झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं को भूमि अधिकार दिलाने के लिए काम कर रही है समाज सेवी संस्थाओ के लिए यह जानना जरुरी है कि लड़ाई पुरुषों से नही बल्कि पितृसत्तात्मक समाज से है।इसमें भूमि स्वामित्व महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमि निभा सकता है।लेकिन भारत में महिलाओं की भूमि पर लिंग आधारित डेटा की कमी है।ऐसे में क्या इस बात पर भरोसा किया जा सकता है की हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम 2005 जैसे प्रगतिशील कानूनों के चलते देश में भूमि के संयुक्त स्वामित्व में वृद्धि हुई है।महिलाओं के भूमि अधिकार के मुद्दे को आगे बढ़ाने में यह कानून केवल पहला कदम है। क्योंकि भारत में महिलाओं को भूमि और संपत्ति पर अपने अधिकारों को प्राप्त करने और उनका प्रयोग करने में महत्वपूर्ण सामाजिकऔर सांस्कृतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।