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swasthye ke chetra mein pichde hum
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गर्मी का पारा जैसे—जैसे चढ़ रहा है, वैसे—वैसे लोगों की सेहत पर बुरा असर दिखने लगा है और यही कारण है कि अस्पतालों में अचानक ही मरीजों की संख्या बढ़ गई है. लेकिन रोजाना आने वाले इन मरीजों को शासकीय अस्पतालों में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं. कहीं डॉक्टर गायब हैं तो कहीं दवाएं नहीं हैं. जहां डॉक्टर हैं वहां मरीजों के लिए बैड नहीं हैं, जहां दवाएं मिल जाती हैं वहां पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है. जनता की इसी समस्या को सबके सामने रखने के लिए इस बार जनता की रिपोर्ट चर्चा मंच पर हम बात करने जा रहे हैं शासकीय अस्पतालों की बदहाली और परेशान होते मरीजों की समस्याओं पर. दोस्तों सरकार ने गरीब परिवारों को इलाज की सुविधा देने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाईं हुईं हैं. जिसमें दवाओं का नि:शुल्क वितरण और नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच आदि शामिल हैं. लेकिन क्या वाकई गरीजों को शासकीय अस्पतालाओं में यह सारी व्यवस्थाएं मिल पाती हैं? इसी सवाल से जूझ रहे हैं बुजुर्ग मरीज और महिलाएं. यदि आप भी शासकीय अस्पताल में इलाज करवाने जा चुके हैं तो अपना अनुभव हमें बताएं? साथ ही बताएं कि शासकीय अस्पतालों में मरीजों और उनके परिजनों को किस तरह की दिक्कतों का सामाना करना पड़ रहा है? डॉक्टर्स का मरीजों के प्रति व्यवहार कैसा है और व्यवस्थाओं को बेहतर करने के लिए कौन से प्रयास करने चाहिए? अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नम्बर तीन. इसके साथ ही मोबाइलवाणी एप पर सुनते रहें हमारे बाकी सभी कार्यक्रम और समाचार.