मधुबनी जिला के खुटौना प्रखंड से संतोष कुमार जी कहते हैं रेनू कुमारी जी के साक्षात्कार पता चलता कि मुंबई में भी आज बड़ी उम्मीदें के साथ लोग पहुंचते हैं लेकिन जब वहां पहुंचने के बाद इसकी सपने चकनाचूर हो जाता है या तो वह अच्छी नौकरी नहीं कर पाते हैं अगर अच्छी नौकरी मिलती है तो काम ज्यादा करवाते हैं जिसके कारण उत्तर भारतीय अपनी मेहनत के बल पर मोटी रकम को कर पाते हैं लेकिन उन्हें तरह-तरह की भाषा के दूसरों पर भी किया जाता है दूसरी तरफ उत्तर भारतीय को लगता है कि अगर शहर हम पहुंच गए तो कुछ अच्छी कमाई करके जाए जिसके लिए अनाप-शनाप रेट पर वहां पर काम करने लगते हैं जिसका यहां जो वहां के लोग मुकदमे को लगता है भाषा के साथ साथ दूसरी यात्रा भी देते हैं इसका नतीजा होता है उसे शहर छोड़ कर गांव की तरफ आ जाना अगर सरकार दिन में सपने सजी हुई रह जाती है और फिर अपने वतन को वापस आ जाते हैं तो मैं सरकार से गुजारिश करता हूं कि कल कारखाना एवं गांव में उचित रोजगार मुहैया कराए जाएं तो रेनू कहती है कि उनसे अच्छा दूसरा वेतन नहीं होता है धन्यवाद

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बिहार राज्य के मधुबनी ज़िला के खुटौना प्रखंड से चंदु जी मधुबनी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि डीज़ल और पेट्रोल की कीमतें बढ़ने से आम जनता परेशान हो गई हैं।प्रतिदिन कीमतें में बढ़ोतरी होने से लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा हैं।सरकार राहत की आश्वासन तो देती हैं परन्तु बढ़ रही क़ीमत पर लग़ाम नहीं लगा पा रही हैं।बढ़ती कीमतों का असर देश की महँगाई पर पड़ रहा हैं लेकिन सरकार पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों को देश की महँगाई से नहीं जोड़ रही।60प्रतिशत लोग ग़रीबी में जी रहे हैं। कुछ लोगों के अनुसार पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ती कीमतों का असर आम लोगों पे नहीं पड़ रहा हैं परन्तु पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ती कीमतों का सीधा असर आम लोगों और किसानों पर पढ़ता हैं। इसलिए सरकार को बढ़ रही पेट्रोलियम की क़ीमत पर नियंत्रण करने का प्रयास करनी चाहिए।

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राज्य बिहार के जिला मधुबनी के प्रखंड खुटौना से चन्देस्वर राम चंदू जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि किसान की स्थिति बत्तर होते जा रही है। सरकार किसानों के लिए अनेकों योजना चला रही है। लेकिन योजना का लाभ किसान तक नहीं पहुँच रही है। सरकार की घोषणा के अनुसार मधुबनी जिला के प्रखंडों में किसान मेला, किसान जागरूकता आदि अभियान चलायी जा रही है।नेता और पार्टी कार्यकर्ताओं के लोग अपने-अपने चहेते को बुलाते हैं। और कमीशन पर लाभ प्राप्त करते हैं। जिसके कारण किसानों को योजना के बारे में पता नहीं चल पाता है और किसान शिविर में नहीं आ पाते हैं। सरकार की योजना की राशि वितरण में अफसर मनमानी करते हैं। दाल,मसहूर,अरहर , मकई में दाने नहीं निकल पाए। पूंजी बर्बाद हो गई। जिसके कारण किसानों का दूर शहर में पलायन जारी है।

राज्य बिहार के जिला मधुबनी प्रखंड खुटौना से चन्देस्वर राम चंदू जी मधुबनी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि किसान प्रकृति की मार से परेशान नजर आ रहे है।किसान जीएसटी और नोटबंदी से अभी उबरे भी नहीं थे कि इसी बीच प्रकृति की मार ने उन्हें घुटने के बल लाकर खड़ा कर दिया है।बदलते मौसम और पैक्स मानसून की मार से किसान खाली हाथ नजर आ रहे है।जो किसान अपनी खेतो में दाल और मकई लगाए है वे ज्यादा परेशान है।विभिन्न क्षेत्रो में किसानो द्वारा लगाए गए फसलों में दाना नहीं आने से लाखों की संख्या में किसान मर्माहत है। इस बार वे बेहतर उत्पाद की बांट जोह रहे थे ,पर ऐसा नहीं हुआ।प्रशासन ठण्ड और पाला जैसे कारण बता कर अपने पल्ला झाड़ने में लगा है। सरकार को चाहिए की इस स्थिति में किसानो को हर संभव मदद करें,अन्यथा किसान टूट जायेगा।

राज्य बिहार के जिला मधुबनी प्रखंड खुटौना से चन्देस्वर राम चंदू जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि बजट में रोजगार,शिक्षा और कृषि जो अर्थवयवस्था का प्रमुख आधार माना जाता है।वैसे भी वर्तमान सरकार इन क्षेत्रों में वाजिब सुधार करती नहीं दिख रही है।शायद यही वजह है की आर्थिक समीक्षा को आंकड़े का संज्ञान लेते हुए बजट में इन क्षेत्रो की मजबूती के लिए प्रभावी कदम उठाये गए है।स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए बजट में ध्यान दिया गया है।इधर जीएसटी में भी निरंतर सुधार देखने को मिल रहा है।इसको प्रभावी बनाने के लिए बजट में कुछ प्रावधान भी किये गए है। अत: आम बजट लाभकरी सिद्ध होंगे और विकास दर में इजाफा करेंगे।

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जिला मधुबनी प्रखंड खजौली से चंदेश्वरराम चंदू जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है की खुले में शौच करने पर सरकार द्वारा प्रतिबन्ध,जाँच करने की खबर को अखबारों में प्रसारित तो किया जाता है परन्तु सरकार और अधिकारी की शौचालय निर्माण में ढ़ेर सारे खामियां मौजुद है. बहुत से ऐसे गरीब ग्रामीण है जो कर्ज लेकर शौचालय का निर्माण कराये है परन्तु उनकी राशियों का भुगतान नहीं हो रहा है।आवेदक ऑफिस का चक्कर लगाकर छोड़ देते है।अधिकारी रिश्वत देनेवाला पूंजीवाद को कई वर्ष पूर्व शौचालय निर्माण का भुगतान किया है, और किया जा रहा है।गरीब परिवार खुले में शौच करने को मजबूर है. गरीब रिश्वत देने की स्थिति में नहीं रहते है। सरकार कहती है की शौचालय निर्माण करे आपके पैसे का भुगतान आपके खाते में बैंक के माध्यम से किया जायेगा।जाँच अधिकारी रिश्वत पर कायम रहने से भुगतान में लापरवाही ,अफ़सरशाही ,मनमानी चरम सीमा पर है।इससे शौचालय निर्माण गरीबो के हित में नहीं हो रही है।इससे सरकार की घोषणाएं कहावत बनकर रह गयी है।