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झारखण्ड राज्य, बोकारो के पेटरवार से नागेश्वर महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से जानकारी दे रहें हैं कि, पेटरवार बीडीओ  के कार्यालय कक्ष में प्रखंड एमडीएम सह मोनेटरिंग कमिटी की एक बैठक शुक्रवार को की गई. जिसकी अध्यक्षता बीडीओ सह मोनेटरिंग कमिटी के अध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार चौरसिया ने की.  बैठक में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी घनश्याम साहू ने एमडीएम मोनेटरिंग कमिटी की बैठक में बताया गया कि द्वितीय तिमाही में 1.275 क्विंटल चावल प्रााप्त हुुआ, जिसे 178 विद्यालयों के बीच वितरित कर दिया गया. वर्तमान में सभी विद्यालयों में पर्याप्त मात्रा में चावल उपलब्ध है और नियमित रूप से एमडीएम का संचालन किया जा रहा है. प्रथम तिमाही में मात्र 26 दिनों का कुकिंग कोस्ट की राशि ही प्राप्त हुई थी. द्वितीय तिमाही में एक महीना बीत जाने के बाद भी कुकिंग कोस्ट की राशि प्राप्त नही हुई है. राशि के अभाव से माध्यहन भोजन संचालन करने में अध्यक्ष व संयोजिका को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. राशि उपलब्ध कराने के लिए जिला को प्रतिवेदित करने का निर्णय लिया गया. बैठक में कहा गया कि विद्यालय प्रधान व विद्यालय प्रबंधन समिति को निर्देशित करने का निर्णय लिया गया कि आधार रहित बच्चों का यथाशीघ्र आधार, जाति प्रमाण पत्र रहित बच्चों को जाति प्रमाणपत्र तथा जन्म प्रमाण पत्र रहित बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र बनवाने हेतू कार्रवाई करेंगे. के कम्प्यूटर ऑपरेटर कुमार कौशलेश के कार्य प्रणाली पर एमडीएम मोनेटरिंग कमिटी ने संतोष व्यक्त किया  मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुंदन राज, प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव, बाल विकास से सोनी गुप्ता,  एसएमसी अध्यक्ष सुधीर राम घांसी, अजय कुमार मुंडा, संयोजिका चिंतामणि रजवार, सेवानिवृत्त  शिक्षक लक्ष्मी नारायण रजवार सहित अन्य उपस्थित थे.

झारखण्ड राज्य के गिरिडीह जिला से सोनी कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से यह कहना चाह रही है कि जिला के शिक्षा पदाधिकारी ने विष्णुगढ़ के स्कूलो का निरिक्षण किया साथ ही मिडडे मील में सुधार करने का दिया निर्देश।

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झारखण्ड राज्य के चतरा ज़िला के हंटरगंज प्रखंड के ग्राम बंधुडीह से अशोक भारती की बातचीत झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से सविता देवी से हुई। सविता बताती है कि स्कूल में शिक्षक अच्छे से नहीं पढ़ाते है। पहले दो शिक्षक थे पर अब एक ही शिक्षक है और कहते है कि पहला और दूसरा वर्ग के बच्चे को नहीं पढाएगे केवल तीसरा से पांचवा वर्ग के बच्चों को पढ़ाया जाएगा। साथ ही स्कूल में खिचड़ी भी सही से नहीं बनती है। राशन भी सही से नहीं आता है स्कूल में

दोस्तों, केन्द्र सरकार ने 1995 में देश के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना की शुरूआत की थी. पहले यह योजना कुछ चुनिंदा राज्यों और स्कूलों में शुरू हुई, फिर धीरे—धीरे करके गांव कस्बों तक पहुंच गई. लेकिन क्या है इस योजना के फायदे ?और क्यों है इसकी ज़रूरत ? जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

दोस्तों, क्या आपके बच्चों को मिड डे मील नहीं दिया जाता या फिर मात्रा से कम खाना परोसा जाता है? अगर ऐसा है तो क्या आपने इस बारे में प्राचार्य या फिर विद्यालय समीति के पास शिकायत की है?और उन्होंने क्या कार्रवाई की? कोविड काल के दौरान आपके बच्चों को मिड डे मील के बदले सूखा राशन या फिर भोजन की राशि मिली? अगर हां तो क्या बच्चों को उससे पर्याप्त ​भोजन खिलाया गया? मिड डे मील योजना के बारे में अपना अनुभव और परेशानियां हमें जरूर बताएं, ताकि हमारे वॉलिंटियर आपकी मदद कर सकें. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.