चाहिए , इसलिए वह माता जी के पास गया और यह व्यक्ति भी अपनी मां के पास गया ।

Transcript Unavailable.

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एक जंगल में एक शेर रहता था

सुनें एक कहानी अंधेर नगरी अनबुझ राजा ।

सुनें कहानी अंधेर नगरी अनबुझ राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा।