एड्स इस नाम से हम सभी भली भांति परिचित हैं इसका पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम ' यह एक तरह का वायरस है जिसे एचआईवी के नाम से भी जाना जाता है।यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन आज भी लोगों में एड्स को लेकर सतर्कता नहीं है।साथ ही इसे समाज में भेदभाव की भावना से देखा जाता है। एड्स के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। दोस्तों , हम सभी को एड्स को लेकर सतर्क रहना है ,साथ ही लोगों में सर्तकता लाने की भी ज़रुरत है।साथियों, एड्स का उपचार भेदभाव नहीं बल्कि प्यार है। आइये हम सभी मिलकर विश्व एड्स दिवस मनाए और लोगों में एड्स के प्रति अलख जगाए। सतर्क रहें,सुरक्षित रहें

शर्म को ज़रा किनारे करके अपने बच्चों को AIDS के बारे में विस्तार से बताएं ताकि वो इस खतरनाक बीमारी से सुरक्षित रहे। साथियो अगर आप भी एड्स से जुडी कोई जानकारी हमसे साझा करना चाहते हैं तो फ़ोन में अभी दबाएं नंबर 3 का बटन और रिकॉर्ड करें अपनी बात।

विश्व एड्स दिवस पर महुआ में आयोजित की गई जागरूकता शिविर

निरसु नारायण महाविद्यालय सिंघाड़ा के 2 छात्रों का ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता में चयन । महाविद्यालय के प्राचार्य सहित अन्य ने दी छात्रो को बधाई ।

प्रथम तिमाही में कराएं गर्भवती की एचआईवी जांच- डीडीसी - सिंगल विंडो सिस्टम को दुरुस्त करने की कवायद तेज - 2020 तक माताओ से बच्चों में होने वाले एचआईवी और सिफलिस को खत्म करने का लक्ष्य वैशाली। 9 मार्च एलिमिनेशन ऑफ मदर टू चाइल्ड कार्यक्रम के अंतर्गत एचआईवी एवं सिफलिस के उन्मूलन हेतु जिला समाहरणालय के सभागार में सोमवार को कमेटी की बैठक हुई। बैठक में डीडीसी द्वारा सभी ब्लॉक से आए हुए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को यह निर्देश दिया गया कि प्रत्येक गर्भवती महिला का एचआईवी जांच उसके प्रथम तिमाही में अवश्य करें साथ ही यह सुनिश्चित करें कि उसके साथी की भी जांच अवश्य करें। बिहार एड्स, कंट्रोल सोसायटी से आए हुए यूनिसेफ के राज्य समन्वयक ने आशीष कुमार ने कहा जिले में सभी गर्भवती महिलाओं का एचआईवी टेस्ट करना है।वहीं विजय प्रकाश मीणा डीडीसी वैशाली ने कहा कि वह 2020 तक एचआईवी एवं सिफलिस से एलिमिनेशन के लिए सारे गर्भवती महिलाओं का एचआईवी एवं सिफलिस जाँच को संकल्पित है। साथ ही निर्देश किया कि प्रत्येक माह की एचआईवी प्रोग्राम का समीक्षा की जाएगी। जिससे कार्यक्रम को और गति मिलेगी। दो महीनों में 32 प्रतिशत एएनसी बढ़े सिविल सर्जन डॉ इंद्रदेव रंजन ने कहा कि हमारे जिले में एएनसी तो होती है पर समय पर उनके आंकड़े साइट पर अपलोड नही किये जाते जिससे दिसंबर 31 तक मात्र 43 प्रतिशत आंकड़े ही अपलोड हो पाए थे। पर विगत दो सप्ताह में हमने इसमें तेजी लाई और हमने जादुई रूप से उसे 75 प्रतिशत कर दिया। अब उसे शत प्रतिशत करने का लक्ष्य है। वैशाली अभी फ़ास्ट ट्रैक जिले की श्रेणी में आता है । थोड़ी सी मेहनत से यह जिला ट्रांसफॉर्मेशन वाले एचआईवी से मुक्त हो जाएगा। इसके साथ उन्होंने कहा कि सारे गर्भवती महिलाओं का एचआईवी जाँच प्रथम तिमाही में ही करवा लिया जाए ताकि एचआईवी संक्रमण होने की स्थिति में समुचित देखभाल कर के होने वाले बच्चे को संक्रमित होने से बचाया जा सके। डीडीसी द्वारा सभी अधिकारी को यह भी निर्देश दिया गया कि अगले 6 महीने में 100% प्राप्त कर लिया जाए। बैठक में जिला एड्स नियंत्रण पदाधिकारी डॉक्टर एस के रावत ने कहा जल्द ही एचआईवी जांच को बढ़ाया जाएगा इसके साथ ही हम नए केंद्रों और VHSND विएचएसेंडी साइट पर एचआईवी जांच शुरू करेंगे जिससे एचआईवी जांच का आंकड़ा बढ़ जाएगा। बैठक में जिला जिला कार्यक्रम प्रबंधक एवं सभी ब्लॉक के प्रभारी और ब्लाक स्वास्थ प्रबंधक एवं जिला के अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी यूनिसेफ के मधुमिता कुमारी आहना रंजीत कुमार, कुंदन कुमार आदि मौजूद रहे।

सोंन्धा के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की फैल रही सोंधी खुशबू -सालों से झोपड़ी में कैद थी स्वास्थ्य सेवाएं -गोरौल प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की चाह ने बदली राह -निजी अस्पतालों को दे रही टक्कर वैशाली/ 22 फरवरी ठीक अपने नाम सोंन्धो की तरह पूरे जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की सोंधी खुशबू फैला रही है, सोंधो हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर। कभी यह जगह गांव वालों के लिए मवेशी चराने के काम आती थी. बच्चे भी यहाँ आने से कतराते थे. पर आज यह उस स्थिति में है जिसके सामने शहर के कुछ प्राईवेट अस्पताल भी कमतर हैं. करीब पांच हजार स्कावयर फुट में बने इस हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का निर्माण 2018 में हुआ था। वहीं इसका कुल भूखंड करीब डेढ़ एकड़ में फैला है। जिसमें चिकित्सकों के लिए अत्याधुनिक शैली में क्वार्टर भी बने हैं। इस केंद्र की भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूरे जिले ने मौजूदा 19 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में से इसे सबसे आधुनिक साज सज्जा से युक्त माना है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के बारे में बरेबा, सोन्धो के सुकुल पासवान कहते हैं यह अपना ही गांव देखकर यकीन आते हैं. पहले यहां न ही भवन था और न ही संसाधन। मामूली बीमारी के लिए भी 10 किलोमीटर दूर प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता था। अब तो हमें सारी सुविधाएं इसी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर उपलब्ध हो जाती है। आसान नहीं था सफर गोरौल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एसके गुप्ता कहते हैं, जब इसे हमें हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में तब्दील करना था। तो मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती थी वहां से अतिक्रमण को हटाना और यह सुनिश्चित करना कि हम यहां के निवासियों को सबसे बेहतर स्वाथ्य सुविधाएं दें। सारी व्यवस्था को पारदर्शी रख मैंने प्रतिदिन काम में प्रगति का हिसाब लिया। तब कहीं जाकर यह मॉडल केंद्र के निर्माण की राह आसान हो पाई. ओपीडी में प्रतिदिन आते हैं 150 मरीज गोरौल प्राथमिक स्वास्थ्य की बीएचएम रेणु कुमारी कहती हैं कि पहले जब यह स्वास्थ्य उपकेंद्र था तो मुष्किल से 20 से 25 मरीज ही यहां ईलाज को आ पाते थे। वहीं जब से यहां इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं उपलब्ध हुई हैं। प्रतिदिन करीब 150 के मरीज ओपीडी में आते हैं। जिनके लिए अलग से पंजीकरण काउंटर भी है। अभी यहां मौजूद चिकित्सकों में एक आयुष, एक एलोपैथ और एक दंत चिकित्सक मौजूद हैं। हर तरह की जरुरी जांच है उपलब्ध इस हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में अलग से लैब टेकनिसियन और साफ और स्वच्छ कमरा मौजूद हैं। जहां मरीजों को उच्च-रक्तचाप, मधुमेह, प्रेगनेंसी टेस्ट, मलेरिया, एचआईवी, कालाजार जैसे गैर-संचारी रोग के जांच की व्यवस्था है। वहीं यहां पर चार तरह के सीबीसी की जांच की भी व्यवस्था है। जो बिल्कुल ही मुफ्त है। यहां पर अलग से टीवी के बलगम की जांच की भी सुविधा है। जिसे जांच के लिए पीएचसी भेजा जाता हैै। इस केंद्र में कैंसर रोग के स्क्रीनिंग की भी व्यवस्था है। जिसे अनुभवी चिकित्सकों द्वारा किया जाता है। 50 तरह की उपयोगी दवाएं हैं मौजूद: इस केंद्र में 50 तरह की दवाएं मौजूद हैं। जिसमें 35 जरुरी दवाओं की श्रेणी में आते हैं। जिनका प्रबंधन बिल्कुल ही साफ और हवादार कमरे में किया गया है। सभी दवाओं को जमीन और दीवार के संपर्क से दूर रखने की कोशिश की गयी है ताकि इन पर नमी और तापमान का असर न हो। वहीं कंम्प्यूटर में डेटा रखने से एक्सपायर दवाओं को तुरंत ही स्टॉक से हटा लिया जाता है। परिवार नियोजन और प्रसव पूर्व जाँच की व्यवस्था केंद्र में प्रवेश करते ही बांयी तरफ परिवार नियोजन के लिए अलग कार्नर है। जिसमें अंतरा, छाया, कॉपर टी के बारे में हेल्थ वर्कर बताती हैं। उसी जगह कंडोम के बॉक्स उपलब्ध कराया गया है। यह सभी सुविधाएं भी निःषुल्क है। वहीं इस केंद्र पर गर्भस्थ महिलाओं के प्रसव पूर्व देखभाल की भी व्यवस्था है। यहां पर लेबर रुम और स्ट्रेलाइजेषन रुम की बेहतरीन व्यवस्था है। बस इंतजार है उस निर्णय का जब यहां प्रसव की व्यवस्था उपलब्ध होगी।

मातृ मृत्युदर में कमी लाने के उद्देश्य से मशरक स्वास्थ्य केन्द्र पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सैकड़ो गर्भवती महिलाओं की जांच अस्पताल प्रभारी डॉ अनंत नारायण कश्यप के द्वारा की गई। विशेष अभियान को लेकर अस्पताल में आकर्षक तरीके से सजाकर स्टॉल लगाया गया था गर्भवती महिलाओं को जांच कर उन्हें उन सारी बातों की जानकारी दी गई, जो गर्भधारण से लेकर सुरक्षित प्रसव तक सावधानी बरती जाती रही। अस्पताल प्रभारी डॉ अनंत नारायण कश्यप ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। रुटीन इलाज को छोड़कर इस अभियान के तहत अब गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया जाता है। शिविर में द्वितीय एवं तिमाही गर्भवती महिलाओं का जांच किया गया। शिविर में जांच किये गये ।सैकडो गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लाबीन, बीपी व अन्य प्रकार की कमी पायी गई। जांच शिविर में एएनएम रम्भा देवी, कलावती देवी,पुनम देवी, राजकिशोर, अरूण सिंह,रूपेश तिवारी, अरविंद कुमार प्रसाद के साथ आशा,आंगनबाड़ी सेविका सहित कई स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे। साथ ही गर्भवती महिलाओं की जांच में ब्लड प्रेशर, वजन, एचआईवी, हीमोग्लोबिन सहित अन्य जांच की गई।

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