झारखंड राज्य के धनबाद जिले से तफज्जुल आज़ाद जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि बाल विवाह एक सामाजिक कोठ है, यह अशिक्षा के कारण फल-फूल रहा है। यह प्रचलन अधिकांश रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलता है। ग्रामीणों क्षेत्रों के लोगों का यह मानना है कि बेटी की शादी जितना जल्द हो सके कर देना चाहिए साथ ही परिवार वालों की यह भी सोच होती है की बेटियों की शिक्षा में जितना पैसा खर्च करेंगे उतना में उसकी शादी कर लेंगे,और बेटियां लोगों की बुरी नजर से भी बची रहेगी। इसी सोच के कारण लोग अपनी बेटियों की शादी कम उम्र में कर देते हैं। अतः इसे रोकने के लिए शिक्षित वर्ग के लोगों को आगे आने की आवश्यक्ता है ताकि वे लोगों को बाल विवाह के कुपरिणामों के प्रति जागरूक कर सकें। जिससे लोग समाज के डर से अपने बच्चों को नर्क में ना ढकेले। सरकार की ओर से भी बाल विवाह के प्रति कड़ी क़ानूनी करवाई किया जाए ताकि लोग बाल विवाह करने से सोचें।