झारखण्ड राज्य के हजारीबाग करकट्टा से नेहा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कुछ लोग भाजपा को बुरा तो कुछ लोग अच्छा मान रहें वहीं कांग्रेस को लेकर भी लोगों के मन में यही दुविधा है। लोग ये सोच में हैं कि अबकी बार किसकी सरकार बनाये जो देश को आगे बढ़ा सके

नई दिल्ली से राजीव, मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि वे प्रधानमंत्री जी से बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं , चाहे किसी पूर्व प्रधानमंत्री ने यह कहा हो या नहीं, अगर उन्होंने कहा हो, तो यह भी गलत है कि उन्होंने यह नहीं कहा है। यहाँ तक कि एक ऐसे धर्म के लिए भी एक अच्छी बात है जिसे बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। एक बात गलत है झूठ सच है हम नहीं जानते कि हमने शायद यह नहीं सुना है कि ऐसा कभी नहीं हो सकता है उन्होंने कहा कि अगर इस मुद्दे को फिर से नहीं उठाया जाना चाहिए तो इसे भुला दिया जाना चाहिए और चुनाव आयोग को इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।वे इस बात से सहमत हैं कि पूरे देश में राष्ट्रपति शासन होना चाहिए, सभी नेता सबसे बड़े अभिनेता हैं, कोई भी नेता कम नहीं है। वे किसी भी पार्टी का नाम नहीं लेना चाहते । कोई भी नेता किसी से कम नहीं होता। मोदी जी के शब्द बहुत गलत हैं। उन्हें यह नहीं कहना चाहिए कि इससे दंगे हो सकते हैं। उसे ऐसा कहने से पहले सोचना चाहिए।

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दोस्तों, प्रधानमंत्री के पद पर बैठे , किसी भी व्यक्ति से कम से कम इतनी उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि उस पद पर बैठने वाला व्यक्ति पद की गरिमा को बनाए रखेगा। लेकिन कल के भाषण में प्रधानमंत्री ने उसका भी ख्याल नहीं रखा, सबसे बड़ी बात देश के पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ खुले मंच से झूठ बोला। लोकतंत्र में आलोचना सर्वोपरि है वो फिर चाहे काम की हो या व्यक्ति की, सवाल उठता है कि आलोचना करने के लिए झूठ बोलना आवश्यक है क्या? दोस्तों आप प्रधानमंत्री के बयान पर क्या सोचते हैं, क्या आप इस तरह के बयानों से सहमत हैं या असहमत, क्या आपको भी लगता है कि चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाना अनिवार्य है, या फिर आप भी मानते हैं कि कम से कम एक मर्यादा बनाकर रखी जानी चाहिए चाहे चुनाव जीतें या हारें। चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्रवाई न करने पर आप क्या सोचते हैं। अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाइलवाणी पर।

झारखण्ड राज्य के देवघर जिले अकुल गाँव से शशि भूषण मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि हमें अपना वोट सोच समझकर देना चाहिए। जो देश के लिए कुछ करे हमें ऐसा नेता चुनना चाहिए

2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।

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मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

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हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।