थोक और खाद्य महंगाई दर में आई गिरावट ने अप्रैल में बड़ी राहत तो दी है लेकिन कुछ सामग्रियों के दाम अब भी काबू में नहीं आ रहे हैं। इनमें दाल, चावल, गेहूं और दूध प्रमुख रूप से शामिल हैं। इनकी कीमतें सालभर से आरबीआई के तय महंगाई दर के दायरे पांच फीसदी से ऊपर बने हुए हैं। सरकार ने आरबीआई को यह जिम्मेदारी दी हुई है कि मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार से पांच प्रतिशत पर सीमित रखा जाए। सबसे ज्यादा उछाल दाल और धान की महंगाई दर में देखने को मिला है। दाल की महंगाई दर अप्रैल 2022 में -0.34 फीसदी थी, जो अप्रैल 2023 में तेज वृद्धि के साथ 5.55 फीसदी पहुंच गई। मार्च 2023 में यह आंकड़ा 3.03 फीसदी था। इसी तरह धान की महंगाई दर अप्रैल 2022 में 1.48 फीसदी थी। इसमें भी तेजी दर्ज की गई और यह अप्रैल 2023 में 7.12 फीसदी पहुंच गई। मार्च में यह दर 7.75 फीसदी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि बदलते मौसम चक्र और अलनीनो का असर भी फसलों पर देखने को मिल रहा है। खासकर गेहूं, धान और दाल की पैदावार इससे प्रभावित हुई है। इसके चलते व्यापारी इनका भंडारण कर रहे हैं, जिससे कीमतें पर असर बना हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली तीन दिन की बैठक 6-8 जून को होनी है। इसके नतीजों से आगे महंगाई का रुख तय होगा। दूध की महंगाई दर 7.1 फीसदी पर: दूध की थोक महंगाई दर पिछले साल अप्रैल में 5.56 फीसदी थी, जो इस साल अप्रैल में 7.1 फीसदी पहुंच गई। मार्च 2023 में यह आंकड़ा 8.48 प्रतिशत था। गेहूं की महंगाई दर में नरमी तो आई है लेकिन यह आरबीआई के तय दायरे से बाहर है। अप्रैल 2022 में गेहूं की महंगाई दर 11.02 फीसदी थी, जो अप्रैल 2023 में घटकर 7.27 गई। मार्च 2023 में आंकड़ा 9.16 था।
