मध्यप्रदेश राज्य के छिंदवाड़ा ज़िला से सुरभि की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अधिकवक्ता आराधना भार्गव से हुई। ये कहती है कि धर्म अनुसार तो महिलाओं को दर्ज़ा नहीं ही मिलता है और दूसरा देखते है कि अपराधियों के मन से कानून का भय ही हट गया है। जब चीफ जस्टिस को महिला के साथ दुर्व्यवहार करने की सजा नहीं मिली तो मामूली व्यक्ति को न्याय मिलना मुश्किल है। शिक्षक द्वारा भी जो घटनाएँ होती है पर कानून द्वारा सही मायने में उनपर कार्यवाही नहीं होती है। नाबालिग लड़कियों के साथ छेड़छाड़ हो रहा है वही पुलिस मामला को निपटाने में लगे रहते है। पुलिस की जवाबदेही राज्य के प्रति है। राज्य को सुरक्षा पुलिस प्रदान करती है लेकिन पुलिस ही महिलाओं के साथ खड़े नहीं रहते है। महिलाओं के साथ अपराध बढ़ता जा रहा है और पुलिस एफआईआर तक दर्ज़ नहीं करते है। चुनाव में देखा जाता है कि महिलाओं के उत्पीड़न के मुद्दे नहीं उठाए जाते है। बेटियाँ अगर सुरक्षित नहीं है तो देश कैसे सुरक्षित होगा। बेटियों को आगे बढ़ने का मौका ही नहीं मिल पाएगा। सरकार को यह बात सोचनी चाहिए। अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। सरकार देश के पुलिस को स्वतंत्र करें। पुलिस की जवाबदेही जबतक समाज और कानून के प्रति नहीं होगी तब तक बेटी असुरक्षा में ही रहेगी