दोस्तों, शिक्षक का पद बहुत ही गरिमामय है, वे हमेशा अपने छात्रों को स्वाभिमानी बनने की शिक्षा देते हैं, सोचिए उनके लिए यह समय कितना विकराल रहा है? स्कूल बंद, कोचिंग बंद, नौकरी नहीं, तनख्वाह नहीं... हाथ खाली और वे बस बेबस! सरकार ने गरीबों को राशन दिया, अच्छी बात है पर एक शिक्षक का आत्मसम्मान तो उसे वहां तक भी नहीं पहुंचा सकता. सरकारी शिक्षकों के पास तो फिर भी तनख्वाह पहुंच रही थी लेकिन संविदा शिक्षक, निजी स्कूल में आॅनलाइन कक्षाएं ना ले पाने वाले शिक्षकों या फिर ऐसे शिक्षक जो छात्रों तक नहीं पहुंच पाए क्या उनके साथ सबकुछ ठीक रहा? अब जबकि हालात सामान्य की ओर हैं, तब भी स्कूलों से शिक्षक नदारद हैं. कुछ ने अपने लिए नए काम की तलाश कर ली है तो कुछ रोजगार की तलाश में हैं. साथियों, हम आपसे जानना चाहते हैं... कि क्या आपने इस कोरोना काल के दौरान आपने शिक्षकों को तलाशने की कोशिश की? क्या आपने उनसे उनका हाल जाना? क्या आपके आसपास ऐसे लोग हैं जो पहले शिक्षक थे लेकिन कोविड काल में नौकरी जाने के बाद अब कोई दूसरा काम कर रहे हैं? क्या आपको नहीं लगता कि सरकार को शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधारने पर ध्यान देने की जरूरत है? स्कूल बंद होने और शिक्षकों के ना रहने से आपके बच्चों की पढ़ाई पर कितना असर पड़ा है? अगर आप शिक्षक हैं, तो हमें बताएं कि कोविड काल के दौरान आपको किस तरह की परेशानियां आईं और क्या अब आपके हालात पहले जैसे हैं? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

साथियों, पहले तो लोगों को काम नहीं मिल रहा है और दूसरा अगर काम मिल जाए तो वैक्सीन ना लगने की वजह से मौके हाथ से निकल रहे हैं. हमें बताएं कि क्या आप भी इस संकट का सामना कर रहे हैं? क्या आपको भी वैक्सीन ना मिलने के कारण रोजगार की तलाश करने में परेशानी हो रही है? क्या कारखानों में काम देने के पहले वैक्सीन लगवाना अनिवार्य कर दिया गया है? और जो कामगार दूसरों के घरों में काम करते हैं, या फिर मजदूर चौक पर रोजाना आजीविका तलाशते हैं, क्या उन्हें भी टीके का हवाला देकर काम देने से इंकार किया जा रहा है? क्या आपके गांव में, सोसायटी में भी बिना टीके लिए एंट्री नहीं दी जा रही है? अगर ऐसा है तो अब आप कैसे काम तलाश रहे हैं? क्या वापिस गांव लौटने पर आपको काम मिलने की उम्मीद है? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

साथियों, पहले तो लोगों को काम नहीं मिल रहा है और दूसरा अगर काम मिल जाए तो वैक्सीन ना लगने की वजह से मौके हाथ से निकल रहे हैं. हमें बताएं कि क्या आप भी इस संकट का सामना कर रहे हैं? क्या आपको भी वैक्सीन ना मिलने के कारण रोजगार की तलाश करने में परेशानी हो रही है? क्या कारखानों में काम देने के पहले वैक्सीन लगवाना अनिवार्य कर दिया गया है? और जो कामगार दूसरों के घरों में काम करते हैं, या फिर मजदूर चौक पर रोजाना आजीविका तलाशते हैं, क्या उन्हें भी टीके का हवाला देकर काम देने से इंकार किया जा रहा है? क्या आपके गांव में, सोसायटी में भी बिना टीके लिए एंट्री नहीं दी जा रही है? अगर ऐसा है तो अब आप कैसे काम तलाश रहे हैं? क्या वापिस गांव लौटने पर आपको काम मिलने की उम्मीद है? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

दोस्तों, शिक्षक का पद बहुत ही गरिमामय है, वे हमेशा अपने छात्रों को स्वाभिमानी बनने की शिक्षा देते हैं, सोचिए उनके लिए यह समय कितना विकराल रहा है? स्कूल बंद, कोचिंग बंद, नौकरी नहीं, तनख्वाह नहीं... हाथ खाली और वे बस बेबस! सरकार ने गरीबों को राशन दिया, अच्छी बात है पर एक शिक्षक का आत्मसम्मान तो उसे वहां तक भी नहीं पहुंचा सकता. सरकारी शिक्षकों के पास तो फिर भी तनख्वाह पहुंच रही थी लेकिन संविदा शिक्षक, निजी स्कूल में आॅनलाइन कक्षाएं ना ले पाने वाले शिक्षकों या फिर ऐसे शिक्षक जो छात्रों तक नहीं पहुंच पाए क्या उनके साथ सबकुछ ठीक रहा? अब जबकि हालात सामान्य की ओर हैं, तब भी स्कूलों से शिक्षक नदारद हैं. कुछ ने अपने लिए नए काम की तलाश कर ली है तो कुछ रोजगार की तलाश में हैं. साथियों, हम आपसे जानना चाहते हैं... कि क्या आपने इस कोरोना काल के दौरान आपने शिक्षकों को तलाशने की कोशिश की? क्या आपने उनसे उनका हाल जाना? क्या आपके आसपास ऐसे लोग हैं जो पहले शिक्षक थे लेकिन कोविड काल में नौकरी जाने के बाद अब कोई दूसरा काम कर रहे हैं? क्या आपको नहीं लगता कि सरकार को शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधारने पर ध्यान देने की जरूरत है? स्कूल बंद होने और शिक्षकों के ना रहने से आपके बच्चों की पढ़ाई पर कितना असर पड़ा है? अगर आप शिक्षक हैं, तो हमें बताएं कि कोविड काल के दौरान आपको किस तरह की परेशानियां आईं और क्या अब आपके हालात पहले जैसे हैं? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

छत्तीसगढ़ राज्य के जसपुर ज़िला से धनंजय राम झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि कोरोना काल में उनका जीवन अच्छे से व्यतीत हो रहा है। उनके क्षेत्र में कोरोना को लेकर स्थिति ख़राब नहीं है

दोस्तों, लॉकडाउन के अकेलेपन को हम सबने झेला है पर खतरा अभी टला नहीं है और हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वैज्ञानिक कोरोना की तीसरी लहर आने का अंदेशा जता चुके हैं. ऐसे में क्या इस तरह की लापरवाही ठीक है? हमें बताएं कि आखिर क्यों सार्वजनिक स्थलों पर इतनी ज्यादा आवाजाही हो रही है? क्या स्थानीय प्रबंधन इसे रोकने के लिए कोई प्रयास कर रहा है? क्या केवल चालान काटने और जुर्माना लगा देने भर से कोरोना के प्रति बरती जा रही लापरवाही को रोका जा सकता है या फिर इसके लिए आम लोगों का जागरूक होना ज्यादा जरूरी है? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

नमस्कार दोस्तों, पहले कोरोना आया और फिर साथ में लेकर आया लॉकडाउन, जिसने देश में हर गतिविधि को रोक दिया. जिनके घर राशन से भरे थे वे इस वक्त को गुजारते चले गए और जो हर दिन की कमाई पर निर्भर थे वे सरकारी राशन, आम लोगों की दया के भरोसे वक्त गुजारते रहे. अब अनलॉक हो चुका है, प्रवासी मजदूरों को यकीन था कि वे फिर से शहर लौटेंगे और सब ठीक हो जाएगा... पर क्या वाकई ऐसा हुआ है?दोस्तों, हम आपसे जानना चाहते हैं कि क्या आप भी इस संकट का सामना कर रहे हैं? क्या आपको भी रोजगार की तलाश करने में परेशानी हो रही है? कंपनी मालिक क्या कह कर काम देने से ​इंकार कर रहे हैं? क्या कारखानों में काम देने के पहले वैक्सीन लगवाना अनिवार्य कर दिया गया है? अगर आप अब तक को​रोना की वैक्सीन नहीं ले पाएं हैं तो इसका क्या कारण है? क्या वापिस गांव लौटने पर आपको काम मिलने की उम्मीद है? अगर आपको पहले की तरह रोजगार नहीं मिल रहा है, तो परिवार का भरण पोषण कैसे कर रहे हैं? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

दोस्तों, इन दिनों जगह—जगह कैंप लगाकर लोगों को कोविड बचाव का टीका लगाया जा रहा है. डॉक्टर्स कहते हैं कि जितने ज्यादा लोगों को टीका लगेगा, हम कोरोना की तीसरी लहर को रोकने में उतने ज्यादा कामयाब होंगे. लेकिन इस बीच वो लोग जो सार्वजनिक स्थानों में बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के बेवजह भीड़ जमा कर रहे हैं... उनसे खतरा महसूस किया जाने लगा है. दोस्तों, हमें बताएं कि आप इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या अपने कोविड बचाव का टीका लगवाया है? अगर नहीं तो क्यों? क्या आपके क्षेत्र में टीकाकरण शिविर नहीं लगाए जा रहे या फिर वैक्सीन की कमी है? क्या आपके क्षेत्र में भी सोशल डिस्टेंस और मास्क का प्रयोग कम हो गया है? क्या आपको भी लगता है कि अब कोरोना का खतरा पूरी तरह से खत्म हो गया है? अगर कोरोना की तीसरी लहर आने का अंदेशा जताया जा रहा है तो आप इससे बचने के लिए क्या कर रहे हैं? क्या आप भीड़भाड़ वाले इलाके में आने का जोखिम उठा रहे हैं? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

सा​थियों, परेशानी ये है कि कंपनियां मजदूरों को हवाई जहाज कि टिकिट देकर काम पर तो बुला चुकी हैं पर उनके टीकाकरण की व्यवस्था नहीं कर रहीं हैं. ऐसे में जो लोग अपने गांव से महानगर पहुंच चुके हैं वे बिना टीके के ही रोजगार तलाश रहे हैं और उन्हें काम नहीं मिल रहा है. कम वेतन दिया जाना, स्टॉफ की कटौती करना और नए रोजगार के अवसरों को अस्थाई रूप से बंद कर देने जैसी चुनौतियां अलग हैं. दोस्तों, हमें बताएं कि अगर आपको पहले की तरह काम नहीं मिल पा रहा है तो इसकी क्या वजह है? क्या कंपनी और कारखानों के संचालक ज्यादा नियुक्तियां नहीं करना चाहते? क्या वे पहले की अपेक्षा कम वेतन दे रहे हैं और क्या आपको कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है? क्या काम मांगने के लिए लिखित आवेदन देने के 15 दिन बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ? क्या मनरेगा अधिकारी बारिश या कोविड का बहाना करके काम देने या किए गए काम का भुगतान करने में आनाकानी कर रहे हैं? दोस्तों, अपनी बात हम तक पहुंचाएं ताकि हम उसे उन लोगों तक पहुंचा सकें जो आपकी समस्या का समाधान कर सकते हैं. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

Transcript Unavailable.