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झारखंड राज्य के बोकारों ज़िला से सुषमा कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि इन सात सालों में पंचायत में बहुत सारे बदलाव आए हैं। जैसे की सबसे पहले स्वच्छता मिशन के तहत सभी के घरों में शौचालय का निर्माण हुआ है। पंचायत चुनाव से गांव के कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गएँ हैं और समस्याओं का निदान किया गया है।साथ ही पेयजल, आँगनबाड़ी तथा अन्य व्यवस्थाओं में सुधार हुई है।सभी लोगों के घरों में पानी की सुविधा की गई है। नरेगा के कार्यों के कारण गांव के लोगों का पलायन रुका है। कई सारे स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया है जो पंचायत के लोगों के विकास में बहुत मददगार साबित हुई है। इतना ही नहीं लोग अपने अधिकारों का प्रयोग भी सही तरह से करने लगे हैं।

''झारखण्ड राज्य धनबाद जिला के तेनूघाटी प्रखंड से सुषमा कुमारी जी, ने मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बतया कि झारखण्ड में जो भी किसान खेती करतें है।उन्हें वर्षा पर ही निर्भर रहना पड़ता है।क्योंकि झारखण्ड में किसानों की सबसे बड़ी समस्या पानी है। झारखण्ड के किसान केवल बारिश के मौसम में धान की खेती करते हैं। लेकिन फसल के अनुसार यदि बारिश नहीं होती है तो, किसान मज़बूरी में आ कर अपने राज्य से दूसरे राज्य कि ओर काम करने चले जाते है। जहाँ पर उन लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।क्योंकि लोग अपने परिवार वालों के साथ अन्य राज्य में रोजगार की तलाश में जाते हैं। जहाँ महिलाओं के साथ काफी शोषण किया जाता है।

झारखंड राज्य के बोकारो जिला के पेटरवार प्रखंड से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि पंचायती राज्य व्यवस्था में प्रत्येक जनता की भागीदारी सुनिश्चित होती है। और सभी को अपने अपने समस्याओं तथा विचार रखने का अधिकार होता है। कभी कभी कुछ लोग अपने फायदे के लिए दूसरे के बातों को नहीं मानते और उन्हें नज़र अंदाज़ किया जाता है। ग्राम सभा में प्रत्येक व्यक्ति अपना प्रस्ताव ग्राम सभा के बैठक में रखते है। कभी अभी ग्राम प्रधान अपने चहेते व्यक्ति को पारित करवा देते हैं। फिर भी आवश्यक प्रस्ताव को ग्राम सभा में पारित किया जाना चाहिए। ताकि पंचायती राज्य का सही फ़ायदा आम जनता को मिल सके।

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झारखंड राज्य के बोकारों जिला से सुषमा कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि किसी भी पंचायत और ग्रामीण क्षेत्र में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में शिक्षा की स्थिति में सुधार लाने के लिए स्थानीय प्रसाशन और जन प्रतिनिधि अपने स्तर से किसी भी प्रकार से कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। क्योकि उनके बच्चे सरकारी स्कुल में पढ़ते हैं या नहीं पढ़ते हैं फिर भी उनका बच्चो के भविष्य के प्रति कोई ध्यान नहीं है। हमारे अनुसार सरकार को ऐसा काम करना चाहिए जिससे पंचायतों में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में सुधार हो सके। समय पर शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य होना चाहिए। समय से दस मिनट पहले शिक्षकों को उपस्थित होना चाहिये। सरकार को शिक्षकों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। जिसमे शिक्षको को समय पर मासिक वेतन दिया जाए ताकि शिक्षकों को पढ़ाने में मन लगे। सरकार को चाहिए की सभी सरकारी विद्यालयों में मंत्रिओं तथा प्रसाशन के लोग निरिक्षण कर के जायजा ले जिससे शिक्षा की स्थिति में सुधार आ सके।