विद्यापतिनगर। प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बाजिदपुर बाजार को चमथा से जोड़ने वाली रानी पुल की हालत खस्ताहाल हैं। इस जर्जर पुल पर सजता बाजार किसी बड़े हादसे का इंतजार में हैं। आजादी से पहले नरहन स्टेट की महारानी राजनीति कुंवरी द्वारा गंगा की सहायक वाया नदी पर बनवाया गया पुल इतना जर्जर हो गया है कि अब तो उसके ऊपर से गुजरी सड़क भी कई जगह धसक कर खतरे का सबब बन गयी है। पुल की हालत देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि यह कभी भी धराशाही हो सकता है। बाजिदपुर बाजार को चमथा घाट सहित दियारांचल क्षेत्र को मिलाने वाला पुल कहारान इस समय अतिक्रमण की चपेट में चल रहा है। अंग्रेजों के जमाने में इस पुल का निर्माण तकरीबन 110 साल पहले कराया गया था। पतली ईट व कथ ,चूने से बना पुल अब इतना जर्जर हो गया है कि इसकी बाउंड्रीवाल भी जगह-जगह से टूट गयी है। पुल की सड़क इतनी जर्जर हो गयी कि कई जगह धसक कर गहरे गड्ढे में तब्दील हो गयी। बावजूद इसके हालत यह है कि खतरे की आशंका जता रहे इस पुल पर सजने वाले बाजार पर प्रशासन अंकुश नहीं लगा सका है। पुल पर सजनेवाले अस्थाई बाजार प्रशासन को खुला चुनौती दे रहे हैं। वहीं पुल पर दुकान लगाने वाले लोग खतरे की परवाह न करते हुए अपना खुल कर व्यापार करने लगे। इस पुल पर सब्जी की दुकानें,रेडीमेंट कपड़े वालों के साथ स्कूली बैग, बस्ते, व जनरल स्टोर के साथ कई प्रकार की दुकानें सज रहीं हैं, इसके चलते पुल पर भीड़ भी रहने लगी है। जर्जर पुल पर बढ़ता लोड कभी भी हादसे का सबब बन सकता है। पुल पर अतिक्रमण हटाकर उसका लोड़ कम किया जा सकता है। यह पथ लोगों के लिए काफी लाभप्रद है। प्रतिदिन कई दो पहिया, तीन पहिया वाहनों का आवागमन होता है।