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दुमका: अनन्या सिन्हा झारखण्ड मोबाइल वाणी के मध्य से कहती हैं कि आज महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा की संख्या बढ़ती ही जा रही है. वे कहती है कि महिलाओं को ही अपने साथ हो रही हिना के विरुद्ध में आवाज उठाना होगा साथ ही महिलाओं को ऐसी स्थिति का सामना करने के लिए कराटे का प्रशिक्षण लेना चाहिए ताकि वे खुद का बचाव कर सके.
दुमका: शैलेन्द्र सिन्हा झारखण्ड मोबाइल वाणी को बताया कि दुमका जिले के अररडीहा थाना में चौकीदार के साथ दरोगा ने अप्राकृतिक यौनाचार किया जिसे लेकर चौकीदार संघ काफी आक्रोशित हैं झारखण्ड ग्रामीण पुलिस संघ ने एसपी से मिलकर न्याय की मांग की है.अगर दोषी दरोगा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नही होती है तो संघ आन्दोलन करेगा।
दुमका: शाधन सेन ने रानेश्वर दुमका से झारखण्ड मोबाइल वाणी को बताया कि रानेश्वर दुमका में कृषि पदाधिकारी का पद रिक्त है जिससे यहाँ के लोगो को परेशानी हो रहा है. उन्होंने बताया कि कोई भी किसान कृषि से सम्बंधित कोई भी जानकारी हेतु प्रखंड जाते हैं तो उन्हें जानकारी नही मिलती है.अत: सरकार से अनुरोध है कि कृषि पदाधिकारी क्र रिक्त पद को भरे.
दुमका:साधन सेन झारखण्ड मोबाइल वाणी के लिए यह सन्देश दे रहे है कि बंगला नववर्ष के दिन से हि BSNL सेवा ठप्प हो गया है।इससे BSNL उपभोक्ताओं की परेशानी हो गई है।इसके कारण नववर्ष में BSNL उपभोक्ता अपने परिजनों को सन्देश नहीं दे पा रहे है।
दुमका:साधन सेन झारखण्ड मोबाइल वाणी में यह सन्देश दे रहे है कि बंगला नववर्ष 1421 आज प्रखंड में धूम धाम से मनाया जा रहा है।बंगला नववर्ष में विभिन्न व्यावासिक प्रतिष्ठानों में पूजा पाठ किया गया नया खाता खोला गया मंदिरों में श्रधालुओं की भीड़ लगी हुई है।नववर्ष में आज से भक्तों ने पीपल के पेड़ में पानी भी डालना शुरू कर दिया है।
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जीतेन्द्र कुमार दुमका से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है की राजनितिक दल सुचना के अधिकार का विरोध क्यों कर रही है क्या आम जनता जो लोकतंत्र में अहम घटक है राजनितिक दलो के आर्थिक स्रोतों के जानने के हक़दार नहीं है वही मतदाता जो प्रतिनिधि को चुनाव में जितवाकर संसद तक लाती है क्या उन्हें सब कुछ जानने का अधिकार नहीं है की वे अपने राजनितिक पार्टियों की जानकारी रखे की कौन गलत है और कौन सही जब हमारे नेतागण जो दिन रात भ्रस्टाचार के बारे में विरोध करते नजर आते है तो उन्हे सुचना के अधिकार के दायरे में आने से एतराज क्यों है इसकी वजह तो साफ दिखती है की पार्टी उन स्रोतों को छिपाना चाहती है जो उन्हें चंदे के रूप में लाखो-करोडो रुपये मिलते है पार्टियों को यह समझना होगा की लोकतंत्र में पारदर्शिता जरुरी है जनता अब मुर्ख नहीं रही जनता जानना चाहती है की राजनितिक पार्टियों के प्रत्याशियों को जिन्हें वे वोट देती है क्या वे अपराधियों के मार्फ़त तो नहीं पैसे गलत ढंग से पार्टी को बनाने में लगा रहे है.