हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

अंधराठाढ़ी के सखी संस्था परिषद में कार्यक्रम की शुरुआत अतिथिगण द्वारा दीप प्रज्वलित करते हुए उत्तरी बिहार में आधार भूमि और जल स्रोतों की अधिकता के बावजूद भूमिका चयन होना और उसका उपयोग पर सेमिनार का आयोजन किया गया सखी संस्था के सचिव सुमन सिंह ने बताया है की क्षेत्र के विकास हेतु एक राष्ट्रीय स्तर की आद्र भूमि अनुसंधान केंद्र बनाने की आवश्यकता है जो जल जैसे अमूल्य प्राकृतिक संसाधनों से अधिक उत्पादकता देकर क्षेत्र में खुशहाली ला सके और पर्यावरण सुरक्षित रखें यह बातें सखी संस्था द्वारा आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला ग्रामीण महिलाओं के लिए मानवाधिकार जागरूकता पर आयोजित कार्यशाला में ख्याति प्राप्त कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर जनार्दन ने कही ज्ञात भी हो कि पूरे देश में आधार भूमि विकास हेतु कोई शोध संस्थान नहीं है जिन कारण इन क्षेत्रों का क्रमिक ह्रास हो रहा है सखी संस्था की संचारी का श्रीमती सुमन सिंह ने संस्था की विकासात्मक गतिविधियों एवं महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु चल रहे कार्यक्रमों की विश्व की जानकारी दी कार्यक्रम का समापन सुश्री रश्मि सिंह के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।

जिलाधिकारी अरविन्द कुमार वर्मा की अध्यक्षता में समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में जिला विकास समन्वय समिति की बैठक आयोजित हुई। जिलाधिकारी ने बैठक में सात निश्चय योजना, जल जीवन हरियाली सहित अन्य कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर एजेंडावार समीक्षा किया।

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जलवायु की पुकार कार्यक्रम के अंतर्गत इस अंतिम प्रोमों में हम जानेंगे कि हमने जलवायु से सम्बंधित अनेक बातें की हैं और जानकारियों पर विचार भी किया है

जलवायु की पुकार [ एक नए सफर का अंत ] कार्यक्रम के अंतर्गत हम जानेंगे की कैसे दुनिया भर में तापमान तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ रहा है ।

बिहार राज्य के मधुबनी से अंशु कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रहीं हैं कि, जिस मात्रा में पेड़ काटे जाते हैं उतनी मात्रा में पेड़ नहीं लगाए जाते हैं। कहीं कारखानों को लगाने के लिए तो कहीं घर बनाने के लिए पेड़ कट्टा है लेकिन पेड़ लगाने में कंजूसी करते हैं इस से बहुत नुक्सान होता है जिस सम्बन्ध में महिला से अंशु बात कर रही हैं। महिला का कहना है की पर्यावरण बिगड़ने के कारण इस बार मॉनसून ठीक से नहीं आया। और पर्यावरण के इस बदलाव से सिर्फ खेती को ही नहीं बल्कि माल जाल को भी नुक्सान होता है