झारखंड राज्य के बोकारो जिला से सुमंत कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि आज के दिन हर साल विद्यालयों और महाविद्यालयों में स्वामी विवेकांनद की जयंती मनाई जाती है।विद्यालयों में जयंती तो मनाई जाती है,परन्तु विद्यालय उनके आदर्शों पर नहीं चलते हैं।स्वामी विवेकानंद के विचार थे,की शिक्षा ऐसी होनी चाहिए ,जिससे मस्तिष्क का निर्माण और बुद्धि का विस्तार के साथ-साथ हमारे चरित्र का भी विकास हो।इन सब के माध्यम से भविष्य में व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा हो सके।लेकिन वर्तमान परिदृश्य में देखा जाए तो विवेकानंद की जयंती जरूर मनाई जाती है,पर विद्यालयों में चरित्र का निर्माण नहीं किया जाता है।आज विद्यालयों में आधुनिक शिक्षा दी जाती है जो पूरी तरह से पाश्चात्य संस्कृति पर आधारित होती है।जिससे शिक्षकों के चरित्र का पतन हो गया है।आज की शिक्षा केवल बेरोजगारी पैदा कर रही है।हम देखें तो हमारे आस-पास ही कई ऐसे लोग हैं,जो स्नात्तक एवं स्नाकोत्तर होते हुए भी बेरोजगार हैं।इस बेरोजगारी के लिए कहीं ना कहीं आज की शिक्षा व्यवस्था भी जिम्मेदार है।जो केवल डिग्री आधारित हो चुकी है।आज के इस हालात को केवल परम्परागत गुरुकुल शिक्षा के माध्यम से ही बदली जा सकती है।जिससे हमारे बच्चे और युवा वर्ग में चरित्र का निर्माण होगा।भारत फिर से उन्नति की ओर उन्मुख हो सकेगा
