जिला जमुई,प्रखण्ड सिकंदरा से विजय कुमार जी मोबाईल वाणी के माध्यम से एक कविता प्रस्तुत कर रहे है जिसका शीर्षक है। आवाम का ख्वाब बिगड़ जाता है।

राज्य बिहार के जमुई जिला,प्रखंड सिकंदरा से ज्योति जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रही है कि कई अभिभावक ऐसे भी होते है जो परीक्षाओं के दौरान अच्छे परिणाम लाने के लिए अपने बच्चो पर दबाव डालते है।बच्चों पर अपने माता-पिता के उम्मीदों पर खरे उतरने का दबाव भी होता है साथ ही अपने दोस्तों से बिछड़ने का डर भी लगा रहता है।परीक्षा की तैयारियों के समय बच्चे अपनी ख्वाहिशों को तिलांजलि दे देते है और साथ-ही वे टेलीविजन और सेलफोन से भी दूर हो जाते है।बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों के लिए भी यह इम्तिहान जीवन के किसी बड़े इम्तिहान से कम नहीं होता है।परिणाम स्वरूप वह अपने बच्चो पर अनचाहा दबाव डालते है जो उनपर अप्रत्यक्ष रूप से नकारात्मक प्रभाव डालता है।इसलिए अभिभावक अपने बच्चों को बतायें की जीवन की सफलता इस परीक्षा पर निर्भर नहीं करता है।वे अपने बच्चो को समझाकर पढ़ने के लिए कहें।

जिला जमुई,प्रखंड सिकंदरा से ज्योति जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रही है की आज के महिलाओं और यात्रियों की सुरक्षा ही सबसे बड़ा सवाल है।जिस गति से महिलाओं पर तथा यात्रियों की यात्रा के दौरान अत्याचार हो रहे है यह एक गंभीर विषय है,इसके आँकड़े चौंका देने वाले है । इन आंकड़ों से पुरे सरकारी तंत्र पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।क्यूंकि महिलाओं एवं यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेवारी केवल सरकारी तंत्र पर ही है। और इस बात पर काफी मंथन के बाद पता चलता है की इनकी सुरक्षा की जिम्मेवारी सरकारी तंत्रों के साथ-साथ राजनेताओं,नौकरशाहों,समाज के बुद्धिजीवियों और आम नागरिकों पर भी है।साथ ही अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही सतर्क रहने की आवश्यकता है । क्यूंकि जरा सी असावधानी बड़ी-बड़ी घटनाओं को जन्म देती है। इसलिए हमे सतर्क रहना होगा तभी हम एक जिम्मेदार नागरिक बन सकते है।

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राज्य बिहार के जमुई जिला,प्रखंड सिकंदरा से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है की जमुई जिले में शहर से लेकर गांव तक अनगिनत कोंचिग सेन्टर संचालित हो रहा है।जिले में लगभग 200 सौ से अधिक कोचिंग संस्थान चल रहे है।हर कोचिंग संस्थान संचालन से पहले संस्थान का रजिस्ट्रेशन शिक्षा विभाग में कराना है।लेकिन जिला प्रशासन और विभाग की लापरवाही के कारण कोचिंग संस्थानों का रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी प्रारम्भ नहीं हो पायी है।इसी कारण कोंचिक संचालकों का हौसला काफी बढ़ गया है। सरकार द्वारा कई बार अभियान चलाकर रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश भी दिया गया था लेकिन इसके लिए किसी जिम्मेदार अधिकार के पास फुर्सत ही नहीं है । बेहतर शिक्षा,शैक्षणिक वातावण एवं सुविधाओं का प्रलोभन देकर कोचिंग संचालक छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों का आर्थिक शोषण कर रहे है।छात्रवृति,फीस में छूट का प्रलोभन दिया जाता है लेकिन जब नामांकन की बारी आती है तब उनसे तरह-तरह के नुस्खे अपनाकर मोटी रकम की वसूली की जाती है।

राज्य बिहार के जिला जमुई,प्रखंड सिकंदरा से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से कह रहे है कीसरकार कोई कानून बनाती है या निर्णय लेती है तो जनहित का तर्क लिया जाता है। फिर भी देश की व्यवस्था के लिए बनाया गया कानून समस्त भारतीयों का जन-जीवन सुधारने में सफल नहीं हो पा रहा है। ऐसे में यह बात उठाना स्वभाविक है कि कहीं-न-कहीं कानून व्यवस्था में ठोस सुधार की सख्त जरुरत है। इसके अलावा यह भी सच है कि पहले से जो कानून बने हुए है उनका सही से तरीके से पालन नहीं हो रहा है।लोग भूखे मर जाते है और अनाज गोदामों में सड़ते रहते है।अनाज का एक एक दाना उपजाने के लिए किसानो को काफी मेहनत करनी पड़ती है जबकि सरकार किसानो द्वारा उपजाए गये अनाज के रख-रखाव को ठीक तरीके से व्यवस्थित नहीं कर पाती है । साथ ही जनसंख्या के अनुपात में स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था अब तक नहीं हो पायी है। सरकार को इस दिशा में गंभीर कदम उठाने चाहिए।

जमुई से दिलीप पाण्डे जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि जमुई जैसे छोटे शहर में आवासीय होटल का कारोबार मजे से फल-फूल रहा है। भले ही इन होटलों का निबंधन न हो लेकिन धरातल पर कई होटलों में वातानुकूलित कमरे की भी व्यवस्था है। इन होटलों में रोजगार से जुड़े लोगों के अलावा नौकरी-पेशा व अन्य कार्यों से जमुई पहुंचने वाले लोगों का ठहराव होता है। बात करें सुरक्षा की तो इस लिहाज से नियमित जांच भी इन होटलों का नहीं किया जाता है। कई मामलों में तो पंजी में संधारण भी नहीं किया जाता है। खासकर संदिग्ध किस्म के लोगों का जब होटलों में ठहराव होता है तो उनसे मुंहमांगा किराया वसूल कर बगैर किसी आईडी प्रुफ के कमरा आवंटित किया जाता है जिसका पंजी में संधारण तक नहीं होता है। इन सबसे अलग सर्विस टैक्स की बात करें तो शायद ही कोई होटल संचालक के द्वारा सर्विस टैक्स भुगतान किया जाता है। टैक्स वसूली में संबंधित विभाग भी खासा मेहरबान होटल संचालकों के प्रति रहते हैं। इसके पीछे वजह क्या है इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं होती है। शहर के होटलों में सुविधाओं की बात करें तो कुछेक होटलों को छोड़ दिया जाए तो ठहरने वाले यात्रियों को कोई खास सुविधा नहीं दी जाती है। शहर के कई होटलों में रईस लोगों की चौकड़ी लगती है। उस चौकड़ी में शराबबंदी कानून की खुलकर धज्जियां उड़ाई जाती है। चंद समय के लिए अच्छा-खासा किराया संचालकों को मिल जाता है। शहर में इन बातों की चर्चा सरेआम है कि दिन के उजाले में भी शराब का दौर चलता है।शहर के कुछ होटलों की प्रसिद्धी अनैतिक कार्य को लेकर लोगों में आम है। इसकी पुष्टि भी पिछले दिनों शहर के एक होटल पर छापेमारी के दौरान हुई गिरफ्तारी से हो चुकी है। ऐसे और भी कई संदिग्ध होटलों की चर्चा आम और खास के बीच सुनी जा सकती है। शहर के होटलों में नियमित जांच की बात प्रशासनिक स्तर पर की जाती रही है। धरातल पर इसकी समीक्षा की जाए तो शायद ही नियमित जांच किया जाता है।

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