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बिहार राज्य के मुज़्ज़फरपुर से प्रिया कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से एक गीत प्रस्तुत किया

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में एक महिला क्या सोचती है... यह जानना बहुत दिलचस्प है.. चलिए तो हम महिलाओं से ही सुनते हैं इस खास दिन को लेकर उनके विचार!! आप अपने परिवार की महिलाओं को कैसे सम्मानित करना चाहेंगे? महिला दिवस के बारे में आपके परिवार में महिलाओं की क्या राय है? एक महिला होने के नाते आपके लिए कैसे यह दिन बाकी दिनों से अलग हो सकता है? अपने परिवार की महिलाओं को महिला दिवस पर आप कैसे बधाई देंगे... अपने बधाई संदेश फोन में नम्बर 3 दबाकर रिकॉर्ड करें.

अभिराज के द्वारा प्यारी सी कविता सुनाई गई

मेरा नाम अजान कुमार है मैं कस्तवां पड़ा मैं आप लोगों के साथ एक गाना गाना चाहता हूं जरा देउ नजरा देउ ना । यही वह इच्छा है जो हमने अभी तक नहीं देखी है । इसे अभी तक नहीं देखा है हम जी . पी . द्वारा नहीं देखा जा सकता है हमारा नहीं है थोड़ी दूर की आवाज़ है जो हमने अभी तक नहीं देखी है । नदीभादाक देखा नहीं राम जी जन्म हमर वही बने हमर वही बने ।

मेरा नाम मरजिल कुमार है , मैं कक्षा सागर में पढ़ रहा हूँ , मेरे स्कूल का नाम सम विद्यालय डिगरा है , मैं आप सभी को एक साथ बताने जा रहा हूँ । मैं आपको संस्कृत में जो कविता पढ़ने जा रहा हूं , वह है मिग्वतम चाइ पाठ है वटल कराचना स्वदेश पूज्य आपका विद्वान सर्वत पूज्य था । उपदेश स्वयं मुर्गे के प्रकोप में चुप रहता है । सौना का प प्रियव केवलंगसा ना सुक्तभेशन नया पंडित है दस सौ होल समारम की साद पदी और जनंदे और पास । शांति सठे पसेन्टी पंडित क्यारी पसेन्टी राजन सती व्यामित्रे आत्ममुख जैसे बद्यांती सुखसारा का बाका सच्या न बद्यांता में । सभी साधन घर के दरवाजे पर या दरवाजे पर उपलब्ध हैं ।

मेरा नाम लक्ष्मी रानी है , मैं सातवीं कक्षा में पढ़ती हूँ । मैं एक कविता पढ़ने जा रहा हूँ । मैं आभूषणों में नहीं पड़ना चाहती । मैं प्रेमी नहीं बनना चाहता । माला में भिज प्यारी को लालच चाहे नहीं देवी देव सिर बड़ा बड़ा इतना मैं तो थोड़ा लेना वनमाली वह पाटा तुम देना मातृभूमि जहाँ भी मैं जाता हूँ मुझे ले जाता हूँ ।