जिला धनबाद के तोपचांची प्रखंड से खीरु महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से मलेरिया से बचाव पर आधारित एक गीत प्रस्तुत कर रहे हैं
जिला धनबाद के तोपचांची प्रखंड से रविंद्र महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां के लगभग 70% लोग कृषि पर निर्भर रहते हैं। खेती करने वाले किसान रबी और खरीफ दोनों फसलों की खेती करते हैं।तोपचांची प्रखंड में भी रबी फसलों की खेती की जाती है।कहीं-कहीं आलू,चना और सरसों की भी खेती की जाती है। वे कहते हैं कि तोपचांची प्रखंड में मिटटी की गुणवक्ता और सिचाई की सुविधा होने के बावजूद सरकारी तंत्र के उदासीनता के कारण आज लोग कृषि से दूर होते नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि आज किसानों को कई तरह की सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती है बावजूद इसके किसानों को कोई भी लाभ नहीं मिल पाता है। किसान अपने पैसे खर्च कर खेती करते हैं लेकिन खेतों में लगे फसल को सुरक्षित नहीं रख पाते हैं । और कई बार तो किसानों के फसलें सिर्फ इसलिए नष्ट हो जाती है क्योंकि गांव के कुछ दबंग व्यक्तियों द्वारा अपने आवारा पशुओं को खुले में छोड़ दिया हैं ,जो खेतों में लगी फसलों को नष्ट कर देता है। इस बात से त्रस्त होकर कई बार किसान मुखिया से इसकी शिकायत भी करते हैं , लेकिन मुखिया द्वारा किसानों की इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
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तोपचाँची प्रखंड से शंकर रावणी जी ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि निरक्षरता का मुख्य कारण है, बेरोजगारी।भारत सरकार ने "साक्षरता अभियान" के अंतर्गत योजना चलाया है,जिसमें निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने की योजना है।परन्तु इस योजना की धज्जियाँ तोपचांची प्रखड में उड़ती हुई देखी जा सकती है।अब तक इस प्रखंड में दस से पंद्रह लाख का घपला हो चूका है,लेकिन एक भी व्यक्ति अब-तक साक्षर नहीं बन पाया है।सरकारी आँकड़ों में लोगों को साक्षर दिखाया जा रहा है,परन्तु वास्तविकता की धरातल पर ऐसा कुछ भी नही दिख रहा है।अतः झारखण्ड सरकार को इस विषय पर जाँच-पड़ताल कर,इसमें व्याप्त कमियों को दूर करके ,इस कल्याणकारी योजना को पुनः लागु करनी चाहिए।
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