बिहार के जिला जमुई,प्रखण्ड सिकंदरा से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद भी अभी तक पुरे प्रदेश में कुल दो हजार पचास शिक्षकों ने अपने मन से त्याग पत्र दिया।ज बकि सूबे में कुलमिलाकर 40 प्रतिशत फर्जी शिक्षक कर्यरत है।और प्रतिमाह करोड़ो का राजस्व उनके वेतन पर खर्च हो रहा है। शिक्षा विभाग की गलत नीतियों के कारण ही इस तरह की गलत नीतियाँ इस विभाग में होती रहती है। और पदाधिकारी इस बात को नजरअंदाज करते रहते है। इस तरह के क्रियाकलाप में दण्ड के भागी केवल शिक्षक बनते है जो की निंदनीय है।दण्ड उस पदाधिकारियों को भी मिलनी चाहिए जो शीर्ष पदों पर बैठे हुए है। सरकार की गलत नीतियों के कारण आज शिक्षा विभाग में वैसे शिक्षकों की भर्ती कर दी गयी है जो शिक्षक की मर्यादा को तार-तार कर रहे है।शिक्षक और छात्र के बीच की मर्यादा समाप्त हो गयी है।पढ़ाई की व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गयी है।विद्यालय केवल प्रोत्साहन राशि और मिड डे मिल का जरिया बन कर रह गयी है। सरकार शिक्षकों की हड़ताल से अपनी कुर्सी को बचाने के लिए वेतनमान देकर अपना पिंड छुड़ाती है।इससे शिक्षा का कभी भला नहीं हो सकता। यही कारण है की बिहार के जो बच्चे सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन करते है वो अन्य निजी विद्यालयों के बच्चों से लगातार पिछड़ रहे है।