झारखंड राज्य के बोकारों जिला से सुषमा कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उनके पंचायत में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में शिक्षा की स्थिति काफी दयनीय है।वे कहती हैं कि स्कूलों में शिक्षा का अधिकार कानून के तहत कुछ ही बच्चों को लाभ मिल रहा है। चूँकि इस अधिनियम के तहत किस-किस तरह का लाभ मिलता है इसकी पूर्ण जानकारी न तो शिक्षक हो है और न ही बच्चों के अभिभावक को। ऐसे स्कूलों में मिलने वाली कई सारी सुविधाओं से बच्चे वंचित रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि स्कूलों में सिर्फ मध्याह्न भोजन,छात्रवृति,ड्रेस,हेंडवास आदि का लाभ बच्चों की मिलता है। लेकिन बच्चों अपने भविष्य बनाने के लिए जिस चीज की आवश्यकता होती है उन्हें वही चीज नहीं मिलती और वह है शिक्षा। अभी भी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का आभाव है।वे कहती हाँ कि किसी भी पंचायत और ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में शिक्षा की स्थिति में सुधार लाने के लिए स्थानीय शासन और जनप्रतिनिधियों को अपने स्तर से प्रयास करनी चाहिएलेकिन वे ऐसा नहीं करते हैं।इसके पीछे एक वजह यह है कि उनके बच्चे सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ते हैं. और अगर पढ़ते भी हैं फिर भी उनका बच्चो के भविष्य के प्रति कोई ध्यान नहीं है।इसके लिए जरुरी है की समय पर शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य होना चाहिए। साथ ही सरकार को शिक्षकों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। जिसमे शिक्षको को समय पर मासिक वेतन दिया जाए ताकि शिक्षकों को पढ़ाने में मन लगे। सरकार को चाहिए कि सभी सरकारी विद्यालयों में मंत्रिओं तथा प्रसाशन के लोग निरिक्षण कर के जायजा ले जिससे शिक्षा की स्थिति में सुधार आ सके।

झारखंड राज्य के बोकारों जिला से सुषमा कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कोयले खान के कारण हमारा पर्यावरण काफी दूषित हो चूका है। कोयले के डस्ट के कारण लोगो को शुद्ध हवा नहीं मिल पा रही है। कोयले की डस्ट से पेड़ पौधे के पत्ते काले पड़ जा रहे हैं। तो न जाने हमारे भारत देश में कितने कल कारख़ाने होंगे जिससे हमारा वायुमंडल गर्म होकर प्रभावित हो रही है। समय पर वर्षा नहीं हो रही है जिससे आम जीवन पर प्रभाव पड़ रहा है। वहीँ पेड़ पौधे की अंधाधुन कटाई की जा रही है।

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झारखंड राज्य के बोकारों से सुषमा कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बोकारो क्षेत्र में हो रहे कोयला खनन ने पिने वाले पानी को काफी हद तक दूषित किया है। खनन की सारी गंदगी को वहाँ की दामोदर नदी में डालने के कारण नदी का जल भी दूषित हो गया है। जिसके कारण पानी में रहने वाली मछलियाँ भी कई तरह की बीमारियों की शिकार हो जाती है , और फिर उसी मछली को इंसान द्वारा खाने के कारण वह भी उस बिमारी की चपेट में आ जाता है। इस प्रकार लोगों का स्वास्थ्य भी दूषित होता जा रहा है। कोयला खानो से उड़ती हुई धूल भी लोगो को साँस लेने में तकलीफ पैदा करती है। इसीलिए हमें पर्यावरण के प्रति ज्यादा वफादार रहना होगा।

झारखंड राज्य के बोकारो जिला से सुषमा कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से पर्यावरण बचाओ पर एक कविता सुनाया।इस कविता के माध्यम से उन्होंने बताया कि पर्यावरण और इंसान को आज के समय में साथ-साथ मिलकर चलने की आवश्यकता है

जिला बोकारो,प्रखंड पेटरवार, ब्लॉक तेनुघाट से सुषमा कुमारी जी झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रही है कि कोयला खान से हमारे जीवन के साथ-साथ कृषि, जल और पर्यावरण को भी नुकसान पहुँच रहा है।कोयला खदान के अंदर काम करने वाले मजदुर काम करने की समय सीमा तक डस्ट से जूझते रहते है। साथ ही आने-जाने वालों को भी डस्ट में साँस लेना पड़ता है।जिससे हमारे शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती है। जैसे की साँस लेने में परेशानी, अपच, टीबी, दमा आदि बीमारिया होती है और हमरी आयु घटते जाती है।कोयला खान के कारण हमे शुद्ध हवा, भोजन, पानी से हमें वंचित रहना पड़ रहा है।कोयला खान हमारे वातावरण को गर्म कर दिए है।कोयला खान के लोगो को उड़ता डस्ट और फैलती बीमारी नहीं।वे नहीं सोचते है की इस कोयले खान की कमाई से जनता को कितनी परेशानी झेलनी पड़ रही है।कितनी बीमारियां फ़ैल रही है। और कितने स्वस्थ लोग अस्वस्थ हो रहे है।

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झारखण्ड के बोकारो जिला से सुषमा कुमारी राष्ट्रीय सेवा योजना पर एक लोक गीत गण चाहती है

झारखंड राज्य के बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं, कि आजादी के बाद वास्तविकता में हमारे गांव में विकास हुई है। क्योंकि आजादी से पहले लोगों में काफी कठिनाइयां थी, जो आज सरल तथा सुन्दर हो गई है।गांव में शिक्षा,सड़क,बिजली,पानी,रोजगार और एक दूसरे से सम्पर्क के कई साधन हो गए हैं। आज लोग आजादी से सोते हैं,अपने मन से जीवन को जी रहे हैं। सरकार एवं जनप्रतिनिधि गांव को मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। ताकि लोग गांव से निकल कर राजधानी में पहुंच सकें।इसके लिए प्रयास की जा रही है

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