दोस्तों, यह व्यवस्था बायोमैट्रिक सिस्टम पर आधारित है. इससे राशन कार्ड धारक की पहचान उसकी आंख और हाथ के अंगूठे से होती है. इस योजना से देशभर के 32 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जुड़ चुके हैं. अगर कोई राशन कार्ड धारक दूसरे शहर जा रहा है तो वह 'मेरा राशन ऐप' पर खुद रजिस्टर कर के जानकारी दे सकता है. रजिस्ट्रेशन करने बाद उसे वहीं राशन मिल जाएगा. इसके साथ ही प्रवासी लाभार्थियों को इस ऐप के जरिए पता करना आसान होगा कि उनके आसपास पीडीएस के तहत संचालित राशन की कितनी दुकानें हैं. कौन सी दुकान उनके सबसे ज्यादा करीब है, यह भी आसानी से पता लगाया जा सकता है. दोस्तों, अगर आप कार्ड बनवा चुके हैं तो क्या आपको समय पर राशन मिल रहा है? और क्या आपको एक देश एक राशन कार्ड योजना के बारे में जानकारी थी? अपनी बात हम तक जरूर पहुंचाएं. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

साथियों, पहले तो लोगों को काम नहीं मिल रहा है और दूसरा अगर काम मिल जाए तो वैक्सीन ना लगने की वजह से मौके हाथ से निकल रहे हैं. हमें बताएं कि क्या आप भी इस संकट का सामना कर रहे हैं? क्या आपको भी वैक्सीन ना मिलने के कारण रोजगार की तलाश करने में परेशानी हो रही है? क्या कारखानों में काम देने के पहले वैक्सीन लगवाना अनिवार्य कर दिया गया है? और जो कामगार दूसरों के घरों में काम करते हैं, या फिर मजदूर चौक पर रोजाना आजीविका तलाशते हैं, क्या उन्हें भी टीके का हवाला देकर काम देने से इंकार किया जा रहा है? क्या आपके गांव में, सोसायटी में भी बिना टीके लिए एंट्री नहीं दी जा रही है? अगर ऐसा है तो अब आप कैसे काम तलाश रहे हैं? क्या वापिस गांव लौटने पर आपको काम मिलने की उम्मीद है? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

सा​थियों, परेशानी ये है कि कंपनियां मजदूरों को हवाई जहाज कि टिकिट देकर काम पर तो बुला चुकी हैं पर उनके टीकाकरण की व्यवस्था नहीं कर रहीं हैं. ऐसे में जो लोग अपने गांव से महानगर पहुंच चुके हैं वे बिना टीके के ही रोजगार तलाश रहे हैं और उन्हें काम नहीं मिल रहा है. कम वेतन दिया जाना, स्टॉफ की कटौती करना और नए रोजगार के अवसरों को अस्थाई रूप से बंद कर देने जैसी चुनौतियां अलग हैं. दोस्तों, हमें बताएं कि अगर आपको पहले की तरह काम नहीं मिल पा रहा है तो इसकी क्या वजह है? क्या कंपनी और कारखानों के संचालक ज्यादा नियुक्तियां नहीं करना चाहते? क्या वे पहले की अपेक्षा कम वेतन दे रहे हैं और क्या आपको कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है? क्या काम मांगने के लिए लिखित आवेदन देने के 15 दिन बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ? क्या मनरेगा अधिकारी बारिश या कोविड का बहाना करके काम देने या किए गए काम का भुगतान करने में आनाकानी कर रहे हैं? दोस्तों, अपनी बात हम तक पहुंचाएं ताकि हम उसे उन लोगों तक पहुंचा सकें जो आपकी समस्या का समाधान कर सकते हैं. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

दोस्तों, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन एकोनॉमी की रिपोर्ट कहती है कि मई के दौरान बेरोजगारी दर 12 फीसदी दर्ज की गई है, जबकि अप्रैल के दौरान यह आंकड़ा 8 फीसदी का था. आंकड़ों को अगर देखें तो इस अवधि में करीब 1 करोड़ लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं. जाहिर है कि हालात सुधरने में काफी वक्त लगने वाला है. साथियों, हमें बताएं कि अगर आपको पहले की तरह काम नहीं मिल पा रहा है तो इसकी क्या वजह है? क्या कंपनी और कारखानों के संचालक ज्यादा नियुक्तियां नहीं करना चाहते? क्या वे पहले की अपेक्षा कम वेतन दे रहे हैं और क्या आपको कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है? क्या काम मांगने के लिए लिखित आवेदन देने के 15 दिन बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ? क्या मनरेगा अधिकारी बारिश या कोविड का बहाना करके काम देने या किए गए काम का भुगतान करने में आनाकानी कर रहे हैं? दोस्तों, अपनी बात हम तक पहुंचाएं ताकि हम उसे उन लोगों तक पहुंचा सकें जो आपकी समस्या का समाधान कर सकते हैं. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

शेषनाथ पासवान ने ग़ाज़ीपुर मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वो जखनियां प्रखंड के नेवाड़ा दुर्गविजयराय निवासी है। नॉएडा के हल्दीराम में काम करते थे । लॉकडाउन के कारण वापस उनको अपने गाँव जाना पड़ा। फिर दोबारा कंपनी ने उन्हें काम पर वापस बुलाया जहाँ उन्हें 5-6 दिन काम करवा कर वापस बैठा दिया गया। अब वो बेरोज़गार बैठे है और उन्हें खाने पीने की समस्या हो रही है, चार दिनों से भूखे सो रहे है ।

उत्तरप्रदेश राज्य के ग़ाज़ीपुर जिला से प्रमोद वर्मा ने ग़ाज़ीपुर मोबाइल वाणी के माध्यम से जखनिया विकासखंड के जलालाबाद के निवासी आकाश कुमार से बातचीत की। जहाँ उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण उन्हें परिवार चलाना काफी मुश्किल हो गया है। काम धंधा बंद होने के कारण आमदनी बिल्कुल ठप हो गई है। जिससे काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है

उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर ज़िला के पिचोरा प्रखंड से त्रिवेदी शरण राय ,ग़ाज़ीपुर मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहें है कि उनके गाँव में काफी समय से राशन की आपूर्ति नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि बाहर से आने वाले मजदूरों को भी कोई रोजगार नहीं मिल पा रहा है

जखनिया विकासखंड के जलालाबाद ग्राम सभा में आज ग्राम प्रधान पति हरिशंकर चौहान के यहां लेखपाल जोखन राम ग्रामवासी उदय भान चंद्रपाल और कई और लोगों ने बैठकर चर्चा किया कि गांव में कोरोनावायरस को कैसे नियंत्रित किया जाए और प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार से मिल रही तमाम योजनाओं से जोड़ा जाए इसी संदर्भ में मेरी बात लेखपाल जोखन राम से हुई ऑडियो पर क्लिक कर जानें पूरी जानकारी

उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर ज़िला के बिरनो प्रखंड के बद्दोपुर से कपिल देव राम ,ग़ाज़ीपुर मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि लॉकडाउन को लेकर लोगों में काफी चिंताजनक स्थिति बनी हुई है। उन्होंने बताया कि बच्चों की पढ़ाई व घर के खर्चे लोगों को काफी भारी पड़ रही है और प्रवासी मजदूर अपने घर को पलायन कर रहे हैं। पलायन कर चुके मजदूरों को आशा थी कि मनरेगा के अंतर्गत कुछ कार्य मिलता परन्तु वहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी

उत्तरप्रदेश राज्य के ग़ाज़ीपुर जिला ग्राम नेवादा से शेष नाथ पासवान ने ग़ाज़ीपुर मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वे नोयडा में कार्यरत थे। लॉक डाउन के कारण वहाँ की सारी कम्पनियाँ बंद हो गयी। जिसके कारण उन्हें अपने घर आना पड़ा। वेतन नहीं होने के कारण उन्हें बहुत दिक्क्तों का सामना पड़ रहा है। प्रदेश में सरकार भी श्रमिकों को रोजगार मुहैया नहीं करा रही है।