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झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से सुषमा कुमारी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत के कई राज्यों में धान की खेती की जाती है।धान उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान प्राप्त है।ऐसे में अगर बात की जाये झारखण्ड की, तो यहाँ पर भी बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है।परन्तु कुछ किसान भाइयों को ये पता नहीं होता है कि धान की खेती किस प्रकर से की जये,जिससे धान का पैदावर अधिक हो।धान का पैदावार बढ़ाने के लिए जरुरी है कि किसान भाई सबसे पहले खेतों की जुताई सही तरीके से करें, उत्तम किस्म के बीज लगाएं और वो भी सही समय पर, मिट्टी की जाँच करवाकर आवश्यकतानुसार खेत में खाद डालें और खेतों में रासायनिक खाद के बजाय कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करें।समय पर खेतों की निकाई करें और सिंचाई की पूर्ण व्यवस्था करें।किसान भाई धान के फसल पर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करें। इन तमाम प्रयासों से ही धान की पैदावार बढ़ाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि झारखण्ड राज्य में धान की पैदावर बढ़ाने के लिए सरकार भी अपने स्तर से किसान भाइयों को मदद कर रही है।जिसके तहत किसान भाइयों के लिए किसान सहायता केंद्र खोल गया है जहाँ पर धान कि खेती करने की विधि बताया जाता है।सरकार के द्वारा किसान भाइयों को धान की खेती के लिए कुछ सामग्री भी मुहैया करवाई जाती है ,जैसे उत्तम प्रकर के बीज,कीटनाशक दावा और कृषि यंत्र आदि। साथ ही किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

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झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला के पेटरवार प्रखंड से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताती हैं, कि राज्य सरकार एवं शिक्षा विभाग द्वारा लिया गया निर्णय उचित है। लेकिन सरकार एवं शिक्षा विभाग यह मान कर चले कि बच्चों को गुणवक्ता पूर्ण शिक्षा मिले। भवन तथा बैठने की व्यवस्था और सभी विषयों के शिक्षक विद्यालय में उपलब्ध रहें। साथ ही सरकार एवं शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर मॉनिटरिंग किया जाए तभी विद्यालय विलय का निर्णय सत्य हो पाएगा।विद्यालय विलय की जगह दूसरी वैकल्पिक उपाय यह होनी चाहिए की शिक्षा की आपूर्ति उसकी देखरेख तथा सरकार द्वारा दी जा रही सभी सुविधाओं पर सरकार अपनी नजर बनाए रखे।

झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से सुषमा कुमारी जी ने बताया कि देश में ऐसे कई जिले हैं जो की लाह की खेती के बारे में जानते तक नहीं है।यहाँ तक की राज्य के लोगों को लाह की खेती के बारे में जानकारी भीं प्रप्त नहीं है। लाह की खेती होती क्या है और लाह कि खेती कैसे की जाती है ? सरकार को लाह की खेती की जानकारी राज्य और देश कि जनता और किसानों को योजनबद्ध तरीके से बताना चाहिए।अगर सरकार लाह की खेती कि जानकारी लोगों को विस्तार पूर्वक बताती है, तो लोग काम करने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य की ओर नहीं पालयन करेगें।सरकार को बताना चाहिए की लाह कि खेती से लोगों को रोजगर के अनेकों साधन उपलब्ध होगें और लोगो को लाख की खेती से धन अर्जना कर सकेगें और इस के माध्यम से आर्थिक रूप से भी सम्पन होगें। लाह की खेती से लोगों को पूर्ण रूप से तभी लाभ प्रप्त हो सकेगा जब तक सरकार कोई योजना निकाल कर लाह की खेती के बारे में लोगों को जानकारी प्रप्त नहीं करवाती है .

झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के पेटरवार प्रखंड अंतर्गत तेनुघाट से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से शिक्षा पर आधारित एक गीत प्रस्तुत कर रहीं हैं। इस गीत के माध्यम से सभी भाई बहनों को शिक्षा का दीप जलाने के लिए प्रेरित कर रहीं हैं।

झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के अनुमंडल मुख्यालय तेनुघाट से सुषमा कुमारी ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि जल संरक्षण को ले कर लोगों में पहले से ज्यादा जागरूकता आई है।जल संरक्षण के लिए घरेलू एवं सामुदायिक स्तर पर अनेकों उपाय किये जाते हैं।पानी का जितना खपत हो,उतना ही उपयोग में लाया जाता है एवं नल से आवश्यकतानुसार पानी निकाला जाता है।सामुदायिक स्तर पर वर्षा के जल को संरक्षित रखने के लिए,जगह-जगह पर छोटे तथा बड़े तालाब बनाये गए हैं,ताकि बारिश का पानी इन तालाबों में संरक्षित हो सके और इस पानी का उपयोग बारहों महीना किया जा सके।साथ ही सरकार जल-संरक्षण करने के लिए लोगों को जागरूक करती है।हाल ही में सरकार द्वारा जगह-जगह पर डोभा का निर्माण कराया गया है,ताकि वर्षा का पानी डोभा में जमा हो सके।जल-संरक्षित करने के उद्देश्य से सरकार के तरफ से एक और पहल की गई है जिसमें ,लोगों के खेतों और जमीनों में मेड़-बंदी एवं अन्य कई कार्यक्रम चलाए गए । वे कहते हैं कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वो जल को बचाएं एवं इसके लिए लोगों को जागरूक करें।

झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला के तेनुघाट अनुमंडल से सुषमा कुमारी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि राज्य में लाह की खेती की स्थिति औसत दर्जे की है।यहां पर लोग बहुत कम मात्रा में लाह की खेती करते हैं।इसका मुख्य कारण यह है कि लाह की खेती करना किसानों के लिए लाभदायक नहीं हो रहा है।चूँकि यहाँ के किसानों को लाह की खेती के बारे में सही जानकारी नहीं है और न ही यहां के सरकार इस मामले पर कुछ ख़ास ध्यान नहीं दे रही है।हां यह अलग बात है कि राज्य के कुछ क्षेत्रों में लाह की खेती की जाती है यही वजह है कि वर्तमान समय में लाह के बने सामान बाज़ारों में देखने को मिल रहा है और लोग इसका लाभ भी उठा रहे हैं।साथ ही वे कहती हैं कि हमारे पूर्वज लाह की खेती किया करते थे लेकिन लाह की खेती करना धीरे-धीरे लोग छोड़ रहे हैं।चूँकि इसके लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं है।अतः वे कहती हैं कि लाह की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार को और अधिक ध्यान देने की जरुरत है। सरकार द्वारा लाह की खेती करने वाले किसानों को विशेष प्रशिक्षण तथा आवश्यक सामग्री देकर लाह की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर इस क्षेत्र में और अधिक सरकारी सुविधा देनी चाहिए।

झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से झारखण्ड मोबाइल वाणी पर सुसमा कुमारी जी ने बताया कि बच्चों के लक्ष्य प्राप्ति में अभिभावकों को अधिक मेहनत करना पड़ता है। शिक्षा के लिए अभिभावकों को भी अहम योगदान देना होता है। उन्हें घर पर अनुकूल वातावरण बनाना होता है । अभिभावकों को इसकी महत्ता को समझ अपने बच्चों को शिक्षित करना पड़ता है । अभिभावकों ही बच्चें के जीवन और शिक्षा के कर्ता धरता होतें है। उन्हें मालूम होता है की बच्चों के लिए शिक्षा कितना महत्वपूर्ण है। शिक्षा से ही एक अच्छे इंसान का निर्माण होता है, और एक अच्छा समाज का विस्तार होता है। अभिभावक अपने बच्चों का होसला बढ़ा कर उन्हें शिक्षा की और अग्रसित करतें है। उन्हें नैतिक शिक्षा दे कर उन्हें समाज में कैसे रहना है, वे अपने बच्चे को बतातें है। जिससे एक अच्छा समाज का निर्माण हो,और वे अपनी मंजिल प्रप्त कर सकें।

झारखंड राज्य के धनबाद ज़िला के बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताते हैं, कि झारखंड हो या भारत इसे एक विकासशील देश के रूप में कागज़ों में देखा जा रहा है। परन्तु आज दिन दोगुनी और रात चारगुणी बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण एक मशीनी करण और दूसरा झारखंड खनिज सम्पदाओं से परिपूर्ण होते हुए भी झारखंड धनी है परन्तु झारखंडी गरीब होते जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण यहाँ कल कारख़ाने नहीं लगाएँ गए हैं, जिससे बेरोजगारी को दूर किया जा सके। वहीँ झारखंड की भूमि कृषि योग्य होते हुए भी लोग कृषि पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं।यदि झारखंड में सही से कृषि पर ध्यान दिया जाए तो कुछ हद तक बेरोजगारी को दूर किया जा सकेगा। साथ ही यदि सरकार की ओर से भी बेरोजगारों को ऋण दे कर रोज़गार से जोड़ा जा सकेगा जैसे- लघु उद्योग,कुटीर उद्योग,पशु पालन,मत्स्य पालन इत्यादि से अवश्य बेरोजगारी दूर हो जाएगी अन्यथा हमारे देश में बेरोजगारों की संख्या अत्यधिक बढ़ती जाएगी।