वायुमंडल के तापमान वृद्धि से गर्मी ज्यादा बढ़ती है साथ ही मानव स्वास्थ्य व कृषि पर बुरा असर पड़ता है. मौनसून अनियमित हो जाता है. कहीं सुखाड़ तो कहीं वर्षा की अधिकता से फसल मारी जाती है. बेमौसम बारिस से खेती बारी नष्ट हो जाता है. पेड़ -पौधों की अंधाधुंध कटाई भी तापमान वृद्धि का मुख्य कारण है. जिस अनुपात में उद्योग धंधे, भवन निर्माण, सड़क निर्माण आदि कार्यों में पेड़ों की कटाई होती है उस अनुपात में पेड़ पौधे नहीं लगाए जाते हैं. फलत: कार्बनडाईओक्साइड को अवशोषित करने के लिए पेड़ पौधे कम पड जाते हैं और कार्बन डाइओकसाइड की अधिकता से वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है. जिससे गर्मी में वृद्धि, मानव स्वास्थ्य व कृषि खतरे में पड जाता है. इस तरह से मानव का ओशत उम्र घट रहा है. ऐसी स्थिति में प्रकृति के साथ मिल कर चलना प्रत्येक मनुष्य, संस्था व सरकार केलिए आवश्यक हो गया है अन्यथा भविष्य खतरे के आगोश में घुसता चला जायगा. ऐसी स्थिति से उबरने के लिए मैं 2007 में अपने पैतृक आवास के निकट अपने पिता की स्मृति में जयनंदन स्मृति वन लगाया हूं. जिसमें हजारों पौधे लहलहा रहे हैं. जिससे लोगों को ऑक्सीजन, छाया व फल मिल रहा है. यह पिता की श्रद्धा व-पर्यावरण प्रेम को दर्शाता है और वायुमंडल में गर्मी कम करता है.