इस करो ना काल में दशहरा और दिवाली हुए आर्थिक खर्च से अभी उबरी भी नहीं थी कि सामने छठ पूजा की बारी आ गई और इस पूजा में महंगाई अपने चरम सीमा पर दिखाई दी जिससे लोगों को व्रत को करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है