झारखंड राज्य के धनबाद जिला से खीरु महतो ने एक भक्ति गीत प्रस्तुत किया। इन्होने गीत के माध्यम से भगवान से अपने ऊपर कृपा दृष्टि बनाये रखने का निवेदन किया है

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धनबाद जिले के तोपचांची प्रखंड से हमारे श्रोता खीरु महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से एक लोक गीत प्रस्तुत कर रहे है।

धनबाद से खीरु महतो जी ने मोबाईल वाणी के माध्यम से मधुर लोक-गीत प्रस्तुत किया।गीत में छोटा नागपुर की खूबसूरती का वर्णन है

धनबाद से खीरु महतो जी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से मधुर लोक-गीत प्रस्तुत किया।इस गीत में झारखण्ड की विशेषताओं को दर्शाया गया है।

धनबाद से खीरु महतो जी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कर्ण प्रिय लोक-गीत "झूमर" प्रस्तुत किया।"झूमर"गायन झारखण्ड की पहचान है तथा झारखण्ड वासी अपने पर्व -त्योहार,उत्साह -आनंद,एवं विशेष अवसरों पर झूमर गीत गा कर अपनी भावना का इज़हार करते हैं।

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धनबाद जिले के बाघमारा प्रखंड अंतर्गत महुदा ग्राम से बीरबल महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि जंगल खेत और खलियान, झूमर है झारखण्ड की पहचान। हमारा भारत विभिन्नताओं का देश है। जहाँ भारत की सांस्कृतिक अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग गीत/संगीतो की पहचान है, उसी तरह झारखण्ड की संस्कृति में झूमर गीत का एक अहम् हिस्सा है। झूमर का अर्थ झाड़-जंगल से निकली हुई ध्वनि। जंगल झारखण्ड की पहचान है तो झूमर झारखण्ड की आत्मा। झूमर नहीं तो झारखण्ड का पहचान नहीं । झूमर गीत को बचाये रखने के लिए सभी आदिवासी-मूलवासिओं को आगे आना होगा। सभी झारखंडवासियों को मिलकर झूमर गीत के प्रेम को जगाना होगा। सरकार को झूमर जैसे गीतों को आगे लाना चाहिए।

जिला धनबाद से बीरबल महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि झारखण्ड में भरस्टाचार चरम सीमा पर पहुँच गया है,कोई भी काम बिना घुस के नहीं हो रहे है।इस बात को मुख्यमंत्री तक को पता है कि कोई भी काम घुस के बिना नहीं हो सकता है.इसलिए सबसे पहले इसपर रोक लगाना चाहिए क्योकि जबतक भरस्टाचार पर रोक नहीं लगेगी तबतक राज्य का विकास संभव नहीं है।वही भरस्टाचार सभी सरकारी क्षेत्र में देखा जाता है फिर चाहे वह मनरेगा,जाति प्रमाण पत्र बनाने के विषय में या फिर रोड के विकास की बाते हो,किसी भी विकास में कुछ भी कार्य करवाने में घुस चाहिए होता है.जिसकारण भरस्टाचार चरम सीमा पर पहुँच रही है।इसलिए सरकार सबसे पहले भरस्टाचार को रोकने का काम करे। जिला धनबाद से बीरबल महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि भरस्टाचार चरम सीमा पर पहुँच गया है,सरकारी कार्यालय में बिना घुस के कोई कार्य नहीं हो रहे है।साधारण जाति,आय और आवासीय पत्र बनाने के लिए घुस लिया जा रहा है।यदि कही सड़क बन रहा है तो भी घुस लिया जाता है।गरीबो के लिए लाल कार्ड,पीला कार्ड बनवाने के नाम पर भी बिचौलियों के द्वारा घुस लिया जा रहा है।वही गरीबो को मिलने वाला पी डी एस दूकानदार एक किलो चावल प्रति महीने रख लेते है।एक तरफ सरकार चौमुखी विकास की बात करती है वही भरस्टाचार चरम सीमा पर पहुँच गई है।सरकारी अस्पतालों में रोगियों के लिए उचित व्यवस्था नहीं है,दवा नहीं रहता है जिसकारण लोगो को बाहर से दवा खरीदकर लाना पड़ता है।वही लोग गरीबी,मज़बूरी और लाचारी के कारण पलायन कर रहे है जो झारखण्ड की दुर्दशा बया कर रही है की झारखण्ड अमीर है पर झारखंडी गरीब है.